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हेती में, ‘मूर्खतापूर्ण आपराधिकता’ को रोकने के लिए अधिक कार्रवाई पर ज़ोर

हेती में, ‘मूर्खतापूर्ण आपराधिकता’ को रोकने के लिए अधिक कार्रवाई पर ज़ोर

रिपोर्ट में कहा गया है कि कैरीबियाई देश हेती में, असुरक्षा की स्थिति से निपटने को, सर्वोच्च प्राथमिकता बनाना होगा.

रिपोर्ट में देश के अधिकारियों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें और अधिक तकलीफ़ों से बचाने के लिए, और अधिक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा है, “अब एक और भी ज़िन्दगी, इस मूर्खतापूर्ण आपराधिकता की वजह से ख़त्म नहीं होनी चाहिए.”

उत्पीड़न, बलात्कार और धमकियाँ

हेती में जारी राजनैतिक, सामाजिक-आर्थिक और मानवीय चुनौतियों के बीच, हथियारबन्द गुटों की हिंसा और असुरक्षा जारी है.

स्थिति मार्च (2024) में और भी बदतर हो गई थी जब इन सशस्त्र गुटों ने, महत्वपूर्ण सरकारी ठिकानों पर समन्वित हमले कर दिए थे. इनमें अनेक पुलिस थाने और राजधानी पोर्ट औ प्रिंस में दो मुख्य कारागार इमारतें भी थीं.

इस रिपोर्ट में, हेती में इस वर्ष के प्रथम छह महीनों के हालात की जानकारी शामिल की गई है. इसमें राजधानी और देश के सबसे बड़े कृषि क्षेत्र – आर्टिबोनाइट में, मानवाधिकार उल्लंघन और उत्पीड़न के अत्यन्त गम्भीर चलन का विवरण दिया गया है.

गैंग हिंसा देश के पश्चिमी विभाग में भी फैल गई है, जो अभी तक आमतौर पर हिंसा से अप्रभावित रहा था.

इन छह महीनों के दौरान, बलात्कार सहित यौन हिंसा के पीड़ितों की संख्या भी बढ़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हथियारबन्द गुटों ने, लोगों को दंडित करने, डर फैलाने और आबादियों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए, यौन हिंसा का प्रयोग करना जारी रखा है.

बच्चों की भर्ती, किसानों से वसूली

इस बीच, राजधानी में पुलिस अभियानों में 860 लोग मारे गए और 393 लोग घायल हुए, इनमें 36 बच्चे भी थे. इन अभियानों में अनावश्यक और अनुपात से अधिक बल प्रयोग किए जाने की बातें भी उठी हैं. सशस्त्र गुटों ने, अपनी लड़ाई में इस्तेमाल करने के लिए, बड़ी संख्या में बच्चों की भर्ती भी की है.

रिपोर्ट कहती है कि हथियारबन्द गुटों ने किसानों से भी खेतीबाड़ी करने के लिए, धन ऐंठा है और अक्सर बन्दूकों व अन्य हथियारों के साथ खेतों पर आकर ही, उनकी फ़सलें और मवेशी चुलाएँ हैं.

सशस्त्र गुटों के हमलों के कारण, किसानों को अपनी 3 हज़ार हैक्टेयर तक की फ़सलों को बेसहारा छोड़ना पड़ा है और और वो किसान कम उपजाऊ मगर सुरक्षित इलाक़ों में पहुँच गए हैं, जिससे खाद्य संकट उत्पन्न हो गया है.

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