विश्व

हिंसक टकराव से ग्रस्त इलाक़ों में, ज़रूरतमन्द बच्चों तक नहीं पहुँच रही मदद

यूएन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.

बच्चों और सशस्त्र टकराव पर यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने विश्व के अनेक क्षेत्रों में जारी युद्धों की एक दुखद तस्वीर पेश की. 

उन्होंने युद्ध से तबाह हो रहे ग़ाज़ा से लेकर आपराधिक गुटों की हिंसा से पीड़ित हेती का उल्लेख किया, जहाँ हिंसा और विस्थापन के कारण अकाल दस्तक दे रहा है.

यूएन प्रतिनिधि ने क्षोभ प्रकट किया कि मानवीय सहायता को नकारे जाने का बच्चों के कल्याण व विकास पर दीर्घकालिक असर होता है.

उनके अनुसार, जिनीवा सन्धि और बाल अधिकारों पर सन्धि में ऐसे अहम प्रावधान हैं, जिनमें ज़रूरतमन्द बच्चों तक मानवीय सहायता पहुँचाने की मांग की गई है.

“बच्चों तक मानवतावादी पहुँच को नकारा जाना और बच्चों की मदद कर रहे मानवीय सहायताकर्मियों पर हमले, अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत निषिद्ध हैं.”

वर्जीनिया गाम्बा ने ज़ोर देकर कहा कि बच्चों के अधिकारों के हनन मामलों की रोकथाम के लिए यह ज़रूरी है कि यूएन द्वारा लड़ाकों के साथ सम्पर्क व बातचीत की जाए.

मगर, उनकी आगामी रिपोर्ट के लिए जुटाए गए आँकड़े दर्शाते हैं कि बच्चों तक मानवीय सहायता पहुँचाने के रास्ते में अवरोध खड़े करने और उन्हें नकारे जाने की घटनाओं में स्तब्धकारी वृद्धि हुई है.

“अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का खुला उल्लंघन बढ़ता जा रहा है,” जिससे बच्चों का जीवन, कल्याण व विकास ख़तरे में पड़ जाता है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बच्चों तक मानवतावादी पहुँच नकारे जाने की रोकथाम के लिए ऐसी घटनाओं को समझना होगा, निगरानी क्षमता बढ़ानी होगी ताकि उन्हें दोहराए जाने से बचा जा सके.

ग़ाज़ा में बच्चों के लिए विकट हालात

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के कार्यकारी उपनिदेशक टैड चैबॉन ने बताया कि जैसे-जैसे विश्व भर में हिंसक टकराव फैल रहे हैं, बाल अधिकारों के हनन के गम्भीर मामले भी बढ़ रहे हैं. ग़ाज़ा, सूडान से म्याँमार तक. 

उन्होंने इस वर्ष जनवरी में ग़ाज़ा में अपनी यात्रा के अनुभव का ज़िक्र करते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर वहाँ तबाही हुई है और बच्चों की स्थिति में विशाल गिरावट आई है.

ग़ाज़ा के उत्तरी हिस्से की एक तरह से नाकेबन्दी की गई है और मानवीय सहायता क़ाफ़िलों के वहाँ पहुँचने की या तो अनुमति नहीं दी जा रही है या उसमें देरी हो रही है.

इसके अलावा, मानवीय सहायताकर्मियों पर हमले भी बढ़े हैं और यूएन के इतिहास में अब तक सबसे अधिक संख्या में यूएन कर्मचारियों की मौत हुई है.  

यूनीसेफ़ अधिकारी ने कहा कि मौजूदा बन्दिशों की वजह से बच्चों के लिए उपयुक्त पोषक भोजन, मेडिकल सेवाएँ उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं और उन्हें प्रतिदिन दो-तीन लीटर जल से ही काम चलाना पड़ रहा है.

पिछले कुछ हफ़्तों में ग़ाज़ा पट्टी के उत्तरी इलाक़े में अनेक बच्चों की कुपोषण और प्यास से मौत होने की ख़बरें हैं, और क़रीब आधी आबादी को विनाशकारी स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है. 

सूडान: बदतरीन बाल विस्थापन संकट

परस्पर विरोधी सैन्य बलों की बीच टकराव से पीड़ित सूडान, विश्व में बाल विस्थापन की दृष्टि से सबसे बड़ा संकट बन गया है.

कई इलाक़े हिंसा की जद में हैं और ज़रूरतमन्दों तक मानवीय सहायता पहुँचाने की अनुमति का मखौल उड़ाया जा रहा है. दारफ़ूर, कोर्दोफ़ान, ख़ारतूम और उससे परे भी, हिंसक टकराव का गहरा असर हुआ है और बच्चे बेहद पीड़ा में हैं.

यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बच्चों में अचानक गम्भीर कुपोषण फैल रहा है और रिकॉर्ड संख्या में उपचार के लिए प्रभावित बच्चों को भर्ती कराया जा रहा है.

मौजूदा असुरक्षा के कारण स्वास्थ्यकर्मियों और मरीज़ों के लिए अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों तक पहुँच पाना एक बड़ी चुनौती है, और दवाओं व मेडिकल सामान की क़िल्लत है. 

उन्होंने सुरक्षा परिषद से आग्रह किया है कि बच्चों तक मानवीय सहायता पहुँचाने की अनुमति सुनिश्चित की जानी होगी, और राहतकर्मियों की रक्षा करनी होगी ताकि वे ज़रूरतमन्द आबादी तक सुरक्षित माहौल में पर्याप्त मदद पहुँचा सके.

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