देश में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत स्मार्टफोन निर्यात के चलते अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 तक 11 महीने की अवधि के दौरान भारत के सबसे तेजी से बढ़ते निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक्स शुमार हो गया है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी शीर्ष 30 निर्यातों के आंकड़ों से पता चलता है कि इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में रुपये के संदर्भ में 61.57 प्रतिशत अधिक था। इसने 20 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया जो वित्त वर्ष 2021-22 में इसी अवधि के 103,027.19 करोड़ रुपये की तुलना में 166,456.54 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया।
वित्त वर्ष 2022 (पीएलआई योजना का पहला वर्ष) में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 40.5 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन यह पेट्रोलियम उत्पादों से काफी पीछे था जिसके निर्यात में 152 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही थी। लेकिन दूसरे साल में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात, पेट्रोलियम उत्पादों की तुलना में तेजी से बढ़ा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स में बड़ी तेजी, मोबाइल उपकरणों की बढ़ती हिस्सेदारी के कारण आई है। कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में इनकी हिस्सेदारी लगभग 47 प्रतिशत थी जो अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 के 11 महीने में 37 प्रतिशत थी।
आईसीईए के अनुमान के अनुसार अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 के दौरान मोबाइल फोन निर्यात 9.5 अरब डॉलर या 78,375 करोड़ रुपये के दायरे को पार कर गया जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग दोगुना है। इसके विपरीत, अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 तक, मोबाइल उपकरणों का निर्यात लगभग 38,000 करोड़ रुपये तक था।
सरकार को दी गई जानकारी के आधार पर, स्मार्टफोन निर्यात में बड़ी वृद्धि के लिए सीधे तौर पर ऐपल की तीन अनुबंध निर्माता कंपनी फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और विस्ट्रॉन जिम्मेदार है, जिन्होंने पहले 11 महीने में कुल स्मार्टफोन निर्यात में लगभग 46 प्रतिशत ( 36,052 करोड़ रुपये) का योगदान दिया। ये तीनों कंपनियां, सरकार की स्मार्टफोन पीएलआई योजना में भागीदार हैं। इस खेल की अन्य बड़ी कंपनियों में सैमसंग शामिल थी जिसका ऐपल के साथ मिलकर देश से होने वाले थोक निर्यात में बड़ा योगदान है।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में अधिक वृद्धि ऐसे समय में हो रही है जब अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 में 30 प्रमुख वस्तुओं के कुल निर्यात में केवल 15.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
फरवरी में भारत की व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में 8.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक्स 43.02 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 15,916 करोड़ रुपये के स्तर के साथ शीर्ष पर बना हुआ है।
शीर्ष 10 निर्यातों में से, पेट्रोलियम उत्पादों ने 60.7 प्रतिशत की दर के साथ दूसरी सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की और इसके बाद चावल का स्थान है जिसमें 24.98 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वित्त वर्ष 2021-22 में इंजीनियरिंग सामानों, पेट्रोलियम उत्पादों, रत्न एवं आभूषण, जैविक और अकार्बनिक रसायन, दवाएं और सभी वस्त्रों के रेडीमेड परिधानों के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स को 7वें सबसे बड़े निर्यात के रूप में स्थान दिया गया। लेकिन इस वित्त वर्ष में यह स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, सभी कपड़ों के रेडीमेड परिधानों से आगे 6वें स्थान से पहले पायदान पर पहुंच जाएगा जिसने फरवरी 2023 को खत्म हुई 11 महीने की अवधि के दौरान 11.15 प्रतिशत की धीमी वृद्धि दर्ज की है जो 118,045.38 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गया है।
11 महीने की अवधि में इंजीनियरिंग सामान 7,75,451.60 करोड़ रुपये, पेट्रोलियम उत्पाद 6,89,538.99 करोड़ रुपये और रत्न एवं आभूषण 2,81,921.36 करोड़ रुपये के स्तर के साथ शीर्ष तीन निर्यात में शामिल रहे। सरकार के पास इलेक्ट्रॉनिक्स के निर्यात के लिए एक आक्रामक लक्ष्य है। यह 2025-26 तक 120 अरब डॉलर के निर्यात तक पहुंचना चाहता है, जो मौजूदा संख्या का लगभग छह गुना है।
