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सूडान: लड़ाई में तेज़ी के बीच, बिना सुनवाई के ही मौत की सज़ा दिए जाने पर क्षोभ

सूडान: लड़ाई में तेज़ी के बीच, बिना सुनवाई के ही मौत की सज़ा दिए जाने पर क्षोभ

सूडान के सशस्त्र बलों ने पिछले महीने इस इलाक़े को अपने क़ब्ज़े में करने के लिए एक बड़ा अभियान छेड़ा था, जोकि फ़िलहाल RSF के नियंत्रण में है. अप्रैल 2023 से देश में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच सत्ता व वर्चस्व की लड़ाई जारी है, जिससे एक व्यापक मानवीय संकट पैदा हुआ है.

इस लड़ाई में अब तक 1.1 करोड़ लोग अपने घरों से विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं, जिनमें 29 लाख लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.

जलवायु झटकों और विनाशकारी आपदाओं के साथ हिंसक टकराव की वजह से अनगिनत आजीविका स्रोत बर्बाद हो गए हैं और देश फ़िलहाल एक विशाल भूख संकट से जूझ रहा है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने बताया सूडानी सेना का सैन्य अभियान 25 सितम्बर को शुरू हुआ, जिसमें अर्द्धसैनिक बल RSF के ठिकानों पर हवाई हमले व गोलाबारी की जा रही है.

राजधानी ख़ारतूम में प्रवेश करने वाले इलाक़ों में भीषण लड़ाई हो रही है. इन हमलों में बड़ी संख्या में आम नागरिक हताहत हुए हैं और बुनियादी ढाँचे को भी क्षति पहुँची है.

सूडान में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेषज्ञ रडउवान नोसिएर ने कहा कि ग्रेटर ख़ारतूम में हिंसा भड़कने से अप्रैल 2023 में शुरू हुए हिंसक टकराव के भयावह आरम्भिक दिनों की याद दिला दी है.

उन्होंने चिन्ता जताई कि लड़ाई में बड़े पैमाने पर आम नागरिकों की जान जा सकती है, मानवाधिकार उल्लंघन मामलों को अंजाम दिया जा सकता है और बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो सकते हैं.

युद्ध नियमों का पालन हो

यूएन विशेषज्ञ के अनुसार, ऐसी जानकारी मिली है कि पिछले कुछ दिनों में RSF के साथ संलिप्त होने के सन्देह में 70 युवाओं को बिना सुनवाई के ही जान से मार दिया गया है.

उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि यह जघन्यता से भी परे है और सभी मानवाधिकार नियमों व मानको का मखौल उड़ाता है.

यूएन विशेषज्ञ ने सभी पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून व मानवाधिकार क़ानून के तहत तयशुदा दायित्वों का सम्मान करने का आग्रह किया, और आम नागरिकों को हिंसा से बचाने की अपील की.

रडउवान नोसिएर के अनुसार, ऐसी घटनाओं की त्वरित, स्वतंत्र रूप से जाँच कराई जानी होगी और अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी.

“युद्ध में भी नियम होते हैं,” और ऐसे कृत्यों के लिए दंडमुक्ति की भावना पर तुरन्त विराम लगाया जाना चाहिए.

यूएन नामित विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने ट्यूनीशियाई नागरिक रडउवान नोसिएर को दिसम्बर 2022 में सूडान में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेषज्ञ नामित किया था. इससे पहले यह दायित्व अडामा डिएंग के पास था.

इससे पहले, मानवाधिकार परिषद में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त से बिना किसी देरी के, देश में मानवाधिकारों की स्थिति की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ को नामित करने का अनुरोध किया गया था.

सूडान में सेना ने 25 अक्टूबर को तख़्तापलट के बाद देश की सत्ता को हथिया लिया था, और फ़िलहाल नागरिकों के नेतृत्व में सरकार के गठन की प्रतीक्षा की जा रही है.

हेती और कोलम्बिया में भी मानवाधिकारों की स्थिति को परखने के लिए ऐसे विशेषज्ञों को नामित किया गया है. यूएन द्वारा नामित ये विशेषज्ञ, विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र वर्किंग समूह से अलग होते हैं, जिन्हें जिनीवा-स्थित मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किया जाता है.

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