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सूडान: युद्ध से जान बचाकर भाग रहे दक्षिण सूडान के परिवारों के लिए खाद्य संकट

सूडान में मध्य-अप्रैल में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच हिंसक टकराव शुरू होने के बाद से अब तक तीन लाख से अधिक लोग दक्षिण सूडान पहुँचे हैं.

इनमें से अधिकाँश लोग अपने देश में वापिस लौटे हैं, और इनमें हर पाँच में से एक बच्चा कुपोषित है, और 90 प्रतिशत परिवार सामान्य या गम्भीर स्तर पर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.

सीमा चौकी पर जुटाए गए आँकड़ों के अनुसार, 25 प्रतिशत से अधिक गर्भवती व स्तनपान करा रही महिलाएँ, कुपोषण का शिकार हैं. 

दक्षिण सूडान में यूएन खाद्य कार्यक्रम की देशीय निदेशक मैरी-ऐलन मैकग्रोआर्टी ने बताया कि परिवार एक के बाद एक आपदाओं से जूझ रहे हैं. सूडान में ख़तरे से जान बचाकर भागने के बाद, उन्हें दक्षिण सूडान में केवल हताशा ही हाथ लगी है.

दक्षिण सूडान लौटने वाले लोग एक ऐसे देश में वापसी कर रहे हैं, जोकि पहले से ही अभूतपूर्व मानवीय आवश्यकताओं से जूझ रहा है.

वर्षों से जारी टकराव, हिंसा, खाद्य असुरक्षा, जलवायु प्रभावों और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के कारण 94 लाख से अधिक लोगों को सहायता व संरक्षण सेवाओं की दरकार है.

लूटपाट की घटनाएँ

विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, बारिश के मौसम में भीड़भाड़ भरे आवाजाही केन्द्रों और सीमा चौकियों पर परिस्थितियाँ और भी कठिन हो गई हैं. 

बाढ़ की चपेट में आए इन इलाक़ों में खाद्य असुरक्षा बद से बदतर हो रही है, और बीमारियाँ भी फैल रही हैं.

अनेक परिवारों ने सूडान से लौटते समय अपने साथ लूटपाट व हिंसा को अंजाम दिए जाने का अनुभव साझा किया, जबकि उनके पास चंद कपड़ों के अलावा कुछ नहीं था. 

हाल के दिनों में दक्षिण सूडान पहुँचने वाले लोग, हिंसक टकराव के शुरुआती दिनों में वहाँ वापसी करने वाले लोगों की तुलना में पहले से कहीं अधिक सम्वेदनशील परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.

यूएन एजेंसी ने उन्हें सीमा पर खाद्य सहायता मुहैया कराई है और बच्चों व माताओं को विशेषीकृत पोषण समर्थन भी प्रदान किया गया है.

बढ़ती ज़रूरतें

देशीय निदेशक मैकग्रोआर्टी ने बताया कि वापिस लौटने वाले लोगों के लिए मानवीय स्थिति अस्वीकार्य है और WFP को सीमावर्ती इलाक़े में बढ़ती मानवीय सहायता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जूझना पड़ रहा है.

“हमारे पास सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों को जीवनरक्षक सहायता प्रदान करने के लिए संसाधन ही नहीं हैं.” 

यूएन एजेंसी के अनुसार अगले कुछ महीनों में मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 12 करोड़ डॉलर के समर्थन की आवश्यकता है, ताकि उन्हें भीड़भाड़ वाले केन्द्रों से दूसरे इलाक़ों में ले जाया जा सके और अपना जीवन फिर से पटरी पर लाने में मदद दी जा सके.

दक्षिण सूडान में, यूएन एजेंसी ने अगले छह महीनों में 53 करोड़ डॉलर की क़िल्लत की बात कही है, और अभी तक खाद् असुरक्षा का शिकार लोगों में से केवल 40 प्रतिशत तक ही सहायता पहुँचाई गई है.

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