अमेरिकी प्रशासन ने 24 जनवरी को अगले तीन महीनों के लिए अरबों डॉलर की सहायता धनराशि को रोकने की घोषणा की थी.
यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA) के पियो स्मिथ ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि लगभग सभी अमेरिकी विदेशी सहायता कार्यक्रमों पर असर हुआ है. इन कार्यक्रमों की समीक्षा पूरी होने तक यह रोक जारी रहने की बात कही गई है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में सभी कर्मचारियों को अपने एक पत्र में बताया कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के कार्यकारी आदेश के बाद, महत्वपूर्ण विकास व मानवतावादी गतिविधियों के लिए सहायता जारी रखे जाने की पुकार लगाई है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी के अनुसार, इस निर्णय के असर का आकलन किया जा रहा है और इसके असर को कम करने का प्रयास जारी रहेगा.
“अब, संयुक्त राष्ट्र का कामकाज पहले से कहीं अधिक अहम हो गया है…एक साथ मिलकर, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा संगठन अटल संकल्प के साथ दुनिया भर में लोगों को सेवाएँ प्रदान करना जारी रखे.”
घातक नतीजे
एशिया व प्रशान्त क्षेत्र के लिए निदेशक पियो स्मिथ ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकारी आदेश के बाद, UNFPA ने अमेरिकी अनुदान की मदद से संचालित उन सेवाओं को रोक दिया है, जिनसे संकटों में महिलाओं व लड़कियों को जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराई जा रही थी. इनका असर दक्षिण एशिया क्षेत्र में स्थित देशों पर भी हुआ है.
उन्होंने आगाह किया कि 2025 से 2028 के दौरान अमेरिकी समर्थन के अभाव में अफ़ग़ानिस्तान में, 1,200 अतिरिक्त मातृत्व मौतें होने और एक लाख से अधिक अनचाहे गर्भधारण के मामले सामने आने की सम्भावना है.
क्षेत्रीय निदेशक ने बताया कि ट्रम्प प्रशासन से और अधिक स्पष्टता प्रदान करने का अनुरोध किया गया है कि उनके संगठन के कार्यक्रमों पर असर क्यों हुआ है, जबकि उन्हें मानवीय आधार पर छूट दिए जाने की आशा थी.
इस बीच, यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने कहा है कि इन कार्यकारी आदेशों के बाद से अभी तक किसी को काम से निकाले जाने की बात सामने नहीं आई है.
यूएन कार्यालय प्रवक्ता ने कहा कि विभिन्न देशों में उनकी टीम, स्थानीय अमेरिकी दूतावासों के सम्पर्क में हैं और हालात को समझने की कोशिश की जा रही है. पिछले वर्ष, दुनिया में मानवीय सहायता गतिविधियों के लिए वैश्विक अपील में अमेरिकी सरकार का योगदान क़रीब 47 फ़ीसदी था. येन्स लार्क ने कहा कि यह दर्शाता है कि मौजूदा हालात में यह कितना मायने रखता है.
ग़ौरतलब है कि अमेरिकी प्रशासन ने विदेशी सहायता व विकास कार्यक्रमों के लिए मुख्य एजेंसी, USAID को संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्री कार्यालय के अन्तर्गत लाने की घोषणा की है.
USAID कर्मचारियों के लिए उनके कार्यालय के दरवाज़े बन्द कर दिए गए हैं. हाल ही में गठित सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) के प्रमुख ने इस एजेंसी पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने और जवाबदेही ना तय किए जाने का आरोप लगाया है.
येन्स लार्क ने कहा कि सार्वजनिक रूप से नाम लेने व कथित रूप से शर्मिन्दा करने से ज़िन्दगियों की रक्षा नहीं होगी. वहीं, यूएन जिनीवा कार्यालय में सूचना सेवा की प्रमुख आलेसान्द्रा वेलुच्ची ने महासचिव गुटेरेश की अपील को दोहराया, जिसमें उन्होंने ट्रम्प प्रशासन के साथ भरोसे पर आधारित रिश्तों की अपील की है.
उन्होंने कहा कि हम एक साथ मिलकर इन कामों को जारी रखने और सुनने के लिए तैयार हैं, यदि कोई आलोचना है तो उसे भी, ताकि उसकी समीक्षा की जा सके. सूचना सेवा प्रमुख ने अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के बीच पारस्परिक समर्थन पर आधारित दशकों पुराने रिश्तों को रेखांकित किया.
मानवाधिकार परिषद से अलग होने की योजना
यूएन मानवाधिकार परिषद के प्रवक्ता ने इस पत्रकार वार्ता में राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा द्वारा कार्यकारी आदेश जारी किए जाने की योजना पर प्रतिक्रिया दी, जिसके तहत अमेरिका की 47 सदस्य देशों वाले इस निकाय से पीछे हटने की मंशा है.
मानवाधिकार परिषद के प्रवक्ता पास्काल सिम ने बताया कि अमेरिका, 1 जनवरी 2022 से 31 दिसम्बर 2024 तक इस परिषद का सदस्य रह चुका है, और इस वर्ष 1 जनवरी से एक पर्यवेक्षक देश है. यूएन के उन सभी सदस्य देशों की तरह जो परिषद का हिस्सा नहीं हैं.
“परिषद का कोई भी पर्यवेक्षक देश यदि किसी अन्तरसरकारी निकाय का हिस्सा ना हो, तो तकनीकी रूप से उससे अलग नहीं हो सकता है.”

USAID और यूनीसेफ़ ने 2024 में जल व साफ़-सफ़ाई मामलों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
अफ़ग़ानिस्तान में आपात हालात
यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के लिए यूएन एजेंसी (UNFPA), अफ़ग़ानिस्तान में ज़रूरतमन्द आबादी तक अपनी सेवाएँ पहुँचाने के लिए सक्रिय रहा है.
मगर अमेरिका द्वारा सहायता धनराशि रोके जाने के बाद, वहाँ 90 लाख से अधिक लोगों के स्वास्थ्य व संरक्षण सेवाओं से वंचित रह जाने का जोखिम है. इसका क़रीब 600 सचल स्वास्थ्य टीम, पारिवारिक स्वास्थ्य केन्द्र, परामर्श स्थलों पर असर होगा, जहाँ काम रुक जाएगा.
क्षेत्रीय निदेशक पियो स्मिथ ने कहा कि हर दो घंटे में एक महिला की गर्भावस्था की जटिलताओं की वजह से मौत होती है, और इस वजह से अफ़ग़ानिस्तान, प्रसव के नज़रिये से महिलाओं के लिए सबसे जानलेवा देशों में है.
“UNFPA के समर्थन के बिना, एक ऐसे समय में और अधिक ज़िन्दगियाँ ख़त्म हो जाएंगी, जब अफ़ग़ान महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों को चकनाचूर किया जा रहा है.”
पाकिस्तान, बांग्लादेश में असर
पाकिस्तान में, यूएन एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी घोषणा से 17 लाख लोगों पर असर होगा, जिनमें 12 लाख अफ़ग़ान शरणार्थी भी हैं.
बड़ी संख्या में लोगों के जीवनरक्षक यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रह जाने की आशंका है, जबकि 60 से अधिक स्वास्थ्य केन्द्र बन्द हो सकते हैं.
उधर, बांग्लादेश में रोहिंज्या शरणार्थियों समेत क़रीब छह लाख लोगों पर, महत्वपूर्ण मातृत्व व प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं से दूर हो जाने की चिन्ता है. पियो स्मिथ के अनुसार, ये सिर्फ़ आँकड़े भर नहीं हैं. ये वास्तविक जीवन हैं. वे दुनिया के सबसे सम्वेदनशील हालात में रहने के लिए मजबूर लोग हैं.
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में स्थित शरणार्थी शिविर में क़रीब 10 लाख रोहिंज्या लोगों ने शरण ली है, जोकि बेहद कठिन परिस्थितियों में गुज़र-बसर कर रहे हैं.
यहाँ क़रीब 50 फ़ीसदी बच्चों का जन्म, UNFPA के समर्थन से संचालित स्वास्थ्य केन्द्रों में होता है, मगर अब इन सेवाओं पर जोखिम मंडरा रहा है.
क्षेत्रीय निदेशक पियो स्मिथ ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अति-आवश्यक सेवाओं को जारी रखने के लिए 30.8 करोड़ डॉलर की धनराशि की दरकार है.
