24 सितम्बर, मंगलवार से शुरू होने वाली जनरल डिबेट के बारे में जानने योग्य आवश्यक बातें:
जनरल डिबेट क्या है?
जनरल डिबेट संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार अध्यक्षों का वार्षिक सम्मेलन है. यह विश्व पंचायत, यूएन महासभा के वार्षिक सत्र की शुरुआत में होता है, जिसे अक्सर UNGA कहा जाता है.
जनरल डिबेट आमतौर पर सत्र की पहली चर्चा होती है और, उच्च-स्तरीय बैठकों को छोड़कर, यह एकमात्र चर्चा है जिसमें नियमित रूप से राष्ट्राध्यक्ष व सरकार अध्यक्ष भाग लेते हैं.
क्या यह वास्तव में एक बहस है?
असल में नहीं. जनरल डिबेट सभी सदस्य देशों (और कुछ अन्य संस्थाओं) के प्रतिनिधियों को महासभा के सभागार में मौजूद प्रतिष्ठित गण के सामने भाषण देने यानि अपना रुख़ रखने का अवसर प्रदान करती है.
किसी भी भाषण के तुरन्त बाद कोई चर्चा या बहस नहीं होती. हालाँकि, सदस्य देशों के पास उत्तर देने का अधिकार होता है, और यह एक राष्ट्राध्यक्ष द्वारा लिखित रूप में दिया जाता है.
यह पत्र महासचिव को सम्बोधित किया जाता है, जो इसे सभी सदस्य देशों के बीच वितरित करते हैं. जनरल डिबेट के दौरान, उत्तर देने के अधिकार का उपयोग करते हुए बयान, प्रत्येक दिन के अन्त में दिए जाते हैं.
इस सत्र की थीम क्या है?
यूएन महासभा के 79वें, सत्र की थीम है: “किसी को पीछे न छोड़ना: शान्ति, सतत विकास और वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों की मानव गरिमा की प्रगति के लिए एक साथ काम करना.”
इसे महासभा के अध्यक्ष ने व्यापक परामर्श के पश्चात् तय किया है. कई राष्ट्राध्यक्ष अपने भाषणों में इसका उल्लेख कर सकते हैं लेकिन ऐसा करने के लिए वे बाध्य नहीं हैं.
कौन कब बोलेंगे?
वर्तमान प्रथा के अनुसार, बैठक की शुरुआत के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एक बयान देते हैं, इसके बाद महासभा के अध्यक्ष का बयान होता है.
परम्परागत रूप से, या यूँ कहें कि सितम्बर 1955 के 10वें महासभा सत्र के बाद से, ब्राज़ील ही जनरल डिबेट के शुरू में बोलता है.
संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल और सम्पर्क सेवाओं के अनुसार, प्रारम्भिक दिनों में कोई भी देश पहले बोलने के लिए तैयार नहीं था, और ब्राज़ील ने कई अवसरों पर आगे आकर इस ज़िम्मेदारी को निभाया.
संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र का मेज़बान देश होने के नाते, ब्राज़ील के बाद मंच पर आता है.
अन्य 191 सदस्य देशों का भाषण क्रम भौगोलिक संतुलन, प्रतिनिधित्व स्तर और उनकी प्राथमिकता जैसे मानदंडों पर आधारित होता है – उदाहरण के लिए, ज़रूरी नहीं है कि जनरल डिबेट की शुरुआत में राष्ट्राध्यक्ष न्यूयॉर्क में उपस्थित रहें.
इसके अलावा केवल संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक का दर्जा रखने वाले ग़ैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश आमंत्रित किए जाते हैं, जिनमें होली सी और फ़लस्तीन के साथ-साथ योरोपीय संघ प्रमुख हैं.
लालबत्ती और तमतमाते चेहरे
जनरल डिबेट के दौरान स्वैच्छिक रूप से 15 मिनट के भाषण का समय निर्धारित किया जाता है, और वक्ताओं को समय के समाप्त होने पर एक लाल चमकती बत्ती के ज़रिए सूचित किया जाता है, हालाँकि उन्हें कभी रोका या बाधित नहीं किया जाता.
प्रमुख शब्द यहाँ है “स्वैच्छिक,” और अधिकांश राष्ट्राध्यक्ष, निर्धारित 15 मिनट से अधिक समय तक बोलते हैं.
1960 में, क्यूबा के पूर्व नेता फ़िदेल कास्त्रो ने 269 मिनट के सबसे लम्बे भाषण का रिकॉर्ड क़ायम किया, जब उन्होंने वादा किया था कि “हम संक्षिप्त रहने की पूरी कोशिश करेंगे.”
इसके अलावा और भी लम्बे भाषण दिए गए हैं, लेकिन कुछ भाषण शायद सामग्री के कारण अधिक उल्लेखनीय बन गए, बजाय अपनी लम्बाई के.
2006 में, अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच बढ़ते तनाव की स्थिति के बीच, वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज़ ने तब के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को मंच से “शैतान” कहा था.
2009 में दिवंगत लीबियाई नेता मुअम्मार गद्दाफ़ी ने 100-मिनट लम्बा भाषण दिया जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और पाँच स्थाई सदस्यों के वीटो अधिकार की तीखी आलोचना की.
2012 में, इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतान्याहू ने एक बम की कार्टून छवि दिखाकर दुनिया को चेतावनी दी कि ईरान एक परमाणु हथियार बनाने से केवल कुछ महीने दूर है.
और 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने “उत्तर कोरिया को पूरी तरह से नष्ट करने” की धमकी दी, जबकि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने डोनल्ड ट्रम्प को “रॉकेट मैन” कहकर उनका तिरस्कार किया.
गैवल, वॉक-आउट
पहली जनरल डिबेट 1946 में आयोजित की गई थी और लगभग 80 वर्षों में, इस घटना से जुड़ी बहुत-सी परम्पराएँ, व अनेक दिलचस्प क़िस्से बन गए हैं.
1952 में आइसलैंड ने संयुक्त राष्ट्र को एक गैवल यानि लकड़ी का हथौड़ा भेंट किया था जिसका उपयोग, जनरल डिबेट के सुबह व दोपहर के सत्रों की शुरुआत को चिन्हित करने के लिए और आवश्यकता पड़ने पर व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है.
इसका उपयोग तब सोवियत संघ के नेता, निकिता खुर्श्चेव को चुप कराने के प्रयास में किया गया था, जब उन्होंने अपना जूता मंच पर पीटकर, अपनी बात पर बल देने की कोशिश की थी.
कभी-कभी कूटनैतिक शिष्टाचार उलट जाता है जब किसी अन्य सदस्य देश की विचारधारा और कार्यों का विरोध करने के लिए, पूरा प्रतिनिधिमंडल महासभा के हॉल को छोड़कर बाहर चला जाता है. हालाँकि हाल के वर्षों में यह इतनी सामान्य बात हो गई है कि यह प्रदर्शन अब आश्चर्यजनक नहीं रह गया है.
इसराइल और ईरान नियमित रूप से एक दूसरे के भाषण का विरोध करते रहे हैं.
जनरल डिबेट को कैसे देखें?
हालाँकि जनरल डिबेट जनता के लिए खुली नहीं है, मगर इसकी कार्यवाही UN Web TV पर लाइव और माँग पर उपलब्ध होगी.
आम बहस के सभी भाषण, संयुक्त राष्ट्र की डैग हैमर्शहॉल्ड लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं.
पिछली 78 आम बहसों में से अनेक की कार्यवाहियाँ, या उनके प्रमुख अंश, संयुक्त राष्ट्र की ऑडियो विज़ुअल लाइब्रेरी पर उपलब्ध हैं.