विश्व

श्रमिक आय में गिरावट से बढ़ती असमानता, टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर भी जोखिम

विश्व की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में श्रमिक आय में दर्ज की जा रही गिरावट की एक बड़ी वजह, कार्यस्थलों पर स्वचालन (automation) और कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) जैसे टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के कारण आए बदलाव हो सकती है.

यूएन श्रम एजेंसी की उपमहानिदेशक  सेलेस्ते ड्रेक ने बताया कि वैश्विक श्रमिक आय का हिस्सा, यानि कुल वैश्विक आय का श्रमिकों को मिलने वाले हिस्से में गिरावट आ रही है.

इसका अर्थ यह है कि बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था में कामगार अपना योगदान दे रहे हैं, लेकिन उन्हें इस आर्थिक वृद्धि का अपेक्षाकृत छोटा हिस्सा ही मिल पा रहा है.

“इसे बदले जाने की आवश्यकता है, चूँकि इससे असमानता बढ़ रही है, जिसका कामकाजी लोगों पर ग़ैर-आनुपातिक असर होगा.”

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने World Employment and Social Outlook: September 2024 Update, नामक अपने अपडेट में 36 देशों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया है. यह दर्शाता है कि विश्व भर में कुल आय में 2019 और 2022 के दौरान 0.6 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई है और उसके बाद से यह सपाट बनी हुई है.

कुल वैश्विक आय में मामूली नज़र आने वाली यह गिरावट, वार्षिक स्तर पर 2,400 अरब डॉलर की कमी को दर्शाती है. इसमें से लगभग 40 फ़ीसदी गिरावट कोविड-19 महामारी के दौरान तीन वर्षों, 2020 से 2022 में हुई.

चिन्ताजनक विषमताएँ

यूएन एजेंसी के आँकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में उत्पादन बढ़ा है, मगर उसी रफ़्तार से आय में प्रगति नहीं हुई है.

2004 से 2024 के दौरान, कामगारों के प्रति घंटा उत्पादन में, विश्व भर में 58 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

ILO में डेटा व विश्लेषण इकाई के प्रमुख स्टीवन कैपसोस ने इसे एक बेहद सकारात्मक रुझान क़रार देते हुए कहा कि यह उत्पादन का एक बड़ा स्तर है. लेकिन इसी अवधि में, आय में केवल 53 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई.

“यानि इस अवधि में उत्पादकता में हुई बढ़ोत्तरी और श्रमिक आय में हुई वृद्धि के बीच 5 प्रतिशत अंकों की खाई है, और श्रमिक आय की हिस्सेदारी में गिरावट के लिए यह ज़िम्मेदार है.

इस पृष्ठभूमि में, वैश्विक रोज़गार व सामाजिक स्थिति पर यूएन एजेंसी की रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारों द्वारा नीतिगत उपायों के अभाव में, जनरेटिव कृत्रिम बुद्धिमता (AI) का इस्तेमाल बढ़ने से आय में और अधिक ढलान नज़र आ सकती है.

स्टीवन कैपसोस के अनुसार, देशों की सरकारों के लिए यह ज़रूरी होगा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों के अनुरूप, ऐसी विषमताओं को दूर करने की कोशिशें की जाएं.

युवजन के लिए चुनौतियाँ

अपडेट के अनुसार, दुनिया भर में फ़िलहाल कामकाज से दूर युवजन के आँकड़े में मामूली गिरावट ही आई है. 2015 में यह आँकड़ा 21.3 प्रतिशत था, जोकि इस वर्ष 20.4 प्रतिशत दर्ज किया गया है.

अरब देशों में रोज़गार ना पाने वाले युवा कामगारों का प्रतिशत सबसे अधिक है (हर तीन में से एक युवा). वहीं, अफ़्रीका में यह 25 फ़ीसदी और एशिया व प्रशान्त क्षेत्र के लिए 20 फ़ीसदी है.

योरोप व मध्य एशिया में हर छह में एक व्यक्ति और उत्तरी अमेरिका में हर 10 में से एक व्यक्ति को रोज़गार नहीं मिल पा रहा है.

सामाजिक संरक्षा उपाय

यूएन श्रम एजेंसी ने बढ़ती विषमताओं के रुझान से निपटने के लिए कामगारों को सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा उपाय मुहैया कराने और एक उपयुक्त न्यूनतम तनख़्वाह पर बल दिया है.

इसके अलावा, ऐसी नीतियों को समर्थन दिया जाना होगा, जिनसे श्रमिकों व नियोक्ताओं (employers) के लिए सामूहिक मोलभाव करना और उत्पादकता में हुई प्रगति से मिलने वाले लाभ में हिस्सेदारी लेना सम्भव हो सके.

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