UNIFIL प्रवक्ता ऐन्ड्रिए टेनेन्टी ने बुधवार को लेबनान से एक वीडियो लिन्क के ज़रिये, न्यूयॉर्क मुख्यालय में पत्रकारों को ज़मीनी हालात से अवगत कराया.
उन्होंने कहा कि हिंसक टकराव की वजह से संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षकों के लिए ख़तरा पनपा है. अक्टूबर महीने की शुरुआत से अब तक 30 से अधिक घटनाओं में या तो शान्तिरक्षक घायल हुए हैं या फिर सम्पत्ति को नुक़सान पहुँचा है.
यूएन मिशन प्रवक्ता के अनुसार, इनमें से कुछ घटनाएँ, जानबूझकर किए गए हमले होने की आशंका है.
इस बीच, लेबनान की सरकार ने बताया है कि ग़ाज़ा युद्ध की पृष्ठभूमि में 8 अक्टूबर 2023 से अब तक, देश में 2,700 लोगों की मौत हुई है और 12 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं. इनमें 157 बच्चे हैं.
मंगलवार को हिंसा में कम से कम 82 लोगों के मारे जाने और 180 के घायल होने का समाचार है. इसराइली सेना द्वारा लोगों को अपने घरों से जाने के लिए आदेश दिए गए हैं, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं.
बताया गया है कि इसराइली सेना ने बुधवार को बालबेक शहर के सभी निवासियों को विस्थापन आदेश जारी किया है, जिससे स्थानीय निवासी सामूहिक रूप से विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए और उनमें भय व्याप्त हो गया.
इसके कुछ ही देर बाद, वहाँ हवाई हमले शुरू हो गए. अन्य इलाक़ों में भी बेदख़ली आदेश जारी किए जाने की जानकारी मिली है.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ दक्षिणी लेबनान में ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने के प्रयासों में जुटी हैं. इस क्रम में साराफ़न्द गाँव में 800 घर-परिवारों के लिए बोतलबन्द पानी, स्वच्छता सामग्री, बच्चों के कपड़े समेत अन्य आपूर्ति की व्यवस्था की गई है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने जनरेटर के लिए 500 लीटर ईंधन की आपूर्ति की है, ताकि जल कुँओं व साफ़-सफ़ाई व्यवस्था का काम जारी रखा जा सके.
लेबनान के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी समन्वयक इमरान रिज़ा ने हिंसा में बुनियादी ढाँचे और नागरिक प्रतिष्ठानों को पहुँचे नुक़सान और आम नागरिकों के हताहत होने पर गहरा क्षोभ प्रकट किया.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने हिंसक टकराव पर तुरन्त विराम लगाने की पुकार लगाई है और युद्धरत पक्षों को ध्यान दिलाया है कि आम नागरिकों की रक्षा करने के लिए हरसम्भव सतर्कता बरती जानी होगी.
उधर, खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, हिंसा के कारण कृषि कार्य प्रभावित हुआ है और लेबनान के ग्रामीण समुदायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे खाद्य असुरक्षा गहराने की आशंका है.