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लेबनान: इसराइल का ‘सीमित’ ज़मीनी सैन्य अभियान शुरू, यूएन की 42 करोड़ डॉलर की सहायता अपील

लेबनान: इसराइल का ‘सीमित’ ज़मीनी सैन्य अभियान शुरू, यूएन की 42 करोड़ डॉलर की सहायता अपील

ग़ाज़ा में इसराइली युद्ध की पृष्ठभूमि में भारी संख्या में लोगों का विस्थापन, इसराइल और लेबनान स्थित सशस्त्र गुट हिज़बुल्लाह के बीच हाल के समय में युद्ध में आई तेज़ी के मद्देनज़र हो रहा है. हिज़बुल्ला के लम्बे समय से नेता रहे हसन नसरल्लाह, शुक्रवार को एक इसराइली हमले में मारे गए हैं.

इसराइली सैन्य बलों ने कहा है कि इसराइल और लेबनान को अलग करने वाली ‘ब्लू लाइन’ सीमा के पार, सीमित स्तर पर लक्षित ढंग से एक ज़मीनी अभियान शुरू किया गया है. संयुक्त राष्ट्र मिशन द्वारा इस सीमा रेखा की निगरानी की जाती है.

यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) के प्रवक्ता येन्स लार्क ने बताया कि लेबनान में हालात अस्तव्यस्त हैं और हवाई हमलों से बचने के लिए भाग रहे हैं. इसराइली कार्रवाई में पिछले दो सप्ताह में अब तक एक हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 10 लाख से अधिक विस्थापित हुए हैं.

यूएन कार्यालय प्रवक्ता ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि अभी और अधिक संख्या में लोगों के विस्थापित होने की आशंका है. ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में ना तो फ़िलहाल आपूर्ति है और ना ही क्षमता है.

इसके मद्देनज़र, यूएन ने मंगलवार को 42 करोड़ डॉलर की यह अपील जारी की है ताकि जल्द से जल्द सहायता अभियान का दायरा व स्तर बढ़ाया जा सके.

यूएन मिशन मुस्तैद

लेबनान में यूएन अन्तरिम बल (UNIFIL) ने बताया कि इसराइल द्वारा सीमित स्तर पर ज़मीनी अभियान शुरू किए जाने के बारे में उन्हें सूचित किया गया है.

UNIFIL की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि “यह एक बेहद ख़तरनाक स्थिति है मगर शान्तिरक्षक अपनी तैनाती स्थलों पर बने हुए हैं.”

यूएन मिशन द्वारा गतिविधियों में नियमित रूप से बदलाव किया जा रहा है और आपात स्थिति के लिए योजनाओं को भी तैयार किया गया है. “शान्तिरक्षकों का बचाव व सुरक्षा सर्वोपरि है और सभी पक्षों को ध्यान दिलाया गया है कि उन्हें अपने दायित्वों का सम्मान करना होगा.”

लेबनान में यूएन मिशन में 50 से अधिक देशों के 10 हज़ार से अधिक शान्तिरक्षक हैं, और हम महीने सीमा पर ग़श्त लगाने समेत 14 हज़ार से अधिक गतिविधियों को पूरा किया जाता है.

मिशन ने सभी पक्षों से आग्रह किया है कि तनाव व टकराव को बढ़ाने वाले ऐसे क़दमों से पीछे हटना होगा, जिससे केवल हिंसा व रक्तपात हो.

मध्य पूर्व, बारूद के ढेर पर

इस बीच, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने आगाह किया है कि मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव, पूरे क्षेत्र को अपने लपेटे में ले सकता है जोकि मानवाधिकार और मानवतवादी नज़रिये से तबाही भरी स्थिति होगी.

“बड़ी संख्या में मासूम बच्चे, महिलाएँ और पुरुष मारे जा रहे हैं और बहुत अधिक विध्वंस को अंजाम दिया गया है.” लेबनान में अब तक 10 लाख से अधिक लोग जबरन विस्थापन का शिकार हुए हैं.

हिज़बुल्लाह द्वारा निरन्तर उत्तरी इसराइल पर रॉकेट हमले किए गए हैं, जिससे क़रीब 60 हज़ार से अधिक विस्थापित हैं.

मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, सभी पक्षों को सैन्य ठिकानों व आम नागरिकों व नागरिक प्रतिष्ठानों के बीच स्पष्टता से भेद करना होगा. साथ ही, आम नागरिकों, उनके घरों और बुनियादी ढाँचे की रक्षा के लिए अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का पालन किया जाना होगा.

ग़ाज़ा में हालात जस के तस

उधर, ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध के कारण आम फ़लस्तीनी बेहद पीड़ा से गुज़र रहा है. 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास व अन्य गुटों के आतंकी हमलों के बाद, इसराइली सेना की जवाबी कार्रवाई पिछले एक साल से जारी है.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) ने बताया कि ग़ाज़ा में आम नागरिकों को विशाल स्तर पर ज़रूरतें हैं.

यूएन एजेंसी की प्रवक्ता लुइस वॉटरिज ने बताया कि वहाँ लोगों को महसूस होता है कि उन्हें भुला दिया गया है और ये भी कि उनकी ज़रूरतें अन्य लोगों जितनी महत्वपूर्ण नहीं हैं. इतने तबाही भरे माहौल में उनकी आवश्यकताएँ बेहद बुनियादी हैं, भोजन, जल व आश्रय. मगर वे भी नज़रअन्दाज़ की जा रही हैं.

ग़ाज़ा में युद्ध के कारण 19 लाख फ़लस्तीनी विस्थापित हुए हैं, 41 हज़ार अब तक मारे जा चुके हैं. यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में 63 प्रतिशत इमारतें ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हुई हैं. मगर, पिछले 12 महीनों में स्थानीय लोगों ने जिस भयावह स्थिति का सामना किया है, उसे बयाँ नहीं किया जा सकता है.

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