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रोहिंज्या अपराधों के आरोप में, म्याँमार के कमांडर इन चीफ़ के गिरफ़्तारी वारंट की अर्ज़ी

रोहिंज्या अपराधों के आरोप में, म्याँमार के कमांडर इन चीफ़ के गिरफ़्तारी वारंट की अर्ज़ी

यह क़दम म्याँमार की सेना द्वारा राख़ीन प्रान्त में अल्पसंख्यक मुस्लिम रोहिज्या समुदाय को निशाना बनाकर वर्ष 2016 और 2017 में की हिंसा की आईसीसी द्वारा व्यापक जाँच करने के बाद उठाया गया है, जिसकी घोषणा बुधवार को की गई है.

आईसीसी के अभियोक्ता करीम ख़ान ने एक बयान में बताया, “मेरे कार्यालय ने निष्कर्ष निकाला है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि वरिष्ठ जनरल और कार्यवाहक राष्ट्रपति मिन आंग हलाइंग म्याँमार और आंशिक रूप से बांग्लादेश में रोहिंज्या के निर्वासन और उत्पीड़न के मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए आपराधिक ज़िम्मेदारी वहन करते हैं.”

ये आरोप, म्याँमार के तत्मादाव नाम से भी जाने जाने वाले सशस्त्र बलों द्वारा पुलिस बलों, सीमा रक्षकों और कुछ ग़ैर-रोहिंज्या लोगों की मिलीभगत के साथ, 25 अगस्त और 31 दिसम्बर 2017 के बीच किए गए कथित अपराधों पर आधारित हैं.

वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलाइंग फ़रवरी 2021 से सत्ता में हैं, जब सेना ने देश की निर्वाचित सरकार का तख़्तापलट करके सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया था, और सैकड़ों अधिकारियों, राजनैतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया था.

अत्याचारों के अनगिनत मामले

उस समय के घटनाक्रमों में, 10 लाख से अधिक रोहिंज्या लोगों को उनके घरों से भागने और बांग्लादेश में शरण लेने के लिए मजबूर करने के अलावा, अत्याचारों की अनगिनत कहानियाँ हैं, जिनमें लगभग 10 हज़ार रोहिंज्या पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और नवजात शिशुओं की व्यवस्थित रूप से हत्याएँ किया जाना शामिल है.

महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ लिंग आधारित हिंसा की भी भयानक ख़बरें मिली थीं, जिसमें बलात्कार और यौन हिंसा भी शामिल थी, और 300 से अधिक गाँव जलाकर राख कर दिए गए थे.

संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन मानवाधिकार उच्चायुक्त ज़ायद राआद अल-हुसैन ने उस क्रूर सैन्य अभियान को “जातीय सफ़ाए का एक बेहद सटीक उदाहरण” कहा था.

पहला आवेदन, और भी अर्ज़ियाँ

ICC के अभियोजक करीम ख़ान ने कहा, “यह म्याँमार सरकार के किसी उच्च-स्तरीय अधिकारी के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट के लिए पहला आवेदन है, जिसे मेरे कार्यालय ने दाख़िल किया है. और भी आवेदन दाख़िल किए जाएंगे.”

अभियोक्ता करीम ख़ान द्वारा दाख़िल किया गया यह आवेदन, व्यापक साक्ष्यों पर आधारित है, जिनमें देश के भीतर मौजूद गवाहों की गवाही, दस्तावेज़ी सबूत और वैज्ञानिक तथा दृश्य सामग्री शामिल है, जिसे प्रान्तों, नागरिक समाज और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के समर्थन से एकत्र किया गया है.

करीम ख़ान ने इस अर्ज़ी को दाख़िल करने में, रोहिंज्या समुदाय की तरफ़ से सहयोग के लिए दिखाए गए “विश्वास और दृढ़ प्रतिबद्धता” की सराहना की.

उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश सरकार का समर्थन और म्याँमार के लिए संयुक्त राष्ट्र स्वतंत्र जाँच तंत्र (IIMM) का सहयोग भी, जाँच को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक रहा है.

रोहिंज्या की आवाज़ें हैं बुनियाद

अभियोक्ता करीम ख़ान ने, बांग्लादेश के दक्षिणी इलाक़े में स्थित कॉक्सेस बाज़ार में शरणार्थी शिविरों की अपनी यात्राओं का भी ज़िक्र किया, जहाँ उन्होंने जीवित बचे हुए लोगों, युवा कार्यकर्ताओं और बुज़ुर्गों से बातचीत की, जिन्होंने अपनी कहानियाँ साझा कीं और न्याय की मांग की.

उन्होंने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का हमारा काम, उनकी सहनक्षमता और क़ानून की शक्ति में उनकी आशा को सही साबित करना चाहता है.”

करीम ख़ान ने, फ़रवरी 2022 में कॉक्सेस बाज़ार की अपनी पहली यात्रा के दौरान, जाँच में तेज़ी लाने और अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने की योजना की घोषणा की.

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज के घटनाक्रम, उस नए सिरे से केन्द्रित किए गए ध्यान की मज़बूती को दर्शाते हैं.

अगले क़दम

म्याँमार के वरिष्ठ सैन्य जनरल की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी करने का निर्णय, अब ICC के मुक़दमा-पूर्व चैंबर I के जजों के पास है, जो यह निर्धारित करेंगे कि क्या-क्या सबूत कार्रवाई के लिए आवश्यक हैं. यदि जजों की मंज़ूरी मिल जाती है, तो अभियोक्ता, ICC रजिस्ट्रार के साथ मिलकर मिन आंग हलाइंग की गिरफ़्तारी के प्रयासों का समन्वय करेंगे.

करीम ख़ान ने रोहिंज्या के लिए न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, और आने वाले महीनों में अतिरिक्त आवेदन प्रस्तुत करने की प्रतिज्ञा व्यक्त की.

उन्होंने कहा, “हम अपने सभी भागीदारों के साथ मिलकर यह दिखाएंगे कि रोहिंज्या लोगों को भुलाया नहीं गया है. और ये कि वे, दुनिया भर के सभी लोगों की तरह, क़ानून का संरक्षण पाने के हक़दार हैं.”

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