यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक ने बुधवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय व युद्धरत पक्षों से आग्रह किया कि युद्ध पर विराम लगाने के लिए एक राजनैतिक समाधान की तलाश की जानी होगी.
उनके अनुसार, यूक्रेनी बच्चे, मौजूदा चुनौतियों के समाधानों के लिए सुरक्षा परिषद पर निर्भर हैं. “हम ना तो उन्हें निराश कर सकते हैं और ना ही ऐसा होने देना होगा.”
यूक्रेन पर फ़रवरी 2022 में रूसी सैन्य बलों द्वारा पूर्ण स्तर पर आक्रमण किए जाने के बाद स्थानीय बच्चों पर गहरा असर हुआ है. अब तक 2,406 लड़के-लड़कियों की मौत या घायल होने की पुष्टि हुई है, यानि हर दिन औसतन दो बच्चे.
हालांकि वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. “हर एक संख्या के पीछे, अपने नाम के साथ एक बच्चा है. एक ज़िन्दगी की कहानी, और प्रियजन जिनकी उम्मीदें और सपने चकनाचूर हो गए हैं.”
यूनीसेफ़ की शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हिंसक टकराव की आँच में झुलसने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. 2024 के पहले 9 महीनों में बाल हताहतों की संख्या, 2023 के कुल आँकड़े से अधिक है.
युद्ध के कारण बड़ी संख्या में यूक्रेनी नागरिक विस्थापित हुए हैं, जिनमें 36 लाख लोग देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए, जबकि 67 लाख लोगों ने अन्य देशों में शरण ली है.
कैथरीन रसैल के अनुसार, हमले जारी रहने की वजह से यूक्रेन के कुछ इलाक़ों में बच्चों को हर दिन क़रीब छह घंटे बेसमेंट व अन्य भूमिगत स्थानों में बिताने पड़ रहे हैं.
डेढ़ हज़ार से अधिक शैक्षणिक संस्थानों और 660 स्वास्थ्य केन्द्र युद्ध में क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हुए हैं. ख़ारकीव समेत अन्य शहरों में कक्षाओं और खेलकूद के लिए मैदानों पर अब अस्थाई आश्रय स्थल बने हुए हैं और यही हाल मेट्रो स्टेशन का है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक ने कहा कि सर्दी के मौसम में बच्चों को जमा देने वाली ठंड का सामना करना पड़ रहा है. रूसी सैन्य बलों द्वारा यूक्रेन में पावर ग्रिड को निशाना बनाकर किए गए हमलों से हालात और विकट हुए हैं और बिजली व ऊर्जा उत्पादन की क्षमता घटकर केवल 50 फ़ीसदी रह गई है.
“यूक्रेन के कुछ हिस्सों में 18 घंटे तक बिजली आपूर्ति ठप हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप, यूक्रेन में अनेक बच्चे अब तापन व्यवस्था, सुरक्षित जल और साफ़-सफ़ाई समेत अन्य अति-आवश्यक सेवाओं के बिना रहने के लिए मजबूर हैं.”
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
कैथरीन रसैल ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गम्भीर असर हुआ है और बच्चों से उनका बचपन छीन लिया गया है.
बच्चों को निरन्तर हमलों, हिंसा के भय, ख़तरों से जूझना पड़ रहा है. उनके प्रियजन की जान गई है, विस्थापित होने की वजह से बच्चे अपने परिवारों से बिछड़ गए हैं और उनकी शिक्षा में व्यवधान आया है.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों से समर्थन का आग्रह किया ताकि बच्चों को इस दुस्वप्न से बचाने के लिए तत्काल क़दम उठाए जा सकें.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि अपने परिवार से बिछुड़ जाने वाले बच्चों को फिर से मिलाना होगा और उनकी राष्ट्रीयता को बदलने के लिए कोई भी क़दम उठाने से बचना होगा.
कैथरीन रसैल ने ज़ोर देकर कहा कि ज़रूरतमन्द परिवारों तक सुरक्षित माहौल में, बेरोकटोक मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों को रास्ता मुहैया कराया जाना होगा.