यूक्रेन में यूनीसेफ़ के अन्तरिम प्रतिनिधि जॉन मार्क्स ने कहा कि नए शैक्षणिक सत्र के पहले सप्ताह के दौरान, ड्निप्रो, कीव, लिविव और सूमी समेत अन्य इलाक़ों में हुए हमलों में शिक्षण केन्द्र क्षतिग्रस्त हुए हैं.
उन्होंने अपने वक्तव्य में इन हमलों में तीन बहनों की मौत होने पर दुख प्रकट किया.
सात वर्षीय ऐमिलिया, 18 वर्षीय डारिया और 21 वर्षीय यारिना की, 4 सितम्बर को पश्चिमी यूक्रेन में स्थित शहर लिविव में एक हमले के दौरान मौत हो गई थी. इस हमले में उनकी माँ की भी जान गई और पिता घायल हो गए थे. उनके अलावा भी इन हमलों में बच्चों समेत बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं.
जॉन मार्क्स ने कहा कि ये तीन बहनें अपने जीवन की शुरुआत ही कर रहीं थी. ऐमिलिया स्कूल खुलने के पहले दिन मौजूद थी, मगर फिर तीसरे दिन वापिस नहीं लौट पाई.
वहीं, सबसे बड़ी बहन यारिना अपनी स्कूली पढ़ाई समाप्त करन के बाद यूनीसेफ़ के एक साझेदार संगठन के साथ काम कर रहीं थी, जोकि कौशल प्रशिक्षण के ज़रिये युवा सशक्तिकरण पर केन्द्रित है.
यूनीसेफ़ के अन्तरिम प्रतिनिधि ने कहा कि आबादी वाले इलाक़ों में हमलों के बीच यह त्रासदीपूर्ण व्यथा यूक्रेन में आज बच्चों और युवजन के लिए वास्तविकता को परिलक्षित करती है.
हताहत आम नागरिकों की संख्या में वृद्धि
यूक्रेन में मानवाधिकारों की निगरानी के लिए यूएन मिशन के अनुसार, 26 अगस्त के बाद से रूसी सैन्य बलों के मिसाइल और बम हमलों में देश भर में भारी नुक़सान हुआ है.
इस अवधि में, सरकार के नियंत्रण वाले इलाक़ों में हुए हमलों में अब तक 64 आम नागरिकों की जान गई है और 392 घायल हुए हैं. इसके अलावा, नागरिक प्रतिष्ठानों व बुनियादी ढाँचों को भी क्षति पहुँची है. छह बच्चों की भी जान गई है और 43 घायल हुए हैं.
ये आँकड़े दर्शाते हैं कि हाल के दिनों में मृतक व घायल आम नागरिकों की संख्या में वृद्धि हुई है. अगस्त महीने में 184 लोग मारे जा चुके हैं और 856 घायल हुए हैं. इस वर्ष जुलाई महीने के बाद यह हताहतों की सबसे अधिक संख्या है.
रूस द्वारा किए गए हमलों में यूक्रेन में बिजली आपूर्ति सम्बन्धी बुनियादी ढाँचे को भी निशाना बनाया गया है, जिसकी वजह से देश भर में बिजली कटौती हो रही है. हाल के दिनों में हुए हमलों से स्कूलों, अस्पतालों, बाज़ारों और ऊर्जा सम्बन्धी अन्य बुनियादी ढाँचों को नुक़सान पहुँचा है.
रूसी क़ब्ज़े वाले इलाक़े
संयुक्त राष्ट्र जाँचकर्ताओं के अनुसार, यूक्रेन में रूसी नियंत्रण वाले इलाक़ों और रूस में भी आम नागरिकों के हताहत होने की ख़बर है.
4 सितम्बर को दोनेत्स्क शहर के एक बाज़ार में हुए हमले में दो बच्चों समेत चार आम नागरिक मारे गए, और सात अन्य घायल हुए हैं.
रूस के बेलगोरोड में 30 अगस्त को हुए एक हमले में पाँच लोगों की मौत होने की ख़बर है जबकि कई अन्य घायल हुए हैं. हालांकि, यूएन मानवाधिकार निगरानी मिशन ने इन आँकड़ों की पुष्टि नहीं की है.
तबाह ज़िन्दगियाँ, पढ़ाई में व्यवधान
यूक्रेन में पूर्ण स्तर पर रूसी आक्रमण की शुरुआत से अब तक, 2,180 से अधिक बच्चों की या तो जान गई है या फिर वे घायल हुए हैं. 1,300 शिक्षण केन्द्र ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.
हालांकि, इनकी वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है.
यूक्रेन में यह शिक्षा में व्यवधान का पाँचवाँ वर्ष है. अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुके युद्ध से पहले, वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई ठप हो गए थी, और बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में भारी नुक़सान हुआ है.
शिक्षा को बचाने की पुकार
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि जॉन मार्क्स ने ध्यान दिलाया कि 9 सितम्बर को शिक्षा व्यवस्था की हमलों से रक्षा करने के लिए चौथा अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सर्वमत से लिए गए एक निर्णय में यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस स्थापित किया गया था. इस क्रम में, शिक्षा व संस्कृति पर केन्द्रित यूएन एजेंसी (यूनेस्को) और यूनीसेफ़ से उन बच्चों की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाने की अपील की गई, जिन्हें हिंसक टकराव से प्रभावित देशों में रहना पड़ रहा है.
जॉन मार्क्स ने ज़ोर देकर कहा कि स्कूलों की हमेशा रक्षा की जानी होगी, जहाँ बच्चों को सीखने-सिखाने का एक ऐसा माहौल प्रदान किया जाता है, जिससे वे विकसित व फल-फूल सकें.
गहन पीड़ा
यूक्रेन में यूनीसेफ़ देश की सरकार और अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर बच्चों को सीखने-सिखाने, उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए समर्थन देने और बचपन के ऐहसास को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है.
इसके तहत, स्कूलों और किंडरगार्टन में पुनर्वास शरण केन्द्र स्थापित किए गए हैं, पढ़ने-लिखने के लिए सामग्री व उपकरण की व्यवस्था की गई है. और शिक्षकों को मानसिक स्वास्थ्य व मनोसामाजिक समर्थन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.
इसके अलावा, आवाजाही केन्द्रों और मनोचिकित्सकों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की सचल टीमें उन बच्चों व परिवारों को मदद मुहैया करा रही हैं, जिन्हें लड़ाई के अग्रिम मोर्चों से सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है.
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने कहा कि यूक्रेन के बच्चे बहुत कुछ सह चुके हैं. उनकी हमलों से रक्षा की जानी होगी. ऐमिलिया की तरह वे बस स्कूल जाना चाहते हैं, पढ़ना चाहते हैं, खेलना-कूदना और फिर से बच्चा बन जाना चाहते हैं.