Uncategorized

भारत: बाल विवाह की रोकथाम की अनूठी योजना – अद्विका

भारत: बाल विवाह की रोकथाम की अनूठी योजना – अद्विका

भारत के पूर्वी प्रदेश ओडिशा के तटीय गोपालपुर में सुबह का सूरज उग रहा है. यह नया सूरज, बच्चों के लिए एक नए अवसर का आग़ाज़ करता प्रतीत होता है. 

यह अवसर है – शिक्षा के लिए स्कूल जाने का मौक़ा, जो उन्हें अपने सपनों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने का रास्ता दिखाएगा. 

लेकिन लड़कियों की बात करें तो अक्सर उनके लिए पहली माहवारी के साथ ही अवसरों का यह सिलसिला अचानक रुक जाता है.

ओडिशा में लड़की के पहले मासिक धर्म का जश्न मनाने की स्थानीय परम्परा है – भोज. इस उत्सव में लड़की के नारीत्व की शुरुआत का जश्न मनाया जाता है, रिश्तेदारों को आमंत्रित किया जाता है, तथा लगातार सात दिनों तक संगीत एवं नृत्य होता है. 

इसे इस बात का संकेत भी माना जाता है कि अब वो लड़की विवाह के लिए तैयार है.

अद्विका पहल की एक युवा सदस्य शिलो प्रधान अपना अनुभव बताते हुए कहती हैं, “दावत में कुछ ऐसे लोग भी थे, जो मुझे अपने घर की बहू बनाना चाहते थे. लेकिन उस दौरान मुझे शादी के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी. मेरे भावी ससुराल वाले मेरे लिए लहंगा (भारतीय पारम्परिक पोशाक) भी लेकर आए थे. उस समय मेरी उम्र केवल 14 साल थी.”

10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के 83 लाख से अधिक बच्चों की आबादी वाले ओडिसा प्रदेश में, देश में दर्ज बाल विवाह के लगभग 20 प्रतिशत मामले सामने आए हैं. 

हालाँकि यह राष्ट्रीय औसत 23.3 प्रतिशत (NFHS 5 आँकड़े) से कम है. प्रति 1,000 लड़कों पर 894 लड़कियों की दर से इस राज्य में जन्म के समय लिंग अनुपात में भी गिरावट देखी गई है. 

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 7.6 प्रतिशत किशोरियाँ, 19 वर्ष की आयु तक या तो गर्भवती हो जाती हैं या माँ बन जाती हैं. 

यूनीसेफ़ की अद्विका परियोजना का मक़सद, बाल संरक्षण मुद्दों के बारे में जागरूकता और सामुदायिक भागेदारी बढ़ाना है.

© UNICEF/Prashanth Vishwanathan

गोपालपुर के इन गाँवों में, लड़कियों को असंख्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है.

अद्विका की एक अन्य युवा सदस्य आशा साहू बताती हैं, “मेरी माँ को, हर किसी ने मेरा विवाह शादी करवाने की सलाह दी.” 

उनका कहना था, “अब जब आपने अपनी बड़ी बेटी की शादी कर दी है, तो छोटी सी दुकान से गुज़ारा कैसे करेंगे. इसकी आमदनी से अपनी बेटी को इंजीनियरिंग कॉलेज कैसे भेजेंगे?’ मेरी माँ ने उनकी बातों में आकर मुझसे अपनी शादी करने को कहा. लेकिन मैंने साफ़ इनकार कर दिया! मैंने उनसे कहा कि मैं कामकाज करना चाहती हूँ, जीवन में सफल होना चाहती हूँ. लेकिन मेरी माँ इससे सहमत नहीं थीं.” 

राज्य में इस क्षेत्र में बाल विवाह एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुजाता सुभदर्शनी बताती हैं, “उस समय, बाल विवाह के मसले को गम्भीरता से नहीं लिया जाता था और यह पूरे गाँव में प्रचलित था.”

“मैं सभी को बाल विवाह और कम उम्र में गर्भधारण के ख़तरों के बारे में बताती थी कि इससे मृत बच्चों के पैदा होने और माँ की मृत्यु होने का जोखिम रहता है.”

बाल विवाह रोकने के लिए एक सामुदायिक रैली.

© UNICEF/Prashanth Vishwanathan

अद्विका – “मैं अद्वितीय हूँ”

ओडिशा सरकार ने, 2019 में यूनीसेफ़ के सहयोग से, 2030 तक प्रदेश में बाल विवाह को ख़त्म करने के लिए पाँच वर्षीय (2019-24) रणनैतिक कार्य योजना (SAP) शुरू की. 

इस योजना में विभिन्न विभाग, नागरिक समाज, समुदाय, परिवार, किशोर और युवजन को शामिल किया गया. इसके तहत, अक्टूबर 2020 में अद्विका कार्यक्रम की नींव रखी गई.

ओडिशा सरकार में समाज कल्याण विभाग की ज़िला समन्वयक आबिदा परवीन ने बताया, “पहले बाल विवाह बहुत आम था, क्योंकि यहाँ के गाँवों में लड़कियों को बोझ समझा जाता था. उनका मानना था कि जितनी जल्दी हो सके लड़कियों की शादी कर देना ही बेहतर है.”

अद्विका योजना का लक्ष्य, राज्य संरचनाओं और तंत्रों को मज़बूत करना, विभिन्न विभागों के बीच बैठक एवं चर्चा आयोजित करना, बाल संरक्षण मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, किशोरों को सशक्त बनाना तथा सामुदायिक भागेदारी समेत विभिन्न रणनीतियों के ज़रिए बाल विवाह को रोकना है.

इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए, अद्विका योजना के तहत बहु-क्षेत्रीय कार्य बल बनाया गया, ज़िला एवं उप-ज़िला प्रणालियों की क्षमता बढ़ाई गई, एक व्यापक प्रशिक्षण पैकेज व निगरानी ढाँचे का विकास, एवं कार्यान्वयन किया गया.

कार्यक्रम में, शिक्षा, कौशल विकास और नेतृत्व प्रशिक्षण के ज़रिए, किशोरों को सशक्त बनाने, सामुदायिक जुड़ाव में उनकी भागेदारी बढ़ाने तथा नागरिक संवाद के लिए विभिन्न मंच स्थापित करने को प्रोत्साहन दिया गया.

एक सामुदायिक ज़िम्मेदारी

अद्विका योजना के तहत अलबत्ता, बाल-विवाह की कुरीति की समाप्ति के लिए, सभी सदस्य एवं वर्ग एकजुट हुए हैं, लेकिन समुदाय को यह समझाना कि बाल विवाह बाल अधिकारों के विरुद्ध है, एक बड़ी चुनौती थी.

एक गाँव की सरपंच सस्मिता कुमारी कहती हैं, “जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घरों में जाती थीं, तो लोग उनके साथ बुरा व्यवहार करते थे. उन्हें परेशान करते, और दुर्व्यवहार करते.” 

तब उन्होंने ख़ुद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जाने की ज़िम्मेदारी संभाली. अब अगर बाल विवाह का कोई मामला सामने आता है, तो लोगों को मालूम है कि मदद के लिए किसके पास जाना है.

सस्मिता कुमारी, लोगों तक मज़बूती से सन्देश पहुँचाने के लिए, बाल विवाह से जुड़े जोखिमों और नतीजों को दोहराने के लिए अपने समुदाय में रैलियाँ आयोजित करती हैं. 

वह कहती हैं, “हम रैलियों के ज़रिए, अपने समाज की ज़्यादा से ज़्यादा समस्याओं का हल करने की कोशिश करते हैं. हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वो कम उम्र के बच्चों की शादी नहीं करें. यदि वे इसकी उपेक्षा करते हैं, तो यह ग़ैरक़ानूनी होगा और अपराध माना जाएगा.” 

बाल विवाह के मामलों में कमी लाने में शिक्षकों व स्कूलों की भी महत्वपूर्ण और प्रभावशाली भूमिका रही है.

स्थानीय सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य राजेश मोहंती ने इसे अपनी प्राथमिकता बनाया. वो कहते हैं, “जब मैं इस कार्यक्रम से जुड़ा, तो हमने किशोर लड़कियों व उनके माता-पिता के साथ एक संयुक्त बैठक रखी. हम कम उम्र में बाल विवाह के प्रस्ताव का विरोध करते हैं; हम इसमें बच्चों पर होने वाले असर को उजागर करते हैं. पीटीए बैठक में, हम ख़ासतौर पर माता-पिता को इसके अच्छे-बुरे पहलुओं से अवगत करवाते हैं.”

 अद्विका समूह की लड़कियाँ, जिन्होंने बाल विवाह को ना कहकर शिक्षा को अपनाया, समुद्र तट पर खेलते हुए.

© UNICEF/Prashanth Vishwanathan

जीवन का अधिकार 

अद्विका का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है. गोपालपुर अब बाल विवाह मुक्त है. हालाँकि छिटपुट विवाहों की ख़बरें अब भी आती रहती हैं, लेकिन  इस प्रणाली से बाल विवाह को रोकने में बहुत मदद मिली है.

ओडिशा सरकार में समाज कल्याण विभाग की ज़िला समन्वयक आबिदा परवीन कहती हैं, “इसमें अद्विका योजना का सर्वाधिक योगदान रहा है. सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर प्रत्येक शनिवार को अद्विका कार्यक्रम होता है.”

“सभी लड़कियाँ, चाहे स्कूल जाती हों या स्कूल से बाहर हो, वहाँ इकट्ठा होती हैं और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर चर्चा करती हैं. कम उम्र में शादी से लड़की के शरीर और दिमाग़ पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों के बारे में वहाँ खुलकर बात होती है. इसलिए इतना बड़ा अन्तर देखने को मिला है और हम बाल विवाह पर काफ़ी हद तक अंकुश लगाने में कामयाब हुए हैं.”

Source link

Most Popular

To Top