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भारत: कुछ मदद, कुछ आत्मबल, लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों को मज़बूती | UNFPA

भारत: कुछ मदद, कुछ आत्मबल, लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों को मज़बूती | UNFPA

विद्या जोशी के दिन की शुरुआत होती है सुबह 6 बजे, कुछ शान्त पलों के साथ. जब दुनिया सो रही होती है, तब वह और उनके पति, भोर से ही पूरे दिन की तैयारी में लग जाते हैं. 

विद्या अपने परिवार के लिए भोजन पकाती हैं, जबकि उनके पति बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करते हैं. उनका जीवन, दोहरी ज़िम्मेदारियों से भरा हुआ है: एक तरफ़ जहाँ वो एक समर्पित माँ हैं, वहीं दूसरी ओर लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों के लिए एक मज़बूत समर्थक.

उनकी 14 वर्षीय बेटी गार्गी सुबह की भागदौड़ के बीच, आशा भरी आवाज़ में उनसे पूछती है, “माँ, क्या आप जल्दी घर आएँगी ताकि हम स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम की पोशाक के लिए ख़रीदारी करने जा सकें?” 

विद्या गार्गी को निराश नहीं करना चाहतीं, अतः वह सिर झुका कर हामी भर देती हैं. हालाँकि उन्हें मालूम है कि आज उनका दिन बहुत व्यस्त रहने वाला है, क्योंकि उन्हें सीकर, राजस्थान में वन स्टॉप सेंटर (OSC) में जाना है.

विद्या सुबह 10 बजे कार्यालय पहुँचती हैं. OSC लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों के लिए एक सुरक्षित स्थान है, वह मानो उनका दूसरा घर है. 

ग्रिल वाले गेट के पीछे एक टीम कार्यरत है, जो पीड़ितों को आश्रय, परामर्श, दयालु देखभाल, और चिकित्सा व क़ानूनी सहायता प्रदान करती है. इस केन्द्र की व्यवस्थापक और OSC की संचालन रीढ़, विद्या, हमेशा कार्रवाई के लिए तैयार रहती हैं.

विद्या बताती हैं, “हमें इस तरह काम बाँटा गया है कि दिन हो या रात, किसी भी पीड़ित की अनदेखी न हो. कभी भी आपात स्थिति हो सकती है, और मुझे हर समय उपलब्ध रहना पड़ता है.” 

उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. वह कहती हैं, “असल में, यह दिन-रात, सातों दिन यानि 24×7 चलने वाला काम है.”

सीकर, राजस्थान में वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक, विद्या जोशी.

आज का दिन एक युवा महिला के आगमन से शुरू हुआ, जो अपने बच्चे और माँ के साथ केन्द्र में आई है. माँ अपनी बेटी की ओर इशारा करते हुए कहती है, “इसका पति लगातार इसे दहेज के लिए परेशान कर रहा है.” 

विद्या धैर्यपूर्वक उनकी बात सुनती हैं और काउंसलर से कहती हैं कि वह उस युवा महिला का बयान दर्ज कर ले.

विद्या यह परामर्श ख़त्म करके खड़ी हुई ही थीं कि उन्हें एक 16 वर्षीय लड़की की सिसकियाँ सुनाई देती हैं.  यह लड़की अपने नवजात शिशु को गोद में लिए बैठी है. विद्या उसके पास जाकर बैठ जाती हैं, और लड़की के कमज़ोर शरीर को अपनी बाहों में समेटकर ढाँढस बँधाती हैं. लड़की बताती है कि वह घर वापस नहीं जाना चाहती. उसका बयान 12 बजे तक दर्ज होना है, और अभी 11 बज चुके हैं.

यह बयान मजिस्ट्रेट, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत रिकॉर्ड करते हैं, जो जाँच के दौरान स्वीकारोक्ति रिकॉर्ड करने का क़ानूनी प्रावधान है. 

सौभाग्य से, क़ानूनी परामर्शदाता मधु जल्दी ही आने वाली हैं ताकि लड़की को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जा सके. यह महत्वपूर्ण क़दम, लड़की को क़ानूनी न्याय दिलाने का रास्ता दिखाएगा.

UNFPA का समर्थन

इस केन्द्र को करुणा व व्यवस्थित तरीक़े से संचालित करने की विद्या की इन क्षमताओं को, UNFPA के प्रशिक्षण से अपूर्व बल मिला है. परामर्श कौशल लिंग आधारित हिंसा (GBV) केस प्रबन्धन, मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोवैज्ञानिक समर्थन सेवाओं, और प्रासंगिक कानूनों पर कार्यशालाओं से उन्हें पीड़ित-केन्द्रित देखभाल प्रदान करने के लिए आवश्यक कौशल हासिल हुआ है.

विद्या उस युवती माँ का हाथ पकड़े हुए उसकी मदद कर रहीं हैं, तभी उनका फ़ोन बजने लगता है. वह फ़ोन उठाती हैं, दूसरी तरफ़ कॉल में एक अन्य युवती की घबराई हुई आवाज़ सुनाई देती है. “वह मुझे लगातार परेशान कर रहा है, और धमकी दे रहा है कि वह मेरी तस्वीरें ऑनलाइन पोस्ट कर देगा.” 

वो मदद की गुहार लगाते हुए कहती है, “कृपया, इस नम्बर पर कॉल करके, उसे ऐसा करने से रोक लें.”

181 हेल्पलाइन पर उसकी बात सुनते हुए विद्या उसे आश्वस्त करती हैं कि वो लड़के से बात करेंगी. यह निशुल्क लाइफ़ लाइन, लिंग आधारित हिंसा का सामना कर रही महिलाओं और लड़कियों के लिए समर्थन का अहम साधन बन चुकी है.

सीकर के वन स्टॉप सेंटर के कर्मचारीगण.

विद्या बताती हैं, “साइबर अपराध से सम्बन्धित मामलों में बहुत वृद्धि हो रही है.” केन्द्र के सामने कई ऐसे मामले आए हैं, जहाँ लड़के रिश्ते समाप्त करने पर, संवेदनशील तस्वीरें सोशल मीडिया पर लीक करने की धमकी देते हैं.

विद्या का OSC, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, और महिला एवं बाल विकास विभाग की मदद से, सफलतापूर्वक इन जटिल चुनौतियों का सामना करते हुए, पीड़ितों को अपने जीवन के पुनः निर्माण में सक्षम बनाता है. 

वर्ष 2021 में WHO द्वारा चलाए गए महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा (VAW) संस्थागत सर्वेक्षण में, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले केन्द्रों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त उनका OSC, उनके असाधारण नेतृत्व का प्रमाण है.

बातचीत के दौरान, विद्या का फोन फिर से बज उठता है. यह गार्गी का कॉल है, जो ख़रीदारी के अधूरे वादे से निराश है. विद्या उसे आश्वस्त करती हैं कि वे अगले दिन उसके साथ ज़रूर जाएँगी. कॉल ख़त्म होने के बाद वह सोच में पड़ जाती हैं, “मैं यह सब उसे किस तरह समझाऊँ?”

उस लड़के को फ़ोन किया जाना अभी बाक़ी है, जिसने लड़की को ऑनलाइन दुर्व्यवहार की धमकी दी है — यानि काम अभी पूरा नहीं हुआ है….

विद्या, घर एवं कामकाज, दोनों पहलुओं के बीच सन्तुलन बनाते हुए काम करती हैं. दोनों ही किरदारों में वो किसी हीरो से कम नहीं हैं. वह प्रतिदिन घरेलू ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ, जटिल क़ानूनी एवं भावनात्मक चुनौतियों का भी सामना करती हैं. 

उनकी कहानी उन असाधारण महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है, जो अपने सम्पूर्ण जीवन को बदलाव लाने के लिए समर्पित कर देती हैं.

यह कहानी पहले यहाँ प्रकाशित हुई,

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