संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने 22 सितम्बर को शुरू हो रहे भविष्य के शिखर सम्मेलन को समर्थन देने के लिए, कार्रवाई करने की वैश्विक पुकार लगाते हुए यह बात कही है.
यूएन महासचिव ने, गुरूवार को ‘भविष्य का शिखर सम्मेलन के लिए वैश्विक पुकार कार्यक्रम’ में कहा, “हमें वैश्विक एकजुटता की आज ज़रूरत है और भविष्य की पीढ़ियों के साथ, वैश्विक चिन्ताओं वाले अहम मुद्दों के बेहतर प्रबन्धन और एक नवीन संयुक्त राष्ट्र के साथ, नए दौर की चुनौतियों का मुक़ाबला किया जा सकेगा.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा संस्थान, बदलते समय की ज़रूरतों के अनुरूप ख़ुद को ढाल सकेंगे.
भविष्य के शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों से, भविष्य के समझौते (Pact of Future) को अपनाने से पहले, विचार-विमर्श को पूरा करने की अपेक्षा है.
इसमें टिकाऊ विकास लक्ष्यों की पारक्पाति और उभरती चुनौतियों व अवसरों का सामना करने के लिए एक रास्ता प्रशस्त किया जाएगा.
इस सम्मेलन में एक वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट और भविष्य की पीढ़ियों पर एक घोषणा पत्र भी अपनाया जाएगा.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि अलबत्ता भविष्य का शिखर सम्मेलन केवल 22 और 23 सितम्बर को होगा, मगर यहाँ तक पहुँचने में वर्षों का समय लगा है.
समय के भँवर में
यूएन प्रमुख ने आगाह करते हुए कहा कि आज के दौर की चुनौतियाँ, उन्हें हल करने के लिए मौजूद संसाधनों या उपकरणों की क्षमता से कहीं अधिक रफ़्तार से आगे बढ़ रही हैं.
और ऐसा पुराने पड़ चुके संस्थानों के कारण है, जो किसी अन्य दौर और किसी अन्य दुनिया के लिए तैयार किए गए थे.
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद, समय के भँवर में फँसी हुई है, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय ढाँचा पुराना पड़ चुका है और बेअसर हो चुका है, और अनेक उभरते मुद्दों का सामना करने के लिए दुनिया के पास प्रभावशाली उपकरण संसाधन नहीं हैं.
भविष्य दृष्टि, साहस, एकजुटता की पुकार
यूएन प्रमुख ने भविष्य-सम्मेलन के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, तीन समझौतों के मसौदों पर सहमति कराने की ख़ातिर, सदस्य देशों से, तेज़ रफ़्तार, भविष्य दृष्टि, साहस, एकजुटता और समायोजन करने की भावना के साथ काम करने का आहवान किया है.
एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र की एक एक ऐसे मंच के रूप में प्रशंसा भी की जो प्रमुख हितधारकों को, विशेष रूप से वैश्विक उथल-पुथल के दौर में एकत्र होने का स्थान मुहैया कराता है.
उन्होंने आग्रह करते हुए कहा, “मैं तमाम देशों की सरकारों से, यह सुनिश्चित करने की अपील करता हूँ कि वो उस हद तक आशा और विस्वास बहाल करने के लिए यथासम्भव महत्वाकांक्षी हों, जिसकी हमारे दौर की बेतहाशा चुनौतियों का सामना करने के लिए ज़रूरत है, जिसमें एक नई वैश्विक सहमति भी शामिल हो.”