Uncategorized

बिहार: रात्रि चौपाल, एक स्वस्थ भविष्य का मार्ग खोलती सांध्य बेला

बिहार: रात्रि चौपाल, एक स्वस्थ भविष्य का मार्ग खोलती सांध्य बेला

बिहार के शेख़पुरा के छह ब्लॉकों में जोड़ों, युवाओं और किशोरों को लक्षित करती इस परियोजना का उद्देश्य, व्यापक यौन और प्रजनन स्वास्थ्य (SRH) सेवाएँ प्रदान करने के लिए सरकारी प्रणालियों को मज़बूत करना है. 

शेख़पुरा में दोपहर की गर्मी अपेक्षा से अधिक है, लेकिन शिवानी को इसकी परवाह नहीं. वह घर-घर जाकर जोश से दरवाज़ों पर दस्तक देती हैं और अपने होठों पर मुस्कान लाकर, एक जाने-पहचाने अन्दाज़ में कहती हैं, “कल शाम को चौपाल है, सबको आना है!” गाँव में उत्साह की लहर फैल जाती है जो, अगली शाम कुछ विशेष होने का वादा करती है.

“कल शाम को चौपाल है, सबको आना है!”

24 वर्षीय उभरती हुई डॉक्टर, शिवानी ने एक ‘युवामित्र’ के रूप में अपनी राह खोजी. युवामित्र, रात्रि चौपाल (शाम की सामुदायिक बैठकों) के लिए स्थानीय लोगों को जुटाने वाला एक युवा समुदाय है. 

शुरुआत में वित्तीय स्वतंत्रता के लिए कार्यक्रम से जुड़ने वाली शिवानी की प्रतिबद्धता तब गहरी हो गई जब उन्होंने अपने काम के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य (एसआरएच) परिणामों पर हुए प्रभाव अपनी आँंखों से देखे. उन्होंने पिछले चार वर्षों से 100 से अधिक रात्रि चौपालें आयोजित की हैं, जो समुदाय की भलाई की ख़ातिर उनके समर्पण का प्रमाण है.

24 वर्षीय शिवानी को ‘युवा मित्र’ बनकर अपना उद्देश्य मिला. ‘युवा मित्र’ एक युवा समूह है, जो रात्रि चौपाल के लिए स्थानीय लोगों को एकत्रित करता है.

 रात्रि चौपाल, साधारण बैठकों से अलग, तारों भरे आसमान के नीचे लगाई जाती हैं, जहाँ लोकप्रिय फ़िल्मों के गीतों की धुनें हवा में तैरती हैं, जो युवा और बुज़ुर्गों, दोनों को वहाँ खींच लाती हैं. 

विभिन्न पंचायतों में सुलभ स्थानों पर आयोजित होने वाली रात्रि चौपाल, हर पखवाड़े आयोजित की जाती है. इसमें पिको-प्रोजेक्टर का उपयोग करके, परिवार नियोजन, किशोर स्वास्थ्य, बाल विवाह और किशोरावस्था में गर्भावस्था पर लघु फिल्में प्रदर्शित की जाती हैं, जिससे यह स्थान सीखने और मनोरंजन का केन्द्र बन जाता है. 

शाम की चौपाल, दिहाड़ी मज़दूरों और प्रवासियों की अधिकतम भागेदारी सुनिश्चित करती हैं, जबकि विचारोत्तेजक दृश्य महत्वपूर्ण चर्चा को प्रेरित करते हैं, तथा खुले संवाद को बढ़ावा देते हैं.

शिवानी स्वीकार करती हैं, “शुरुआत में प्रगति धीमी थी, लेकिन रात्रि चौपाल के ज़रिए,  निरन्तर जुड़ाव से, गर्भनिरोधक के उपयोग में एक मूर्त वृद्धि हुई है, जिसे मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशाओं) – स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी सराहा है. 

आशाओं के साथ मिलकर काम करते हुए, युवामित्र यह ट्रैक कर सकते हैं कि वास्तविक जीवन में उनके काम से किस तरह के बदलाव हो रहे हैं.

रात्रि चौपाल में, सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार महत्वपूर्ण मुद्दों का निपटान किया जाता है: 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र में ही गर्भधारण करने को बढ़ावा देना, जन्म के बीच न्यूनतम 3 साल के अन्तराल की हिमायत, और पारस्परिक सहमति व गर्भनिरोधक विकल्पों के ज्ञान के माध्यम से, सूचित परिवार नियोजन निर्णयों को बढ़ावा देना.

इन समुदायों को शामिल करने और यौन व प्रजनन स्वास्थ्य (एसआरएच) परिणामों को बढ़ाने में कार्यक्रम की सफलता की सराहना, प्रदेश और शेख़पुरा ज़िला प्रशासन, दोनों ने की है. 

शेख़पुरा ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा, “रात्रि चौपाल एक अत्यधिक प्रभावी पहल है. इससे सामुदायिक दृष्टिकोण में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है, जिसमें स्थाई और अस्थाई परिवार नियोजन विधियों को अपनाने वाले जोड़ों में वृद्धि हुई है. इन सेवाओं की मांग में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.”

बदलाव की बयार बाहर की ओर बहकर, सशक्त निर्णय लेने की एक लहर सी बनाती चलती है. सास की भूमिकाओं में भी महिलाएँ, पारम्परिक पूर्वाग्रहों को तोड़ते हुए, सहयोगी के रूप में आगे बढ़ रही हैं. वे इस नवीन जानकारी को युवा पीढ़ियों के साथ साझा करती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि एक ऐसा भविष्य हो जहाँ सूचित विकल्प सामान्य बन जाएँ. 

चौपाल में मौजूद एक सास ने बताया, “मेरे समय में, मुझे बहुत सारे बच्चों के होने के नतीजे की समझ नहीं थी. मैं अपनी बहू के लिए ऐसा नहीं चाहती. हम यहाँ जो सीखते हैं, मैं उसे सभी के साथ साझा करती हूँ.”

ज़िला समन्वयक द्वारा प्रस्तुत फिल्में देखने के लिए, चौपाल में एकत्र हुई महिलाएँ.

कई रात्रि चौपालों में भाग ले चुकी एक विवाहित महिला ने बताया, “मेरी एक छोटी बेटी है जो अब 4 साल की है. रात्रि चौपाल से पहले मुझे यह नहीं मालूम था कि बच्चों के जन्म के बीच ख़ुद के लिए थोड़ा समय निकालना कितना महत्वपूर्ण है.”

“अब मुझे इसकी जानकारी है, और मैं अपनी बेटी के लिए, अपने परिवार की योजना उसी के अनुसार बनाऊंगी.” 

उन्होंने साहसपूर्वक कहा, “यह निर्णय (बच्चों के जन्म में अन्तर) हमारा होना चाहिए. महिलाएँ घर और परिवार चलाती हैं. इसलिए, हमारे बच्चे कब पैदा हों, यह निर्णय हमारा होना चाहिए.”

युवा महिलाओं और पुरुषों को सही जानकारी देकर, एक ऐसे आधार का निर्माण किया जा रहा है, जहाँ पुरानी पीढ़ी सहयोगी के रूप में उभर रही है, और शेख़पुरा का भविष्य दोबारा लिखा जा रहा है. 

यह कार्यक्रम, और शिवानी जैसी इसकी नायिकाएँ, एक स्वस्थ कल का निर्माण कर रही हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी पीछे न छूट जाए.

Source link

Most Popular

To Top