विश्व

बांग्लादेश में नया राजनैतिक दौर सुधारों के लिए एक ‘ऐतिहासिक अवसर’

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने शुक्रवार को ये विचार व्यक्त करते हुए, हाल के समय में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के सम्बन्ध में हुई हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन के लिए जवाबदेही निर्धारित किए जाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया है.

ग़ौरतलब है कि उन प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को अपनी सरकार से इस्तीफ़ा देना पड़ा था, जिसके बाद वो भारत चली गई थीं.

बाद में, एक अन्तरिम सरकार का गठन हुआ, जिसका मुख्य सलाहकार, देश के नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस को बनाया गया और उन्होंने 8 अगस्त को राजधानी ढाका में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में, इस पद की शपथ ग्रहण की थी.

सरकार व संस्थानों में फिर से जान फूँकने का अवसर

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा है कि बांग्लादेश में मौजूदा परिवर्तन का दौर, देश के संस्थानों में सुधार करने और उनमें फिर से जान फूँकने के साथ-साथ बुनियादी स्वतंत्रताओं और नागरिक स्थान की बहाली के लिए एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान करता है. इसमें देश के भविष्य का निर्माण करने में हर किसी को एक भूमिका निभाने का मौक़ा दिया जाना भी शामिल है.

बांग्लादेश में सरकारी रोज़गारों में आरक्षण कोटा निर्धारित किए जाने के विरोध में, मध्य जून में विश्वविद्यालय परिसरों में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए थे, जो कुछ ही दिनों या सप्ताहों के भीतर देशभर में फैल गए थे.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने, बांग्लादेश में हाल के महीनों में रही अशान्ति पर अपनी प्रारम्भिक रिपोर्ट जारी की है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है, “ऐसे प्रबल संकेत हैं कि इन सम्भावनाओं के बारे में और अधिक स्वतंत्र जाँच की जाएगी कि सुरक्षा बलों ने स्थिति से निपटने के लिए अनावश्यक और ज़रूरत से अधिक बल प्रयोग किया.

क़ानून और व्यवस्था बहाल करें

5 अगस्त को, तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की सरकार के इस्तीफ़े के बाद, देश में लूटपाट, आगज़नी और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लोगों पर हमलों की ख़बरें मिली थीं.

साथ ही, पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी और पुलिस के सदस्यों को बदला कार्रवाई का निशाना बनाए जाने और उनकी हत्याएँ किए जाने की भी ख़बरें आई थीं.

ऐसी ख़बरें भी आई हैं कि गुरूवार 15 अगस्त को भी लाठियों, डंडों, लोहे की छड़ों और पाइपों से लैस भीड़न ने, पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थकों पर, कथित तौर पर हमले किए हैं. पत्रकारों को भी डराने-धमकाने और उन्हें हमलों का निशाना बनाने की भी ख़बरें मिली हैं और उन्हें घटनास्थलों की कवरेज करने से रोका गया.

रिपोर्ट में, देश में क़ानून और व्यवस्था को तेज़ी से बहाल किए जाने की महत्ता पर ज़ोर दिया गया है. साथ ही, आगे जीवन की हानि, हिंसा और बदले की कार्रवाई को रोकने के लिए असरदार उपाय करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया है.

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