UNRWA के मुखिया फ़िलिप लज़्ज़ारिनी ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक संकटों, और निर्धनता के आसमान छूते स्तर व फ़लस्तीनी शरणार्थियों के बीच बेरोज़गारी ने, उन लोगों पर और इस एजेंसी पर बहुत अधिक दबाव बना दिया है. इस एजेंसी ने वर्ष 2023 की शुरुआत, सात करोड़ डॉलर के घाटे के साथ की है.
उन्होंने कहा, “एक तरफ़ तो हमसे इस क्षेत्र में बेहद निर्बल हालात वाले समुदायों को, सार्वजनिक स्तर की सेवाएँ मुहैया कराने को कहा जाता है. हम स्वभाविक रूप से एक यूएन एजेंसी हैं जो यूएन मूल्यों का पालन करती है, मगर वास्तविकता में, हम एक ग़ैर-सरकारी संगठन की तरह हैं, जिसका मतलब है कि हम सदस्य देशों से मिलने वाली स्वैच्छिक दान राशि पर निर्भर हैं.”
अधिकतर फ़लस्तीनी शरणार्थी जन, फ़िलहाल निर्धनता रेखा से नीचे जीवन-यापन करते हैं, और बहुत से तो मानवीय सहायता पर निर्भर हैं, जिसमें UNRWA से नक़दी और खाद्य सहायता शामिल है.
प्रत्यक्षदर्शी
UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिप लज़्ज़ारिनी ने सीरिया में मौजूद फ़लस्तीनी शरणार्थियों से अपनी हाल की मुलाक़ात का सन्दर्भ देते हुए कहा, “कुछ समय पहले मैंने सोचा था कि वो लोग बदतर हालात की बिल्कुल तलहटी में पहुँच चुके हैं, मगर मैंने हर बार पाया है कि इन मायूस व निर्बल लोगों को जिन हालात का सामना करना पड़ रहा है, वो दिन ब दिन, बद से बदतर होते जा रहे हैं.”
“मैंने ख़ुद अपनी आँखों से ऐसी तकलीफ़ें, मायूसी और बदहाली देखी है, जिसे बयान नहीं किया जा सकता.”
एजेंसी प्रमुख ने कहा कि सीरिया में रहने वाले फ़लस्तीनी शरणार्थियों की हताश स्थिति की ही तरह, ग़ाज़ा और लेबनान में रहने वाले फ़लस्तीनियों की स्थिति भी गहरी मायूसी से भरी हुई है, जहाँ औसतन 10 में से 9 से भी ज़्यादा लोग निर्धनता रेखा से नीचे जीवन-यापन करते हैं. और ग़ाज़ा में “अनेक लोगों ने मुझसे कहा कि वो केवल यही चाहते हैं कि उन्हें एक सम्मानजक जीवन जीने का अवसर मिले, क्या ये बहुत ज़्यादा अपेक्षा है!”
एजेंसी पर पूर्ण रूप से निर्भर
उन्होंने बताया, “हमने लेबनान में स्थित फ़लस्तीनी शरणार्थियों के शिविरों में बढ़ी हुई निर्धनता देखी है… जोकि पूर्व के आकलनों की तुलना में, कहीं ज़्यादा तेज़ी से निर्धनता बढ़ी है, जिसका एक बार फिर मतलब है कि, ये एजेंसी ही इस समुदाय के लिए, एक मात्र जीवन रेखा बची है.”
“बिल्कुल ऐसा ही ग़ाज़ा में हुआ है; ग़ाज़ा में भी दस लाख से ज़्यादा लोग, इस एजेंसी से मिलने वाली खाद्य सहायता पर निर्भर हैं.”
उन्होंने यूएन एजेंसी के कामकाज का दायरा रेखांकित करते हुए कहा कि ये एजेंसी किसी लघु सरकार की तरह अपनी सेवाएँ मुहैया कराती है. “वास्तविकता में हम फ़लस्तीनी शरणार्थियों के भी इस बेहद कमज़ोर व निर्बल समूह के लिए, शिक्षा मंत्री, प्राथमिक स्वास्थ्य मंत्री, नगर पालिका मंत्री और सामाजिक सेवाओं के मंत्रालय की सेवाएँ मुहैया कराते हैं.”
उन्होंने कहा, “हम आपदा मानवीय सहायता भी उपलब्ध करा रहे हैं, इसलिए इस दिन 1.6 अरब डॉलर की रक़म के लिए ये सहायता अपील जारी की जा रही है.”


