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फ़लस्तीनी गुटों – फ़तह और हमास के दरम्यान सुलह समझौते का स्वागत

फ़लस्तीनी गुटों – फ़तह और हमास के दरम्यान सुलह समझौते का स्वागत

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने, मंगलवार को न्यूयॉर्क मुख्यालय में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि “महासचिव एंतोनियो गुटेरेश फ़लस्तीनी समूहों के बीच हुए बीजिंग घोषणा-पत्र का व्यापक स्वागत करते हैं”.

प्रवक्ता ने कहा कि यह सुलह समझौता, “फ़लस्तीनी एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है.”

ग़ाज़ा पट्टी में वर्ष 2007 से हमास का शासन रहा है. उसने एक वर्ष पहले हुए चुनावों में फ़तह को हरा दिया था और ग़ाज़ा से लगभग बाहर कर दिया था. फ़तह संगठन पश्चिमी तट पर शासन करता है और इन दोनों समूहों के दरम्यान सुलह कराने के प्रयास अतीत में नाकाम होते रहे हैं.

चीन की मध्यस्थता से कराए गए इस बीजिंग घोषणा-पत्र में 14 फ़लस्तीनी गुट शामिल रहे हैं, फ़तह व हमास के एक संयुक्त घोषणा-पत्र में इस समझौते का ऐलान किया गया है. इसे एक नई एकीकृत सरकार की पूर्वावस्था बताया गया है, अलबत्ता, इस पर अमल करने के लिए कोई समय सीमा, या अन्य विवरण नहीं दिया गया है.

अधिक संवाद की पुकार

प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा, “महासचिव सभी समूहों को बातचीत के ज़रिए अपने मतभेद भुलाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वो बीजिंग और इस घोषणा-पत्र में किए गए संकल्पों पर अमल करें.”

प्रवक्ता ने कहा, “हमें ऐसा पहले भी देखा है और हमने इसके बारे में अतीत में भी बातचीत की है, और मेरा ख़याल है कि एकता की तरफ़ जाने वाले तमाम क़दमों का स्वागत किया जाना चाहिए और उन्हें बढ़ावा दिया जाना चाहिए. जैसाकि हम बार-बार कह चुके हैं, ऐसा करना, फ़लस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को साकार करने की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए, शान्ति व सुरक्षा की ख़ातिर बहुत अहम है.”

“…साथ ही एक पूर्ण स्वतंत्र, लोकतांत्रिक, पड़ोसी, टिकाऊ और सम्प्रभू फ़लस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के लिए भी अहम है.”

प्रवक्ता के अनुसार एंतोनियो गुटेरेश ने चीन द्वारा किए गए राजनयिक प्रयासों और इस प्रक्रिया को आसान व सम्भव बनाने के लिए शामिल अन्य देशों के प्रयासों की सराहना की है.

दो राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र इसराइल-फ़लस्तीन टकराव का एक व्यापक समाधान, दो राष्ट्र की स्थापना के रूप में निकाले जाने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्धित है, जिसकी सुरक्षित सीमाएँ, 1967 के युद्ध से पहले के आधार पर निर्धारित हों. 

थ ही जिसमें येरूशेलम इसराइल और फ़लस्तीन दोनों देशों की राजधानी हो, जैसाकि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में कहा गया है.

संयुक्त राज्य अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों ने ऐसी किसी भी फ़लस्तीनी सरकार को मान्यता देने से इनकार कर रखा है जिसमें हमास के प्रतिनिधि, इसराइल राष्ट्र की पहचान के लिए मान्यता अभिव्यक्त किए बिना शामिल हों.

अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ अन्य देश हमास को एक आतंकवादी संगठन मानते हैं.

इसराइल ने हमास को पूरी तरह ख़त्म करना, ग़ाज़ा युद्ध का एक केन्द्रीय उद्देश्य घोषित किया है और अभी तक यही संकेत दिया है कि वो ग़ाज़ा पट्टी का नियंत्रण नहीं छोड़ेगा और फ़लस्तीनी प्राधिकरण को, ग़ाज़ा में सत्ताधीन होने की अनुमति नहीं देगा.

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