25 नवम्बर को आरम्भ हुए इस महत्वपूर्ण सत्र में, 170 से ज़्यादा देशों के प्रतिनिधियों और 440 से अधिक पर्यवेक्षक संगठनों समेत, 3 हज़ार 300 से अधिक लोगों ने भाग लिया.
बैठक में शामिल प्रतिनिधियों ने, पाँचवी अन्तर-सरकारी समिति की वार्ता (INC) के अध्यक्ष, एक्वाडोर के राजदूत, लुइस वाया वल्दीवीसो द्वारा तैयार किए गए “अध्यक्ष के मसौदे” पर सहमति व्यक्त की, जो भविष्य की वार्ता के आधार के रूप में काम करेगा.
प्रतिबद्धताएँ स्पष्ट
समापन सत्र में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने वार्ता में हुई प्रगति को स्वीकार करते हुए, शेष चुनौतियों पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा, “प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने की वैश्विक प्रतिबद्धता स्पष्ट है, और उससे क़तई इनकार नहीं किया जा सकता है.
बुसान में हुई वार्ता में हम क़ानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक सन्धि पर सहमति के बेहद क़रीब पहुँच गए हैं, जो हमारे स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं भविष्य को प्लास्टिक प्रदूषण के विनाशकारी प्रभावों से बचाएगी.”
उन्होंने कहा कि हालाँकि बुसान में “उत्कृष्ट प्रगति” देखने को मिली है, लेकिन कुछ अहम क्षेत्रों में “निरन्तर मतभेद” बने हुए हैं.
“वार्ताकार, सन्धि के लिए मसौदे की रूपरेखा और तत्वों के साथ-साथ, देशों की स्थिति एवं साझा चुनौतियों पर बेहतर आपसी समझ बनाने में सफल हुए हैं.”
“लेकिन यह स्पष्ट है कि कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर मतभेद बरक़रार हैं और इन क्षेत्रों पर ध्यान देने के लिए अधिक समय की आवश्यकता है.”
INC 2025 में चर्चा फिर शुरू करेगी, जिसके लिए स्थान की घोषणा बाद में की जाएगी.
पर्याप्त समय की आवश्यकता
INC के अध्यक्ष, लुइस वायस वल्दीवीसो ने कहा कि समिति का “शासनादेश हमेशा से महत्वाकाँक्षी रहा है.”
उन्होंने कहा, “महत्वाकाँक्षा को साकार होने में समय लगता है. बुसान ने हमें मज़बूती से सफलता की राह पर आगे बढ़ाया है.”
लुइस वायस वल्दीवीसो ने कहा, “मैं सभी प्रतिनिधिमंडलों से आहवान करता हूँ कि वे रास्ते बनाते रहें, पुलों का निर्माण करते रहें और संवाद जारी रखें…हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हमारा उद्देश्य न केवल नेक है, बल्कि ज़रूरी भी है. यह उद्देश्य है – पारिस्थितिकी तंत्र और मानव स्वास्थ्य पर प्लास्टिक प्रदूषण के गम्भीर प्रभावों को उलटना और उनका समाधान करना.”
एक व्यापक समस्या
प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या एक प्रमुख वैश्विक चुनौती है.
हर दिन, कूड़े से भरे लगभग 2,000 ट्रकों के बराबर प्लास्टिक, महासागरों, नदियों और झीलों में फेंक दिया जाता है. यह वन्यजीवों एवं मानव स्वास्थ्य के लिए गम्भीर ख़तरा पैदा कर रहा है.
माइक्रोप्लास्टिक के कण, भोजन, पानी, मिट्टी और यहाँ तक कि मानव अंगों व नवजात शिशुओं के प्लासेंटा तक में पाए गए हैं.
2022 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा के प्रस्ताव द्वारा अपनाई गई सन्धि के तहत, प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र पर ध्यान देने के प्रयास किए गए हैं.
इनमें एक क़ानूनी रूप से बाध्यकारी संधि के ज़रिए प्लास्टिक के उत्पादन, डिज़ाइन और निपटान के लिए उचित समाधान तलाश किया जाना शामिल हैं.