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‘पृथ्वी हमें कुछ पैग़ाम दे रही है’ – WMO प्रमुख

‘पृथ्वी हमें कुछ पैग़ाम दे रही है’ – WMO प्रमुख

WMO की महासचिव सेलेस्त साउलो ने कहा कि वो हिमनदों के पिघलने, समुद्री स्तर में वृद्धि और महासागरों का तापमान बढ़ने से ख़ासतौर पर बेहद चिन्तित हैं. 

उन्होंने कहा कि यही वजह है जिससे तीव्र बाढ़, ताप लहरें, सूखा, जंगल की आग जैसे चरम मौसम के ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है. 

यूएन न्यूज़ के साथ उनकी बातचीत के कुछ अंश. इस इंटरव्यू को स्पष्टता व संक्षिप्तता के लिए सम्पादित किया गया है…

यूएन न्यूज़: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने हाल ही में पुष्टि की है कि 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है. तो, निकट भविष्य में क्या जलवायु प्रभाव नज़र आ सकते हैं, और आने वाले वर्षों के लिए WMO की प्राथमिकताएँ क्या होंगी?

सेलेस्त साउलो: हमारी पहली कार्रवाई होगी, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के सर्वजन के लिए प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली सुनिश्चित करने के आहवान का अनुसरण करना. जलवायु अनुकूलन के सन्दर्भ में हमारे लिए यह एक महत्वपूर्ण नीति है. हमें बदलती जलवायु के अनुकूल होने के लिए प्रारम्भिक चेतावनियाँ जारी करने की प्रणाली पुख़्ता करना होगी. 

WMO उन देशों में क्षमता निर्माण कर रहा है जहाँ प्रारम्भिक चेतावनियाँ जारी करने की क्षमता पहले से मौजूद नहीं है. सतत विकास लक्ष्यों के व्यापक एजेंडा के अनुरूप, WMO की प्राथमिकता देशों को सतत तरीक़े से विकसित करने में मदद करना रहेगी. संक्षेप में कहें तो प्रारम्भिक चेतावनी, जलवायु कार्रवाई, और विकास का एजेंडा ही हमारी प्राथमिकताएँ हैं.

यूएन न्यूज़: दक्षिण एशिया में WMO, किस प्रकार जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन करता है? जलवायु परिवर्तन से निपटने में कौन सी सबसे बड़ी चुनौतियाँ सामने आती हैं?

सेलेस्त साउलो: दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया दुनिया के सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में से हैं. क्योंकि यहाँ की प्रकृति और स्थितियों के कारण जोखिम बहुत अधिक हैं. इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवात और अन्य कई ख़तरे हैं. सूची बहुत लम्बी है. साथ ही, यहां जनसंख्या भी बहुत अधिक है. इसलिए हमें ऐसी स्थितियों के लिए तैयार रहना होगा जो अधिक लोगों को प्रभावित कर सकती हैं.

यूएन न्यूज़: भारत अपनी राष्ट्रीय जलवायु रणनीतियों को, संयुक्त राष्ट्र के जलवायु लक्ष्यों के साथ कैसे समन्वित कर सकता है?

सेलेस्त साउलो: भारत जलवायु और जलवायु एजेंडा के मामले में एक बहुत सक्रिय देश है. भारतीय मौसम विभाग बहुत मज़बूत एवं विकसित है. मैं यह कह सकती हूँ कि भारत बहुत अच्छी तरह से तैयार है, लेकिन साथ ही बहुत अधिक जोखिम में भी है.

भारत इस क्षेत्र में प्रभाव छोड़ने वाले प्रमुख देशों में से एक है और हमेशा सहयोग के लिए तैयार रहता है. भारत की सरकार क्षमता निर्माण में लगी हुए हैं, नई दिल्ली में उनका चक्रवात केन्द्र स्थित है. भारत के पास क्षेत्र के लाभ के लिए कई क्षेत्रीय प्रणालियाँ मौजूद हैं. इसलिए जिस तरह से यह देश अपने प्रमुख सिद्धांतों को संयुक्त राष्ट्र के साथ संरेखित कर रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि भारत किसी को भी पीछे नहीं छोड़ देने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है.

यूएन न्यूज़: भारतीय कृषि के लिए मानसून का बहुत महत्व है. ऐसे में कृषि की उत्पादकता बढ़ाने में WMO की विशेषज्ञता किस तरह मददगार साबित हो सकती है?

सेलेस्त साउलो:  मौसम विज्ञान बहुत मज़बूत हैं, जो कृषि क्षेत्र और उनकी विशिष्ट ज़रूरतों, मौसम विज्ञान, मौसम सम्बन्धी अवलोकनों तथा मौसम से जुड़ी जानकारी के बीच एक कड़ी का काम करता है.

जलवायु जानकारी तभी प्रासंगिक होती है जब कोई क्षेत्र इसका उपयोग करता है. हमारे लिए, WMO और राष्ट्रीय स्तर पर मौसम सेवाओं तथा जल आपूर्ति सेवाओं के लिए, एक बड़ी चुनौती यह है कि हितधारकों के साथ किस तरह मिलकर काम किया जाए, क्योंकि ज़रूरी नहीं है कि कृषि क्षेत्र के लिए जो जानकारी उपयोगी है, वह परिवहन, मछली पालन, या किसी अन्य क्षेत्र के लिए भी उपयोगी हो.

इसलिए उत्कृष्ट तरीक़े से विकसित कृषि मौसम विज्ञान सेवाओं का होना बहुत महत्वपूर्ण है. और भारत में यह क्षमता मौजूद है. यह WMO की एक शाखा है जो बहुत सक्रिय है. इसके अलावा हम खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के साथ मिलकर काम करते हैं क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं, कृषि से खाद्य सुरक्षा सीधे तौर पर प्रभावित होती है.

मुझे विश्वास है कि हम इस दिशा में अच्छी प्रगति कर रहे हैं. लेकिन कोई भी प्रगति कभी भी पर्याप्त नहीं होती, क्योंकि चरम घटनाएँ और बदलाव कई गतिविधियों को प्रभावित करते रहते हैं. हमें हर क्षेत्र से आने वाले हर सवाल का जवाब तलाश करना होगा.

उत्तरी बांग्लादेश में बाढ़ के पानी में डूबे घर व अन्य इमारतें. (फ़ाइल)

© UNICEF/Salahuddin Ahmed Paulash

यूएन न्यूज़: जब हम चरम घटनाओं की बात करते हैं, तो भारत में, विशेष रूप से आपदा-प्रवण क्षेत्रों के लिए, प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली महत्वपूर्ण है. चक्रवातों और बाढ़ के सन्दर्भ में इन प्रणालियों को मज़बूत करने में WMO क्या भूमिका निभा सकता है?

सेलेस्त साउलो: इसके लिए मैं 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की जलवायु पहल का ज़िक्र करना चाहूँगी. इस पहल को सर्वजन के लिए प्रारम्भिक चेतावनी (Early Warnings for All) का नाम दिया गया है. इसका उद्देश्य, यह सुनिश्चित करना है कि 2027 तक कोई भी व्यक्ति प्रारम्भिक चेतावनी प्रणाली से वंचित नहीं रहे.

इसके तहत सभी एक ऐसे प्रारम्भिक चेतावनी ढाँचे में शामिल हैं, जिसके लिए UNEP, WMO, ITU और रैड क्रॉस एक साथ आए हैं. इसमें जोखिम की समझ (UNEP), निगरानी और पूर्वानुमान (WMO), संचार और प्रसार (ITU), और फिर प्रतिक्रिया और तैयारी ( रैड क्रॉस) शामिल है.

यह एजेंसियों के स्तर पर हमारी सहभागिता का तरीक़ा है. लेकिन साथ ही हमें स्थानीय स्तर पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा.. क्योंकि अन्ततः, हमें लोगों की सुरक्षा करनी है, और लोग जोखिमों का सामना करने में अलग-अलग तरीक़े से कार्रवाई करते हैं.

यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक क्षेत्र को कौन सी घटनाएँ प्रभावित करती हैं, और उनकी प्रतिक्रिया किस तरह देनी हैं. उदाहरण के लिए, उत्तरी भारत और मध्य भारत के लिए संचार का तरीक़ा एक जैसा नहीं हो सकता.

इसलिए हम हम सभी पक्षों के साथ सक्रियता से काम कर रहे हैं. और भारत में राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल बहुत अच्छी तरह से स्थापित है.

WMO के रूप में, हम 31 लक्षित देशों से आगे बढ़कर सभी देशों को इसमें शामिल करना चाहते हैं. क्योंकि, अन्ततः, इस पहल के तहत किसी को भी प्रारम्भिक चेतावनी से वंचित नहीं रहना चाहिए.

हम देख रहे हैं कि चरम घटनाएँ, विकसित और विकासशील देशों में भेदभाव नहीं करतीं. ये हर जगह घट रही हैं. तैयार रहना, मिलकर काम करना, और एक देश के सर्वोत्तम उदाहरणों को दूसरे देश में अपनाना, उन रणनीतियों को स्थानीय वास्तविकताओं के अनुकूल बनाना महत्वपूर्ण है. यही WMO के एजेंडे का हिस्सा है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के अनुरूप बदलाव लाने के लिए कारगर समाधान मौजूद हैं.

यूएन न्यूज़: कार्रवाई तेज़ करने के लिए और क्या करने की आवश्यकता है?

सेलेस्त साउलो: जागरूकता बढ़ाना हमारे एजेंडे में सबसे ऊपर है. और यह संस्थागत स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ, हर एक व्यक्ति के स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के बारे में है. हम यूनेस्को के साथ शिक्षा व कार्य व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं, जिससे बच्चों को उस दुनिया के लिए तैयार किया जा सके, जो उससे पूरी तरह अलग होगी, जिसका हम आज अनुभव कर रहे हैं या अतीत में अनुभव कर चुके हैं.

इसलिए इसमें शैक्षिक समुदाय को शामिल करना, स्वास्थ्य क्षेत्र को शामिल करना अहम है. यह प्रत्येक क्षेत्र के अनुकूल व उसकी आवश्यकता के अनुसार कार्रवाई करने के बारे में है. इसके साथ ही, शमन पर काम करना होगा.

इसके अलावा, सूचना फैलाने में मदद करने के लिए सभी प्रकार की वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना भी महत्वपूर्ण है. और यह भी WMO की भूमिका है क्योंकि IPCC के एक आकलन और अगले आकलन के बीच 8 से 9 साल का चक्र होता है. यह एक लम्बा समय है. और WMO इस अन्तर को पाटने के प्रयास कर रहा है. यह वैश्विक स्तर पर जलवायु, जलवायु सेवाओं और जल संसाधनों के सन्दर्भ में वार्षिक आकलन प्रदान कर रहा है.

यूएन न्यूज़: इस समय, जब हम इतनी अधिक चरम मौसम घटनाओं का सामना कर रहे हैं, चाहे वह बाढ़ हो, बर्फ़ीले तूफ़ान हों या जंगल की आग, विश्व के लिए आपका सन्देश क्या होगा?

सेलेस्त साउलो: मुझे लगता है कि पृथ्वी हमें कुछ सन्देश दे रही है, और हमें इसे समझने की ज़रूरत है. हमें व्यक्तिगत हितों से आगे बढ़कर सामूहिक हितों के बारे में सोचना होगा.

हमें बहुत ठोस वैज्ञानिक डेटा की आवश्यकता नहीं है — इस बारे में हमारे पास प्रमाण पहले से ही मौजूद हैं. हमें यह समझना होगा कि यह कोई किताब या काग़ज़ पर लिखा विषय नहीं है. यह वास्तविकता है. लोगों की मौत हो रही हैं. बुनियादी ढाँचे ढह रहे हैं. कार्रवाई करने के लिए हमें और क्या प्रमाण चाहिए?

तो मेरा सन्देश यही है: वास्तविकता को देखें. उस ज़िम्मेदारी को समझें जो हम सब पर है — एक व्यक्ति के रूप में, एक पिता के रूप में, एक माँ के रूप में, अपने समुदाय के हिस्से के रूप में. कुछ भी करें. जो भी करना है, तुरन्त करें.

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