टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने फरवरी में ‘ब्लिट्स’ नाम से अपनी सालाना स्ट्रैटजी कॉन्फ्रेंस को दोहा में आयोजित किया था। इसमें कंपनी के सभी टॉप लीडर्स शामिल थे। इस दौरान एक प्रजेंटेशन में टीसीएस और इसकी होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चेयरमैन, एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) ने एक ऐसी टिप्पणी की, जिसने वहां बैठे कई लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया। कॉन्फ्रेंस में मौजूद एक व्यक्ति के मुताबिक, चंद्रशेखरन ने कहा, “टीसीएस कभी टाटा ग्रुप के सर का ताज हुआ करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।” उन्होंने जब यह टिप्पणी की तब वहां TCS के सीईओ राजेश गोपीनाथन (Rajesh Gopinathan) सहित कंपनी के तमाम एग्जिक्यूटिव्स मौजूद थे। चंद्रशेखरन ने यह टिप्पणी टीसीएस के रेवेन्यू के संदर्भ में कही थी।
बैठक में क्या हुआ, इसके बारे में जानने वाले दो और लोगों ने पुष्टि की कि कॉन्फ्रेस के दौरान टीसीएस की ग्रोथ को लेकर चंद्रशेखरन की नाराजगी को साफ देखा जा सकता था।
चंद्रशेखरन ने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए खुद एक डेटा सामने रखा, जिसके मुताबिक अगर टीसीएस को न शामिल किया जाए तो, नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के कारोबार में मौजूद टाटा ग्रुप की ग्रोथ कहीं अधिक तेज होती। टाटा संस और टीसीएस ने इस रिपोर्ट को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।
अचानक इस्तीफा देकर चौंकाया
इसके हफ्तों बाद 16 मार्च 2023 की शाम को, TCS ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया कि गोपीनाथन ने पद छोड़ने का फैसला किया है। उनकी जगह ‘के कृतिवासन (K Krithivasan)’ अब कंपनी के अगले सीईओ होंगे। वह फिलहाल टीसीएस में BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) सेगमेंट के ग्लोबल हेड हैं, जो रेवेन्यू के लिहाज से टीसीएसा का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण सेगमेंट है। गोपीनाथन ट्रांजिशन में मदद के लिए 15 सितंबर 2023 तक पद पर बने रहेंगे।
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यह कहना कि गोपीनाथन का इस्तीफा चौंकाने वाला था, यह इसे हल्के ढंग से कहना होगा। टीसीएस लंबे समय से अपने लीडरशिप में स्थिरता पर गर्व करती रही है। इंफोसिस और विप्रो जैसी टीसीएस की प्रतिद्वंदी कंपनियों सीईओ की गलत नियुक्ति और उनके कंपनी से जाने से परेशान रही हैं। वहीं टाटा ग्रुप की इस कंपनी के 55 साल के इतिहास में अभी तक सिर्फ 4 सीईओ रहे हैं। ये भी सभी टीसीएस के दशकों पुराने कर्मचारी रहे हैं।
2017 में बने थे सीईओ
गोपीनाथन फरवरी 2017 में एन चंद्रशेखर की जगह टीसीएस के सीईओ बने थे, क्योंकि चंद्रशेखर को टाटा संस के चेयरमैन की भूमिका सौंप दी गई थे। चंद्रशेखर को 2009 में टीसीएस का सीईओ बनाया गया था और उन्होंने 2013 में सीएफओ के पद के लिए गोपीनाथन को चुना। गोपीनाथन ने ऑर्गनाइजेशन के डिजाइन और रणनीति पर भी चंद्रशेखरन के साथ मिलकर काम किया था।
गोपीनाथन का जाना इसलिए भी चौंकाने वाला था क्योंकि पिछले साल ही उन्हें दोबारा 5 साल तक के लिए यानी फरवरी 2027 तक के कार्यकाल के लिए TCS का सीईओ नियुक्त किया गया था। ऐसा बहुत कम होता है कि जब सीईओ के पास चार साल का कार्यकाल बचा हो और वे पद छोड़ दें।

