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नफ़रत भरी ऑनलाइन सामग्री को रोकना सेंसरशिप नहीं, मानवाधिकार उच्चायुक्त

नफ़रत भरी ऑनलाइन सामग्री को रोकना सेंसरशिप नहीं, मानवाधिकार उच्चायुक्त

मानवाधिकार मामलों के प्रमुख वोल्कर टर्क ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में कहा कि नफ़रत भरे सन्देशों व भाषणों, हानिकारक सामग्री को ऑनलाइन माध्यमों पर अनुमति देने के वास्तविक जीवन में दुष्परिणाम हो सकते हैं.

“इस सामग्री का नियामन किया जाना सेंसरशिप नहीं है.”

इसी विषय पर, वोल्कर टर्क ने ‘लिन्क्डइन’ नामक प्लैटफ़ॉर्म पर एक लेख भी लिखा. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन माध्यमों को सुरक्षित बनाने के प्रयासों को अक्सर सेंसरशिप कह दिया जाता है.

मगर, इसमें यह नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है जिसमें नियमों के अभाव में इन प्लैटफ़ॉर्म पर कुछ लोगों की आवाज़ दब जाती है. विशेष रूप से, जिनकी आवाज़ों को अक्सर हाशिए पर धकेल दिया जाता है.

“साथ ही, ऑनलाइन माध्यमों पर नफ़रत की अनुमति देने से, स्वतंत्र अभिव्यक्ति सीमित होती है, और इसके वास्तविक जीवन में नुक़सान सामने आ सकते हैं.”

सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, फ़ेसबुक की मूल कम्पनी ‘मेटा’ के प्रमुख मार्क ज़करबर्ग ने हाल ही में अपने तथ्य-निरीक्षण कार्यक्रम को बन्द किए जाने की घोषणा की थी, जिसमें ऑनलाइन दावों की सत्यता को परखा जाता है.

उन्होंने कहा था कि इन कार्यक्रमों के राजनैतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने का जोखिम प्रतीत होता है, और स्व-नियामन के परिणामस्वरूप बहुत अधिक सेंसरशिप हो जाती है.

मार्क ज़करबर्ग ने ‘मेटा’ कम्पनी के प्लैटफ़ॉर्म पर स्वतंत्र आवाज़ की वापसी की बात कही है और बताया कि इन प्लैटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करने वाले लोगों के भरोसे में कमी आ गई थी. अन्तरराष्ट्रीय तथ्य-निरीक्षण नैटवर्क ने मार्क ज़करबर्ग के इन तर्कों को ग़लत बताते हुए आगाह किया है कि इस निर्णय से नुक़सान होगा.

डिजिटल माध्यमों में सम्भावनाएँ

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने ध्यान दिलाया कि सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म में लोगों को आपस में जोड़ने और समाज को सकारात्मक आकार देने की बेहतरीन क्षमता है.

मगर, इनसे टकरावों को हवा मिल सकती है, नफ़रत भड़काई जा सकती है और आम नागरिकों की सुरक्षा ख़तरे में आ सकती है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने डिजिटल माध्यमों पर मानवाधिकारों के अनुरूप, जवाबदेही और बेहतर संचालन व्यवस्था के पक्ष में मांग जारी रखने की बात कही है, ताकि सार्वजनिक विमर्श की रक्षा हो, भरोसे का निर्माण हो और सर्वजन की गरिमा का सम्मान किया जा सके.

उधर जिनीवा में, संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता ने यूएन की सोशल मीडिया नीति पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि ऑनलाइन माध्यमों पर नज़र रखी जाती है और उन्हें परखा जाता है.

टीवी, रेडियो और वैबकास्ट के प्रमुख मिशेल ज़खेओ ने बताया कि तथ्य-आधारित जानकारी को साझा किया जाना हमारे लिए बेहद अहम है और यूएन अपने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर यही जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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