इनमें यमन, इथियोपिया, म्याँमार, माली, बुरकिना फ़ासो, हेती, मलावी और मोज़ाम्बीक़ समेत अन्य देश हैं, जहाँ मानवीय आपात स्थिति के बावजूद, सहायता अभियान के लिए पर्याप्त रक़म उपलब्ध नहीं है.
इस वर्ष यह दूसरी बार है जब अल्पपोषित आपात स्थिति के लिए, केन्द्रीय कोष से, धनराशि आवंटित की जाएगी. इससे पहले फ़रवरी (2024) में चाड, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, होंडुरास, लेबनान, निजेर, सूडान व सीरिया के लिए 10 करोड़ डॉलर को धनराशि जारी की गई थी.
इसके बावजूद, इस वर्ष सहायता धनराशि की क़िल्लत से जूझ रहे मानवीय संकटों के लिए जारी की गई 20 करोड़ डॉलर की धनराशि पिछले तीन वर्षों में सबसे कम रक़म है.
ये दर्शाता है कि संकट क्षेत्रों में मानवीय सहायता आवश्यकताओं और दानदाताओं से केन्द्रीय कोष को प्राप्त होने वाली धनराशि के बीच खाई बढ़ती जा रही है.
संयुक्त राष्ट्र में आपात राहत मामलों के लिए कार्यवाहक समन्वयक जॉयस म्सूया ने बताया कि अनेक मानवीय आपात हालात में धनराशि के अभाव के कारण, राहत एजेंसियों के लिए ज़रूरतमन्द आबादी तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाना सम्भव नहीं है, और यह हृदयविदारक है.
“CERF से धनराशि का आवंटन, बदतरीन हालात को टालने और पर्याप्त सहायता धनराशि के अभाव में ज़िन्दगियाँ बचाने के लिए एक अन्तिम उपाय है. हम दानदाताओं से तत्काल, बड़े स्तर पर सतत समर्थन की आवश्यकता है, ताकि इन संकटों में अल्पपोषित सहायता अभियान की ओर ध्यान आकृष्ट किया जा सके.”
CERF द्वारा आवंटित 10 करोड़ डॉलर की धनराशि में से यमन के लिए दो करोड़ डॉलर, इथियोपिया के लिए 1.5 करोड़ डॉलर मे मानवीय सहायता अभियान को समर्थन दिया जाएगा.
अनेकानेक चुनौतियाँ
इन देशों में आम नागरिक भूख, विस्थापन, बीमारियों और जलवायु आपदाओं के सामूहिक दंश से जूझना पड़ रहा है.
इनके अलावा, वर्षों से हिंसक टकराव, विस्थापन से जूझ रहे अन्य देशों को भी सहायता प्रदान की जाएगी, जोकि जलवायु व्यवधान व अन्य चुनौतियों से जूझ रहे हैं.
इनमें म्याँमार को 1.2 करोड़ डॉलर, माली को 1.1 करोड़ डॉलर, बुरकिना फ़ासो को एक करोड़ डॉलर, हेती को 90 लाख डॉलर को, कैमरून को 70 लाख डॉलर को और मोज़ाम्बीक़ के लिए 70 लाख डॉलर की धनराशि आवंटित की गई है.
अल नीन्यो जलवायु प्रभावों के कारण सूखे व बाढ़ से जूझ रहे बुरूंडी (50 लाख डॉलर) और मलावी (40 लाख डॉलर) के लिए भी धनराशि आवंटित की गई है.
इस वर्ष, वैश्विक मानवतावादी समुदाय ने विश्व भर में संवेदनशील हालात से जूझ रहे 18 करोड़ से अधिक लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिए 49 अरब डॉलर की अपील की है. मगर, अब तक इस रक़म के 29 प्रतिशत का ही प्रबन्ध हो पाया है, और 35 अरब डॉलर की क़िल्लत है.