विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) और यूएन बाल कोष (UNICEF) ने मंगलवार को Protecting maternal, newborn and child health from the impacts of climate change, नामक अपना विश्लेषण जारी किया है.
इस अध्ययन के अनुसार, जलवायु सम्बन्धी घटनाओं से मातृत्व और बाल स्वास्थ्य पर होने वाले असर पर जानकारी अपेक्षा की शिकार है, और उसे कम करके आंका जाता है.
साथ, मातृत्व और बाल स्वास्थ्य को राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रिया योजनाओं में एकीकृत किए जाने की अहमियत को रेखांकित किया गया है.
अनेक देशों में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर होने वाली चर्चाओं में महिलाओं, नवजात शिशुओं और बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा करने में कमियों को ध्यान में रखते हुए यह अहम है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में सहायक महानिदेशक ब्रूस ऐलवर्ड ने बताया कि जलवायु परिवर्तन, हम सभी के अस्तित्व के लिए ख़तरा है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों को सबसे अधिक गम्भीर दुष्परिणामों को झेलना पड़ता है.
“बच्चों के भविष्य की सोच-विचारपूर्वक रक्षा किए जाने की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है, उनके स्वास्थ्य व जीवन के लिए अभी जलवायु कार्रवाई करना. जलवायु प्रतिक्रिया योजनाओं में उनकी विशिष्ट ज़रूरतों का ख़याल रखा जाना होगा.”
यूएन एजेंसियों ने दुबई में आगामी कॉप28 जलवायु सम्मेलन से ठीक पहले अपनी यह अपील जारी की है, जिसमें तत्काल सात क़दम उठाए जाने पर बल दिया गया है.
इनमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सतत कटौती, जलवायु वित्त पोषण कार्रवाई, और गर्भवती महिलाओं, शिशुओं व बच्चों की आवश्यकताओं को नीतियों में समाहित करना है.
जलवायु आपदाओं का गम्भीर असर
इस वर्ष, वनों में आग, बाढ़, ताप लहरें और सूखे समेत विश्व के अनेक हिस्सों में विनाशकारी जलवायु आपदाएँ देखी गईं, जिनका महिलाओं और बच्चों पर गम्भीर असर हुआ है.
तापमान में वृद्धि होने क कारण, घातक बीमारियों के फैलाव का ख़तरा बढ़ता है, जिससे गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर विशेष रूप से असर होता है.
शोध के अनुसार, इस नुक़सान के असर गर्भ में ही देखने को मिल सकते हैं, जिसके माताओं और बच्चों दोनों पर असर हो सकते हैं, और यह जीवन-पर्यन्त जारी रह सकता है.
यूनीसेफ़ कार्यक्रमों के लिए उप कार्यकारी निदेशक उमर अब्दी ने ज़ोर देकर कहा कहा कि बच्चों के शरीर और मस्तिष्क पर, प्रदूषण, बीमारियों और चरम मौसम से होने वाले असर का ध्यान रखा जाना होगा.
उनके अनुसार, जलवायु संकट से बच्चों के स्वास्थ्य व कल्याण के बुनियादी अधिकार पर जोखिम मंडरा रहा है, और यह हमारा सामूहिक दायित्व है कि बच्चों की ज़रूरतों को जलवायु परिवर्तन एजेंडा में अन्तत: शामिल किया जाए.
