यूएन पर्यावरण कार्यक्रम एजेंसी की यह रिपोर्ट संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में, यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप28) से ठीक पहले जारी की गई है.
यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, अनुकूलन कार्रवाई में सुस्ती, वित्त पोषण, योजना व उन्हें अमल में लाए जाने के मोर्चों पर देखी जा सकती है, जिसके सम्वेदनशील हालात से जूझ रहे देशों के लिए गम्भीर परिणाम हो सकते हैं.
रिपोर्ट बताती है कि अनुकूलन कार्रवाई के लिए अन्तरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की तुलना में विकासशील देशों में वित्त पोषण की ज़रूरतें 10 से 18 गुना हैं. पिछले अनुमानों से यह 50 फ़ीसदी अधिक है.
यूएन पर्यावरण एजेंसी ने सचेत किया है कि दुनिया, इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार नहीं है, ना तो पर्याप्त मात्रा में निवेश किया गया है और ना ही ज़रूरी योजनाएँ हैं, जिससे सभी के लिए जोखिम है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस रिपोर्ट के निष्कर्षों को रेखांकित करते हुए कहा कि अनुकूलन क्षेत्र में खाई पहले से कहीं अधिक चौड़ी हो गई है. “दुनिया को अनुकूलन खाई को पाटने और जलवायु न्याय के वादे को पूरा करने के लिए क़दम उठाने होंगे.”
बताया गया है कि विकासशील देशों के लिए इस दशक में वार्षिक अनुकूलन क़ीमत को, 215 अरब डॉलर से 387 अरब डॉलर के बीच आंका गया है, और 2050 में यह आँकड़ा और बढ़ने की सम्भावना है.
‘कमज़ोर हुए संकल्प’
ग्लासगो में कॉप26 सम्मेलन के दौरान अनुकूलन कार्रवाई समर्थन के लिए वित्त पोषण को दोगुना करने और 2025 तक, प्रति वर्ष 40 अरब डॉलर के आँकड़े तक ले जाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी.
इसके बावजूद, विकासशील देशों के लिए बहुपक्षीय और द्विपक्षीय अनुकूलन वित्त पोषण प्रवाह में 15 फ़ीसदी की कमी आई और यह 2021 में 21 अरब डॉलर था.
इसके मद्देनज़र, अनुकूलन वित्त पोषण में आवश्यकता और उपलब्धता की खाई अब प्रति वर्ष 194 अरब डॉलर से 366 अरब डॉलर के बीच में है.
क़ीमतें केवल बढ़ेंगी ही
रिपोर्ट में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार जलवायु दृष्टि से सर्वाधिक सम्वेदनशील 55 देशों में हुई जलवायु हानि व क्षति की क़ीमत को, पिछले दो दशकों में 500 अरब डॉलर आंका गया है.
आगामी दशकों में इन क़ीमतों के और तेज़ी से बढ़ने की आशंका है, विशेष रूप से कार्बन जलवायु शमन व अनुकूलन के लिए मज़बूत उपायों के अभाव में.
जलवायु हानि व क्षति के लिए कोष, संसाधनों की लामबन्दी के नज़रिये से एक अहम उपाय है, मगर कुछ मुश्किलें रहेंगी. जैसेकि ज़रूरी निवेश के स्तर तक पहुँचने के लिए इस कोष में नवाचारी समाधान लागू किए जाने होंगे.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि निवेश का एक स्रोत, बड़े कार्बन उत्सर्जकों व प्रदूषकों से प्राप्त होने वाला कर राजस्व हो सकता है. इसके अलावा, घरेलू व्यय और अन्तरराष्ट्रीय व निजी सैक्टर वित्त पोषण भी अन्य ज़रिये हो सकते हैं.
रिपोर्ट तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने महत्वाकाँक्षी अनुकूलन उपायों की पैरवी की है, जिससे सहनसक्षमता को मज़बूती प्रदान की जा सके. निम्न-आय वाले देशों और वंचित समूहों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
अन्य उपायों में वित्त प्रेषण (remittances), लघु व मध्यम उद्यमों के अनुरूप वित्त पोषण उपलब्ध कराया जाना, वित्तीय लेनदेन को निम्न-कार्बन व जलवायु सहनसक्षम विकास रास्तों की ओर ले जाना, और वैश्विक वित्तीय तंत्र में सुधार लागू करना है.
