तापमान में और गिरावट आने के अनुमान के बीच, ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य बलों की बमबारी जारी है. इन हालात में अपने घरों से विस्थापित हुए लाखों फ़लस्तीनी टैंट, अस्थाई आश्रय स्थलों में रात गुज़ार रहे हैं.
मध्य पूर्व व उत्तरी अफ़्रीका के लिए यूनीसेफ़ क्षेत्रीय निदेशक एडुअर्ड बेइगबेडेर ने शुक्रवार को फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि पिछले कुछ दिनों में ‘हाइपोथर्मिया’, शरीर के तापमान में गिरावट आने से चार नवजात शिशुओं की मौत हुई है.
उन्होंने कहा कि इन मौतों की रोकथाम सम्भव थी, और ये दर्शाता है कि ग़ाज़ा में परिवारों और बच्चों को किस तरह से हताश व बदतरीन परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है.
“आगामी दिनों में तापमान में और गिरावट आने की सम्भावना है. यह सम्भावना त्रासदीपूर्ण है कि इन अमानवीय परिस्थितियों में और अधिक संख्या में बच्चों की ज़िन्दगियाँ ख़त्म हो जाएंगी.”
यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हमलों की चपेट में आने का जोखिम निरन्तर बना हुआ है, और स्थानीय लोगों को बिना पोषक आहार व स्वास्थ्य देखभाल के गुज़र-बसर करनी पड़ रही है.
उनके अस्थाई आश्रय स्थल, उन्हें इस जमा देने वाले मौसम में बचाव के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

ग़ाज़ा में 90 फ़ीसदी से अधिक आबादी संकट स्तर पर भूख का सामना कर रही है.
मानवीय सहायता बाधित
यूनीसेफ़ और अन्य यूएन एजेंसियों ने सचेत किया है कि उनके मानवीय सहायता क़ाफ़िलों को ग़ाज़ा पट्टी में प्रवेश करने और ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने की अनुमति नहीं दी जा रही है.
क्षेत्रीय निदेशक एडुअर्ड बेइगबेडेर के अनुसार, नवम्बर महीने के दौरान ग़ाज़ा में औसतन 65 ट्रकों ने हर दिन प्रवेश किया, जोकि बच्चों, महिलाओं व अन्य आम नागरिकों की विशाल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बहुत कम है.
इसके मद्देनज़र, यूनीसेफ़ और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने सभी मार्गों व सीमा चौकियों को खोले जाने का आग्रह किया है.
WFP ने बताया कि ग़ाज़ा में कुल आवश्यक मात्रा में से केवल एक-तिहाई खाद्य सामग्री वहाँ पहुँचाई जा रही है, और हर जगह भूख व्याप्त है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम, ग़ाज़ा में बच्चों और परिवारों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने में जुटा है.
पत्रकारों के मारे जाने की निन्दा
उधर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने गुरूवार को इसराइली सैन्य बलों के हाथों पाँच पत्रकारों के मारे जाने की कठोर निन्दा की है.
यूएन कार्यालय ने शुक्रवार को अपने सन्देश में कहा कि ये पत्रकार निहत्थे थे, और उन्हें स्पष्ट रूप से प्रैस के सदस्य के रूप में पहचाना जा सकता था. मगर, ग़ाज़ा के अल अवदा अस्पताल के नज़दीक उनकी वैन पर हवाई हमला किया गया.
वहीं, इसराइली सेना का कहना है कि ये पत्रकार, फ़लस्तीनी हथियारबन्द गुटों से जुड़े हुए थे. यूएन कार्यालय ने कहा कि इस दावे से आम नागरिकों के तौर पर उनके संरक्षण का दायित्व समाप्त नहीं हो जाता है.
संगठन ने इस घटना की विस्तृत व निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए दोहराया है कि ग़ाज़ा में पत्रकारों समेत सभी आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरसम्भव क़दम उठाए जाने होंगे.
