इस संकट में, ग़ाज़ा में हताहत हो रहे आम लोगों की संख्या बढ़ने,स्कूलों व आश्रय स्थलों पर हमले होने, ईंधन की भारी क़िल्लत के कारण, पूरे ग़ाज़ा क्षेत्र में मानवीय सहायता में बाधाएँ उत्पन्न होने के हालत हैं.
इस बीच सप्ताहन्त को, एक यूएन सहायता कर्मी की मौत होने की भी ख़बरें हैं.
संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने, ग़ाज़ा की लगभग 23 लाख की आबादी के हालात बेहतर बनाए जाने की पुकारें दोहराई हैं.
इनमें से क़रीब 17 लाख लोग, 7 अक्टूबर को, इसराइल में, हमास के हमले के बाद, शुरू हुए इसराइली युद्ध के बीच विस्थापित हुए हैं.
हमास के उस हमले में 1,200 इसराइलियों की मौत हुई थी और 240 लोगों को बन्धक बनाया गया था. उसके बाद ग़ाज़ा में इसराइली हमलों में, 11,000 से अधिक लोग मारे गए हैं. इसराइल ने पूरे ग़ाज़ा की नाकाबन्दी कर रखी है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, रविवार को जारी एक वक्तव्य में कहा है, “यह युद्ध इतनी बड़ी संख्या में आम लोगों की जानें ले रहा है जो चौंकाने वाली और अस्वीकार्य हैं. इनमें हर दिन महिलाओं व बच्चों सहित, आम लोग मारे जा रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “यह रुकना होगा. मैं एक मानवीय युद्धविराम तत्काल लागू किए जाने की अपनी पुकार दोहराता हूँ.”
यूएन मानवािकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने भी रविवार को एक वक्तव्य में कहा है कि, ग़ाज़ा में पिछले 48 घंटों के दौरान हुई घटनाओं को देखकर विश्वास नहीं होता.”

लगातार बढ़ती पीड़ा
वोल्कर टर्क ने कहा कि आश्रय स्थलों में तब्दील किए गए स्कूलों पर हमलों में हो रही मौतें, अल-शिफ़ा अस्पताल से हज़ारों लोगों के, अपने जीवन की रक्षा की ख़ातिर पलायन और दक्षिणी ग़ाज़ा की तरफ़ हज़ारों लोगों का विस्थापन जारी रहना, कुछ ऐसे हालात हैं जिनमें अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, आम लोगों को बुनियादी संरक्षण सुनिश्चित होना चाहिए.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इन नियमों का पालन करने में नाकामी, युद्धापराध के दायरे में परिभाषित हो सकती है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA ने ग़ाज़ा स्थिति पर अपनी ताज़ा जानकारी में बताया है कि लगभग 8 लाख 84 हज़ार विस्थापित लोग, पूरी ग़ाज़ा पट्टी में, एजेंसी के 154 आश्रय स्थलों में पनाह लिए हुए हैं.
UNRWA के एक कर्मी का कहना है, “किसी एक आश्रय स्थल में दाख़िल होते हुए ही, आपकी आँखों में आँशू छलक आते हैं. बच्चे भोजन और पानी की तलाश में नज़रें दौड़ाते हैं और रोटी के एक टुकड़ा और पानी की एक बोतल के लिए, छह-छह घंटे तक क़तार में लगन पड़ता है.”
“यहाँ ख़ान यूनिस में लोग, वास्तव में खुले रास्तों पर सोने के लिए विवश हैं और हज़ारों लोग, उत्तरी ग़ाज़ा से, दक्षिणी ग़ाज़ा में पहुँच रहे हैं.”

स्कूलों, आश्रय स्थलों पर हमले
UNRWA ने कहा है कि पिछले 24 घंटों से भी कम में, एजेंसी द्वारा संचालित दो ऐसे स्कूलों पर हमले किए गए हैं, जहाँ अनेक विस्थापित परिवार आश्रय लिए हुए हैं. उन हमलों में अनेक लोग हताहत हुए हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएँ व बच्चे हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने कहा कि विस्थापित फ़लस्तीनियों को आश्रय देने वाले तीन अन्य स्कूलों पर भी हमले किए गए हैं.
उन्होंने कहा, “यह सबकुछ तत्काल बन्द होना होगा. इनसानियत को प्राथमिकता पर रखना होगा. मानवीय और मानवाधिकारों पर आधारित एक युद्धविराम, की बेहद आवश्यकता है.”
UNRWA के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने रविवार को एक वक्तव्य में कहा की ये हमले, “बिल्कुल क्रूर हैं”.
उन्होंने बताया कि 7 अक्टूबर के बाद से, एजेंसी के स्कूलों पर इसराइली बमबारी में, वहाँ पनाह लिए हुए लोगों में से 176 की मौत हो चुकी है और 800 से अधिक घायल हुए हैं.
उन्हें कहा कि UNRWA के ठिकानों को हमलों का निशाना बनाए जाने और वहाँ आम लोगों के हताहत होने को, “निर्दोष नुक़सान” भर नहीं कहा जा सकता है.
“यह क्रूर युद्ध एक ऐसे पड़ाव पर पहुँच रहा है जहाँ से वापसी सम्भव नहीं है और आम लोगों के जीवन के लिए कोई सम्मान दिखाए बिना, तमाम नियमों की अनदेखी हो रही है.”
उन्होंने एक बार फिर इनसानियत का क़ायम रखन और एक मानवीय युद्धविराम तत्काल लागू किए जाने की अपील दोहराई.

अल-शिफ़ा अस्पताल
इस बीच ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल के भीतर और आसपास, इसराइल की
युद्धक गतिविधियाँ जारी हैं और शनिवार को वहाँ का दौरा करने वाले यूएन सहयोगियों ने, वहाँ की स्थिति को, एक “मृत्यु स्थल” क़रार दिया है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO और उसके मानवीय सहायता साझीदारों ने, गम्भीर स्वास्थ्य हालत वाले शिशुओं को, अस्पताल से निकालने में मदद की.
संगठन ने रविवार को ख़बर दी है कि फ़लस्तीनी रैड क्रैसेंट की छह ऐम्बुलैंसों ने, शिशुओं को अल-हेलाल अल-ऐमिरती मातृत्व अस्पताल में पहुँचाया है, जहाँ उन्हें सघन चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने रविवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “अल-शिफ़ा अस्पताल में बचे बाक़ी मरीज़ों और चिकित्सा स्टाफ़ को भी अगले कुछ दिनों के दौरान निकालने के लिए, और भी मिशन चलाने की योजना है.”
UNRWA प्रमुख ने कहा है कि इसराइली सेना के आदेश का पालन करने के लिए, बहुत से चिकित्सा कर्मी, मरीज़ और आम लोग, सप्ताहान्त के दौरान अस्पताल छोड़कर चले गए हैं. सैकड़ों लोगों को दक्षिणी ग़ाज़ा की तरफ़ पैदल ही जाते हुए देखा है, जबकि ऐसा करने से उनकी ज़िन्दगियों, स्वास्थ्य और सुरक्षा को भारी जोखिम है.
