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ग़ाज़ा: युद्धविराम के बाद, 10 लाख से अधिक फ़लस्तीनियों को मिली खाद्य सहायता

ग़ाज़ा: युद्धविराम के बाद, 10 लाख से अधिक फ़लस्तीनियों को मिली खाद्य सहायता

19 जनवरी को ग़ाज़ा में पिछले 15 महीने से जारी लड़ाई पर विराम लगाने और बन्धकों को रिहा किए जाने पर सहमति बनी थी. 7 अक्टूबर 2023 को इसराइल पर हमास व अन्य चरमपंथी गुटों के हमलों के बाद यह युद्ध भड़क उठा था.

यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, इस समझौते के लागू होने के बाद से ही ग़ाज़ा पट्टी में हर दिन ज़्यादा मात्रा में मानवीय सहायता पहुँचाई जा रही है. 

साथ ही, ज़रूरतमन्द आबादी तक पहुँचने के लिए हालात बेहतर हुए हैं, और जीवनरक्षक सहायता व सेवों का दायरा बढ़ाया जा रहा है.

बताया गया है कि मानवीय सहायता मिशन के लिए इसराइली प्रशासन से समन्वय की मोटे तौर पर अब ज़रूरत नहीं है, हालांकि बफ़र ज़ोन में प्रवेश करने के लिए यह आवश्यक होगा.

खाद्य सहायता व स्वास्थ्य देखभाल

यूएन एजेंसी का कहना है कि आबादी की आवाजाही के अनुरूप, साझेदार संगठन अपने सहाया प्रयासों में बदलाव कर रहे हैं. 

इसके तहत राफ़ाह, ग़ाज़ा और नॉर्थ ग़ाज़ा गवर्नरेट समेत उन इलाक़ों में सेवाओं का विस्तार किया गया है, जहाँ पहले पहुँचा कठिन था.

ग़ाज़ा में मानवीय सहायता आवश्यकता गम्भीर स्तर पर हैं. युद्ध के कारण 20 लाख से अधिक लोग अब खाद्य सहायता पर निर्भर हैं, बेघर हैं और उनके पास आय का स्रोत नहीं है.

पिछले दो सप्ताह में, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने एक करोड़ मीट्रिक टन भोजन को ग़ाज़ा पट्टी में पहुँचाया है, और खाद्य पैकेट के ज़रिये यह सामग्री 10 लाख से अधिक परिवारों में वितरित की गई है.

इसके अलावा, WFP ने ग़ाज़ा गवर्नरेट में बेकरी के लिए ईंधन आपूर्ति की व्यवस्था की गई है, ताकि उनकी उत्पादन क्षमता को 40 फ़ीसदी तक बढ़ाया जा सके.

साथ ही, 25 आपात मेडिकल टीम, ग़ाज़ा में सेवारत हैं, जिनमें से 22 मध्य व दक्षिणी ग़ाज़ा में हैं जबकि दो ग़ाज़ा सिटी में हैं और एक उत्तरी ग़ाज़ा में. 

यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, 27 जनवरी के बाद से, आम फ़लस्तीनी एक इलाक़े से दूसरे में गए हैं, हालांकि अब यह सफ़र धीमा हो रहा है. पाँच लाख 65 हज़ार से अधिक लोगों ने दक्षिण से उत्तर में प्रवेश किया है, जबकि 45 हज़ार से अधिक लोग दक्षिणी ग़ाज़ा में गए हैं. 

इसकी एक बड़ी वजह, उत्तरी ग़ाज़ा में सेवाओं का अभाव और बड़े पैमाने पर घरों व समुदायों को पहुँची क्षति है.

एक अनमान के अनुसार, ग़ाज़ा में पांच लाख से अधिक लोग ग़ाज़ा और उत्तरी ग़ाज़ा के गवर्नरेट में वापिस लौटे हैं और उन्हें भोजन, जल, टैंट व आश्रय की सख़्त ज़रूरत है.

आश्रय सम्बन्धी चिन्ताएँ

इस बीच, फ़लस्तीनी रैड क्रेसेन्ट का कहना है कि उत्तरी ग़ाज़ा में कम से कम तीन हज़ार टैंट सोमावर को पहुँचाए गए थे, जबकि आने वाले दिनों में सात हज़ार टैंट की व्यवस्था की जाएगी.

OCHA के अनुसार, पिछले रविवार को मिस्र की सीमा पर स्थित राफ़ाह के ज़रिये लोगों को बेहतर इलाज हेतु अन्य देशों में भेजा जाना शुरू हो गया है. 1 से 3 फ़रवरी के दौरान 100 से अधिक बच्चों समेत 105 मरीज़ों, और उनके 176 तिमारदारों को बेहतर उपचार के लिए अन्य देशों में भेजा गया है.

यूएन एजेंसी का अनुमान है कि अब भी 79 लोगों को ग़ाज़ा में बन्धक बना रखा गया है, और इनमें मृतक भी हैं. पिछले एक सप्ताह के दौरान, अन्तरराष्ट्रीय रैड क्रॉस समिति ने बन्दियों की रिहाई के प्रयासों में अपना अहम योगदान दिया है.

युद्धविराम लागू होने के बाद फ़लस्तीनी परिवार, उत्तरी ग़ाज़ा में अपने घरों का रुख़ कर रहे हैं.

युद्धविराम लागू होने के बाद फ़लस्तीनी परिवार, उत्तरी ग़ाज़ा में अपने घरों का रुख़ कर रहे हैं.

30 जनवरी को तीन इसराइली व पाँच थाई बन्धकों को ग़ाज़ा से इसराइली प्रशासन के सुपुर्द किया गया और 110 फ़लस्तीनी बन्दियों को इसराइली हिरासत केन्द्र से रिहा किया गया.

इसके अगले दिन, तीन इसराइली बन्धकों को ग़ाज़ा से इसराइल भेजा गया, और 183 फ़लस्तीनी बन्दियों की इसराइल में हिरासत केन्द्रों से रिहाई हुई. इनमें 111 लोगों को 7 अक्टूबर को हुए हमलों के बाद ग़ाज़ा पट्टी में हिरासत में लिया गया था.

ICRC के प्रयासों के परिणामस्वरूप, युद्धविराम शुरू होने के बाद से अब तक 18 बन्धक और 583 फ़लस्तीनी बन्दियों की रिहाई हो चुकी है.

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