ग़ौरतलब है कि ग़ाज़ा में युद्ध को लगभग पाँच महीने हो चुके हैं.
मीडिया ख़बरों में कहा गया है कि कुछ देशों ने हवाई मार्ग से मानवीय सहायता आपूर्ति सामग्री गिराने की कोशिश की है, जिन्हें हासिल करने की जद्दोजेहद में, कुछ फ़लस्तीनियों की मौत भी हो गई है.
इन लोगों की मौत या तो उस समय हुई जब वो लोग समुद्र में गिराई गई सहायता सामग्री को हासिल करने की कोशिश कर रहे ते, या फिर सहायता सामग्री के भारा बक्से, उनके ऊपर गिरने से उन लोगों की मौत हो गई.
ख़बरों के अनुसार, इसराइल ने मानवीय सहायता सामग्री के क़ाफ़िलों को, ग़ाज़ा के लिए प्रवेश चौकियों पर रोका हुआ है, या फिर उन क़ाफ़िलों को बहुत धीमी रफ़्तार से प्रवेश दिया जा रहा है, जिसके कारण उत्तरी ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की बहुत सख़्त और बड़ै पैमाने पर ज़रूरत है.
साथ ही, ग़ाज़ा में धरातल पर मौजूद यूएन एजेंसियों ने बताया है कि इसराइल के हवाई हमले और ज़मीनी हमले जारी हैं.
ये स्थिति ऐसे समय में जारी है जब सुरक्षा परिषद, ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने और इसराइल से सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का पालन करने की ज़ोरदार पुकारे लगाई गई हैं.
द हेग स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय ने भी गत शुक्रवार को, इसराइल से कहा था कि वो जनसंहार रोकथाम सन्धि पर एक हस्ताक्षर कर्ता देश के रूप में इसका सम्मान करे और ग़ाज़ा पट्टी में समुचित मात्रा में मानवीय सहायता दाख़िल होने के लिए, अपनी सीमाचौकियाँ खोल दे.
पूरा ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र बना युद्धक्षेत्र
फ़लस्तीनियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA की नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि इसराइल बलों ने, पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में अपने हमले जारी रखे हुए हैं, जिनके परिणामस्वरूप और भी लोग हताहत और विस्थापित हुए हैं. साथ ही लोगों के घरों और बुनियादी ढाँचे को भारी नुक़सान पहुँचा है.
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ग़ाज़ा में इसराइल के हमलों में 32 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. यह हमला 7 अक्टूबर को, इसराइल में, हमास के हमले के बाद भड़का था, जिसमें लगभग 1200 लोग मारे गए थे और 240 से अधिक लोगों को बन्धक बना लिया गया था.
उत्तरी ग़ाज़ा, ख़ान यूनिस और रफ़ाह इलाक़ों में, इसराइली बमबारी और हवाई हमले जारी हैं. UNRWA का अनुमान है कि रफ़ाह में इस समय लगभग 12 लाख लोग रह रहे हैं, जिनमें अधिकतर आबादी, ग़ाज़ा के अन्य इलाक़ों में युद्ध जारी रहने के कारण, सुरक्षा के लिए रफ़ाह पहुँचे हैं.
UNRWA के 100 से अधिक स्कूलों को इसराइली हमलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में निशाना बनाया गया है, जिनमें से अनेक स्कूल तो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. इनमें से बहुत से स्कूलों को, मौजूदा युद्ध शुरू होने के बाद, विस्थापित परिवारों को पनाह देने के लिए भी इस्तेमाल किया गया है.
यूएन एजेंसी सोशल मीडिया पर लिखा है, “#ग़ाज़ापट्टी में कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं है. यह बच्चों पर युद्ध है. यह उनके बचपन और भविष्य पर एक युद्ध है. युद्धविराम तत्काल लागू करें.”
सहायता आपूर्ति में अवरोध
UNRWA ने कहा है कि मानवीय सहायता आपूर्ति में अवरोध जारी रहने के कारण, मानवीय सहायता कर्मी ज़रूरतमन्द लोगों तक नहीं पहुँच पा रहे हैं.
यूएन आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA के अनुसार, 01 मार्च से, इसराइली अधिकारियों ने, उत्तरी ग़ाज़ा के लिए मानवीय सहायता आपूर्ति का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा, दाख़िल होने से रोक दिया है.
इसराइली अधिकारी, UNRWA को उत्तरी ग़ाज़ा में आपता खाद्य सहायता मुहैया कराने के लिए, पहुँच देने से लगातार इनकार कर रहे हैं, जिससे यह एजेंसी मानवीय सहायता उपलब्ध कराने का काम नहीं कर पा रही है. इसराइली अधिकारियों ने, गत सप्ताह घोषणा की थी कि वो UNRWA के दीगर सहायता क़ाफ़िलों को, मंज़ूरी नहीं देगी.
यूएन एजेंसी का कहना है कि1 से 30 मार्च तक, औसतन हर दिन 159 सहायता ट्रक ग़ाज़ा में दाख़िल हुए, जबकि युद्ध शुरू होने से पहले यह संख्या हर दिन लगभग 700 सहायता ट्रकों की थी.
संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), लगभग साढ़े 14 लाख लोगों को, आपात भोजन मुहैया करा रहा है, मगर इस एजेंसी का कहना है कि सहायता सामग्री पर्याप्त नहीं है.
यूएन खाद्य एजेंसी ने कहा है, “युदधविराम लागू हुए बिना और सम्पूर्ण पहुँच के बिना, लोगों की ज़िन्दगियाँ दाँव पर हैं.“
‘UNRWA है रीढ़ की हड्डी’
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, UNRWA के जीवनरक्षक कार्य को सीमित करने के कि किन्हीं प्रयासों की कड़ी निन्दा की है, जिसे अपना काम करने के लिए, यूएन महासभा से शासनादेश मिला हुआ है.
उन्होंने कहा है, “UNRWA को दरकिनार करने के प्रयासों को रोका जाना होगा.”
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा, “UNRWA, ग़ाज़ा में, मानवीय सहायता अभियान की रीढ़ की हड्डी है. इस एजेंसी की मदद के बिना, मानवीय सहायता वितरण के कोई भी प्रयास, नाकाम हो जाएंगे.”