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ग़ाज़ा: मरीज़ों से भरी ऐम्बुलेंस के क़ाफ़िले का रास्ता रोके जाने पर गहरी हताशा

फ़लस्तीन में यूएन मानवतावादी टीम ने बताया कि यह कोई इक़लौती घटना नहीं है. “राहत क़ाफ़िलों पर गोलीबारी हुई है और उन्हें व्यवस्थागत ढंग से ज़रूरतमन्द लोगों तक जाने से रोका गया है.”

ख़ान यूनिस में स्थित अल-अमाल अस्पताल से 24 मरीज़ों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एक मिशन के दौरान हाल ही में यह घटना हुई है.

7 अक्टूबर को हमास द्वारा इसराइल में किए गए आतंकी हमलों के बाद ग़ाज़ा पट्टी में भीषण लड़ाई जारी है. इन हमलों में 1,200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक को बंधक बना लिया गया था. 

वहीं, ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य कार्रवाई में अब तक क़रीब 30 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकाँश महिलाएँ व बच्चे हैं.

युद्धविराम के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बार-बार पुकार लगाई गई हैं. इस बीच, इसराइली प्रशासन व हमास के प्रतिनिधियों में ग़ाज़ा में रखे गए बंधकों और इसराइल में फ़लस्तीनी बन्दियों की रिहाई के लिए बातचीत जारी है.

यूएन मानवतावादी कार्यालय के प्रवक्ता येन्स लार्क के अनुसार, जिन मरीज़ों को अस्पताल से बाहर ले जाया गया, उनमें से अधिकाँश की सर्जरी किए जाने की ज़रूरत थी, जिसे फ़िलहाल अल-अमाल अस्पताल में नहीं किया जा सकता है.

31 मरीज़ों की स्थिति ज़्यादा गम्भीर नहीं है और वे अभी अस्पताल में ही भर्ती हैं.

यूएन कार्यालय प्रवक्ता येन्स लार्क ने जिनीवा से बताया कि मरीज़ों को सुरक्षित बाहर ले जाने के इस मिशन के बारे में इसराइली प्रशासन को सूचना दे दी गई थी.

मगर, इसके बावजूद इसराइली सेना ने अभी तक यह नहीं बताया है कि ऐम्बुलेंस के क़ाफिले को कम से कम सात घंटों तक क्यों रोककर रखा गया, या फिर स्वास्थ्यकर्मियों को बाहर निकलने और कपड़े उतारने के लिए क्यों कहा गया.

बताया गया है कि अभी दो चिकित्सा सहायकों को रिहा नहीं किया गया है.

कार्य जारी रखने का संकल्प

यूएन स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियान लिन्डमायर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि 36 अस्पतालों में से केवल 12 में आंशिक रूप से कामकाज हो पा रहा है.

इनमें से छह अस्पताल दक्षिण में, और छह उत्तरी ग़ाज़ा में हैं, मगर 23 अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएँ पूरी तरह ठप हैं.

दक्षिणी ग़ाज़ा में अतिरिक्त 15 आपात मेडिकल टीम को तैनात किया गया है, जहाँ चार फ़ील्ड अस्पतालों में 305 बिस्तर की क्षमता है. 

यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने कहा कि ये सेवाएं मदद के नज़रिये से महत्वपूर्ण हैं, मगर ग़ाज़ा में स्वास्थ्य प्रणाली को फिर से खड़ा करना ज़रूरी है. उनके अनुसार वहाँ प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी हैं, जो इन हालात में भी काम करने के लिए तैयार हैं.

इससे पहले, शनिवार को यूएन के राहत मिशन ने अल अमाल अस्पताल में हताश, ज़रूरतमन्द लोगों तक चिकित्सा सामग्री, दवाएँ, भोजन, जल व जनरेटर के लिए ईंधन वितरित किया था.

युद्ध शुरू होने से पहले इस अस्पताल में 10 बिस्तर थे और यहाँ मातृत्व व बाल स्वास्थ्य देखभाल का ध्यान रखा जाता था, और बुनियादी सर्जरी व अन्य स्वास्थ्य ज़रूरतों की क्षमता थी.

मगर, बमबारी में अस्पताल की इमारत की तीसरी मंज़िल क्षतिग्रस्त हो गई और बिस्तरों की क्षमता घटकर 60 रह गई है. 

ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस में स्थित अल-अमाल अस्पताल का कुछ हिस्सा, बमबारी में क्षतिग्रस्त हुआ है.

ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस में स्थित अल-अमाल अस्पताल का कुछ हिस्सा, बमबारी में क्षतिग्रस्त हुआ है.

‘ब्लू लाइन’ पर टकराव

इस बीच, यूएन शान्तिरक्षकों ने मंगलवार को लेबनान और इसराइल की सीमा पर स्थित ‘ब्लू लाइन’ क्षेत्र में टकराव में आई तेज़ी पर चिन्ता व्यक्त की है.

पिछले कुछ दिनों में दक्षिणी लेबनान में हिज़बुल्लाह गुट और इसराइली सेना के बीच गोलाबारी हुई है, जिसके बाद लेबनान में यूएन अन्तरिम बल (UNIFIL) की ओर से एक ऐलर्ट जारी किया गया है.

यूएन मिशन ने अपने एक वक्तव्य में बताया है कि इन हमलों का दायरा बढ़ रहा है और कार्रवाई तेज़ हो रही है, जिसके मद्देनज़र दोनों पक्षों से टकराव को रोकने की अपील की गई है. 

यूएन मिशन के अनुसार, इसराइल पर हमास के हमलों के बाद शुरू हुए इस टकराव में अब तक कई लोगों की जान गई है, आजीविकाओं पर जोखिम गहरा हुआ है और ब्लू लाइन के इर्दगिर्द रहने वाले हज़ारों आम नागरिकों का जीवन बदल गया है.

UNIFIL ने तनाव में कमी लाने और ग़लतफ़हमी को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के साथ सम्पर्क व बातचीत जारी रखी है, मगर हाल के घटनाक्रम से इस टकराव के राजनैतिक समाधान की सम्भावनाओं के लिए जोखिम बढ़ा है.

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