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ग़ाज़ा: फ़लस्तीनी आबादी व सहायता क़ाफ़िलों पर हमले, ‘गहरी पीड़ा दैनिक जीवन का हिस्सा’

ग़ाज़ा: फ़लस्तीनी आबादी व सहायता क़ाफ़िलों पर हमले, ‘गहरी पीड़ा दैनिक जीवन का हिस्सा’

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) में आपात मामलों की वरिष्ठ अधिकारी लुईस वॉटरिज ने शुक्रवार को मध्य ग़ाज़ा से जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि घटनास्थल से हृदयविदारक तस्वीरें मिल रही हैं.

“अभिभावक अपने बच्चों को ढूंढ रहे हैं, बच्चे धूल और ख़ून से लथपथ हैं और अपने माता-पिता की तलाश कर रहे हैं.”

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बुधवार को ग़ाज़ा में तुरन्त, बिना शर्त, स्थाई युद्धविराम लागू करने की मांग करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसके एक दिन बाद ये हमले हुए हैं.

लुईस वॉटरिज ने मौजूदा हालात को वीभत्स क़रार देते हुए कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में फ़लस्तीनी आबादी की रोज़मर्रा के जीवन में गहरी पीड़ा अब एक सामान्य बात हो गई है.

यूएन अधिकारी वॉटरिज के अनुसार, अस्पतालों में भारी भीड़ है और ज़िन्दगियों के लिए जोखिम बनने वाले घावों, संक्रमणों की रोकथाम के लिए चिकित्सक निरन्तर संघर्ष कर रहे हैं. अति-आवश्यक चिकित्सा सामग्री जैसेकि इंसुलिन, सिरिंज, कैंसर दवाओं की गम्भीर क़िल्लत के कारण हालात और जटिल हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि बच्चे इस हिंसक टकराव से सर्वाधिक प्रभावित हैं और प्रति व्यक्ति अपंग बच्चों के मामले अब ग़ाज़ा में सबसे अधिक हैं. “अनेक अपने हाथ-पाँव खो चुके हैं और अक्सर ऐसे हालात में उन्हें बिना बेहोश किए हुए ही सर्जरी की जा रही है.”

UNRWA के अनुसार, पिछले 14 महीनों में 26 हज़ार लोगों ने जीवन बदल कर रख देने वाले ज़ख़्मों को झेला है, जिसके लिए उन्हें पुनर्वास समर्थन की आवश्यकता होगी.

लुईस वॉटरिज ने बताया कि यूएन एजेंसी पर हमले जारी रहने के बावजूद, उनका संगठन ग़ाज़ा में स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराने मे जुटा है. इस युद्ध के दौरान अब तक 67 लाख मेडिकल परामर्श दिए जा चुके हैं.

अकाल की आशंका

ग़ाज़ा में खाद्य असुरक्षा अब भी एक बड़ी चिन्ता है. अकाल का आकलन करने वाली समिति ने उत्तरी ग़ाज़ा में अकाल के आसन्न संकट के प्रति पहले ही चेतावनी जारी की है.

आपात मामलों की अधिकारी वॉटरिज ने बताया कि 14 महीनों से लोग ब्रैड, दाल, डिब्बा बन्द भोजन पर गुज़ारा कर रहे हैं. “हमने फल और सब्ज़ियों को यहाँ नहीं देखा है. पिछले चार महीनों में ही क़रीब 19 हज़ार बच्चों को अचानक कुपोषण की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया है.”

गुरूवार को एक मानवीय सहायता क़ाफ़िले पर हुए हमले में अनेक सुरक्षा गार्ड की मौत होने की ख़बर है. 70 ट्रकों में से केवल एक के ज़रिये ही भोजन, स्वच्छता सामग्री व टैंट की आपूर्ति की गई है.

आपराधिक तत्वों द्वारा सहायता सामग्री की लूटपाट और अन्य सुरक्षा जोखिमों के कारण राहत क़ाफ़िलों को अपने गंतव्य स्थानों तक पहुँचना मुश्किल साबित हो रहा है.

उत्तरी ग़ाज़ा में हालात

यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) ने बताया है कि दो महीने पहले, उत्तरी ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य कार्रवाई में तेज़ी आने के बाद से अब तक, घेराबन्दी वाले इलाक़ों में ज़रूरतमन्द आबादी तक पहुँचने के लिए यूएन द्वारा किए जा रहे सभी प्रयासों को या तो नकार दिया गया है या फिर उन्हें अवरोधों से जूझना पड़ा है.

6 अक्टूबर के बाद से, यूएन व साझेदार संगठनों ने ग़ाज़ा के इस हिस्से में 137 मिशन का अनुरोध किया, जिसमें से 124 को सिरे से ख़ारिज कर दिया गया. अन्य 13 मिशन की स्वीकृति दी गई, मगर उनके रास्ते में अवरोध उत्पन्न हुए.

इस सप्ताह, सोमवार से अब तक यूएन ने 16 सहायता मिशन का अनुरोध किया, जिनमें से लगभग सभी को ख़ारिज कर दिया गया. जिस एक मिशन को स्वीकृति मिली थी, उसे भी ज़रूरतमन्द आबादी वाले इलाक़ों में पहुँचने से रोका गया.

यूएन कार्यालय ने ज़ोर देकर कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता के लिए आवाजाही की अनुमति दी जानी होगी. इनमें उत्तरी ग़ाज़ा के इलाक़े भी हैं, जहाँ हज़ारों फ़लस्तीनी पिछले 10 सप्ताह से घेराबन्दी का शिकार हैं और विनाशकारी हालात से जूझ रहे हैं.

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