मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA) और यूएन खनन कार्रवाई सेवा (UNMAS) की टीमों ने इस सप्ताह की शुरुआत में, याफ़ा और अल सोमुद में स्थित अस्थाई आश्रयों में रहने वाले 190 से अधिक परिवारों की तात्कालिक ज़रूरतों का मूल्याँकन किया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को हुए हवाई हमले में कई लोग घायल हो गए. यूएन कर्मियों ने बताया कि दोनों स्थानों पर दर्जनों तम्बू नष्ट हो गए हैं तथा कई अन्य क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
पानी, सीवेज और सौर ऊर्जा प्रणालियों समेत, अधिकतर आवश्यक बुनियादी ढाँचों पर असर पड़ा है. साथ ही, तीन शिक्षण स्थान भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
नागरिकों की रक्षा ज़रूरी
हमले से प्रभावित परिवारों की मदद के लिए मानवीय साझेदारों ने कार्रवाई तेज़ कर दी है. इसमें आश्रय के लिए आपातकालीन सामग्री, गैर-खाद्य वस्तुओं के साथ-साथ खाद्य सहायता भी प्रदान की जा रही है. वहीं एक अन्य साझेदार, पानी एवं स्वच्छता सेवाएँ प्रदान करने में जुटा है.
न्यूयॉर्क में मीडिया को दैनिक जानकारी देते समय स्तेफ़ान दुजारिक ने कहा, “ग़ाज़ा में टकराव की स्थिति बरक़रार है और हम एक बार फिर ज़ोर देकर कहना चाहते हैं कि हर समय, हर हाल में नागरिकों की रक्षा की जानी चाहिए, और उनके जीने के लिए आवश्यक सभी ज़रूरतों को पूरा किया जाना चाहिए.”
मानवीय प्रयास ‘टूटने के कगार’ पर
कुछ ही समय पहले संयुक्त राष्ट्र के मानवीय समन्वयक टॉम फ़्लैचर ने चेतावनी दी थी कि ग़ाज़ा में पहले से ही मुश्किलों में पड़े सहायता प्रयासों को विशाल बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
सोमवार को जारी एक वक्तव्य में उन्होंने कहा, “वास्तविकता यह है कि जीवित बचे लोगों को भोजन, पानी और दवा पहुँचाने के हमारे दृढ़ संकल्प के बावजूद, जीवन बचाने के हमारे प्रयास टूटने के कगार पर हैं.”
उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में कोई उचित नागरिक व्यवस्था नहीं है, और इसराइली सेना मानवीय काफ़िलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ या अनिच्छुक नज़र आती है.
टॉम फ़्लैचर ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से एक बार फिर अपील की कि वो सभी नागरिकों व मानवीय कार्रवाई की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर ज़ोर दें.