इस हमले में किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है. यूएन एजेंसी कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्केन ने इस घटना को पूर्ण रूप से अस्वीकार्य बताते हुए, ग़ाज़ा में WFP कर्मचारियों के जीवन को ख़तरे में डालने वाली ऐसी घटनाओं पर गहरी चिन्ता जताई है.
उन्होंने इसराइली प्रशासन और सभी युद्धरत पक्षों से आग्रह किया गया है कि मानवीय राहतकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल क़दम उठाए जाने होंगे.
यूएन महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि यूएन मानवतावादी टीम के स्पष्ट रूप से चिन्हित वाहन एक क़ाफ़िले का हिस्सा था, और इसे इसराइली सैन्य बलों को सूचित करने के बाद ही रवाना किया गया था.
मगर, फिर भी यह इसराइली सैन्य बलों की गोलीबारी की चपेट में आ गया, और वाहन के आगे के हिस्से पर गोलियाँ लगीं.
यूएन प्रवक्ता के अनुसार, यह घटना दर्शाती है कि पारस्परिक समन्वय के लिए जिस प्रणाली को स्थापित किया गया है वह काम नहीं कर पा रही है. “हम इसराइली रक्षा बलों के साथ मिलकर अपने प्रयास जारी रखेंगे ताकि ऐसी घटनाएँ फिर ना हों.”
उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का सदैव सम्मान करना होगा, आमजन की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी और उनकी ज़रूरतों, भोजन, जल, शरण व स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना होगा, फिर चाहे वे ग़ाज़ा में कहीं भी हों.
राहत अभियान के बाद गोलीबारी की चपेट में
यूएन एजेंसी की यह टीम मंगलवार रात को WFP की बख़्तरबन्द गाड़ियों में सहायता सामग्री से लदे ट्रकों के क़ाफ़िले को मध्य ग़ाज़ा तक पहुँचाने के बाद, केरेम शेलॉम वापिस लौट रही थी.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, स्पष्ट रूप से चिन्हित होने और इसराइली प्रशासन से अनुमति मिलने के बावजूद, यह वाहन इसराइली सेना की सीमा चौकी की ओर बढ़ते समय सीधे गोलीबारी की चपेट में आ गया.
वाहन पर 10 गोलियाँ लगी हैं, जिनमें पाँच वाहन चालक की तरफ़, दो यात्री सीट के पास तीन अन्य हिस्सों में हैं. इस सीमा चौकी के नज़दीक ही वादी ग़ाज़ा पुल है.
पिछले वर्ष अक्टूबर से जारी लड़ाई के बाद यह पहली ऐसी घटना नहीं है, मगर यह पहली बार है जब किसी सीमा चौकी के पास यूएन खाद्य एजेंसी के वाहन को सीधे तौर पर निशाना बनाया गया है, जबकि उसे अनुमति प्राप्त थी.
संगठन के अनुसार, यह घटना एक ज्वलंत उदाहरण है कि ग़ाज़ा पट्टी में कितनी तेज़ी से मानवतावादी अभियान के लिए स्थान सिकुड़ रहा है. बढ़ती हिंसा के कारण ज़रूरतमन्द आबादी तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने की क्षमता कमज़ोर हो रही है.
मानवीय सहायता अभियान के लिए सीमित सुलभता या मार्ग उपलब्ध ना होने, जोखिम बढ़ने से ज़रूरतमन्द लोगों तक आवश्यक खाद्य सामग्री की मात्रा में गिरावट आ रही है.