यूएन एजेंसियों ने कहा है कि इसराइल-फ़लस्तीन संकट के जारी रहने से, 15 लाख से अधिक फ़लस्तीनी लोगों की ज़रूरतों में विशाल इज़ाफ़ा हो रहा है.
यूएन एजेंसियों के अनुसार, 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमले के बाद, इसराइल ने ग़ाज़ा में रहने वाले लगभग 23 लाख फ़लस्तीनी लोगों की सहायता के लिए ईंधन वितरण को, इसराइल ने बड़े पैमाने पर प्रतिबन्धित कर रखा है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा कि इससे पानी और बिजली उपलब्ध कराने के सहायता प्रयासों और सेवाओं में गम्भीर बाधा आई है.
हमास के उस हमले में कम से कम 1,200 लोग मारे गए थे और 240 लोगों को बन्धक बना लिया गया था. इसराइल ने उसके बाद ग़ाज़ा में भीषण युद्ध छेड़ा हुआ है जिसमें 11 हज़ार से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बरें हैं.
WHO का अल-शिफा अस्पताल मिशन
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने, ग़ाज़ा में, इसराइली घेराबन्दी का शिकार अल-शिफ़ा अस्पताल के लिए एक मिशन का नेतृत्व किया, जहाँ हज़ारों नागरिक, चिकित्सा कर्मचारियों के साथ पनाह लिए हुए हैं, जो मरीज़ों की देखभाल के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
WHO के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा है, “टीम ने देखा कि अस्पताल अब काम करने में सक्षम नहीं है: न पानी है, न भोजन है, न बिजली है, न ईंधन है, चिकित्सा सामग्री भी ख़त्म हो गई है.”
“स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने, इस दयनीय स्थिति और शिशुओं सहित अनेक रोगियों की हालत को देखते हुए, उन रोगियों को निकालने के लिए सहायता का अनुरोध किया, जिन्हें अब वहाँ जीवनरक्षक देखभाल नहीं मिल सकती है.”
उन्होंने इस अभियान को, “एक बहुत ही उच्च जोखिम भरा मूल्यांकन मिशन” कहा है. उन्होंने ही कहा कि संगठन, एक तत्काल निकासी योजना तैयार करने के लिए, भागीदारों के साथ काम कर रहा है, और इस योजना को पूरी तरह से लागू किए जाने का आग्रह कर रहा है.
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “हम स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा की लगातार मांग कर रहे हैं. मौजूदा स्थिति असहनीय और न्यायपूर्ण है.”
‘कठिन निर्णय’

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNRWA) के प्रमुख फ़िलिपे लज़ारिनी ने एक वक्तव्य में कहा है कि अनेक सप्ताहों की देरी के बाद, इसराइली अधिकारियों ने ग़ाज़ा में मानवीय कार्यों के लिए दैनिक न्यूनतम ईंधन आवश्यकताओं के केवल आधे हिस्से को मंजूरी दी.
उन्होंने कहा है, “मानवीय सहायता संगठनों को, प्रतिस्पर्धी जीवनरक्षक गतिविधियों के बीच कठोर निर्णय लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.”
संयुक्त राष्ट्र आपदा राहत एजेंसी (OCHA) की नवीनतम स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा युद्ध शुरू होने के बाद से 11 हज़ार से अधिक ग़ाज़ावासी मारे गए हैं और हजारों अन्य घायल हुए हैं.
ईंधन की कमी के कारण, पूरे ग़ाज़ा में संचार बन्द हो गया, जल परिशोधन स्टेशन बन्द हो गए हैं, अस्पताल बन्द हो गए हैं और सहायता वितरण अभियानों में बहुत कमी आई है.

