सिगरिड काग ने सुरक्षा परिषद में राजदूतों को, दिसम्बर (2023) में पारित किए गए प्रस्ताव 2720 पर कार्रवाई के बारे में ताज़ा जानकारी भी मुहैया कहराई है. इस प्रस्ताव के ज़रिए सिगरिड काग के कार्य का शासनादेश जारी किया गया था.
इस प्रस्ताव में, अक्टूबर (2023) से युद्ध का सामना कर रहे ग़ाज़ा में मानवीय सहायता पहुँचाने और पुनर्निर्माण का रास्ता साफ़ करने का अभियान शामिल है.
इस प्रस्ताव के ज़रिए सिगरिड काग को, ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता के क़ाफ़िलों की संख्या बढ़ाने के लिए, यूएन प्रणाली तैयार करने की भी ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी जिसका संचालन और प्रबन्धन, संयुक्त राष्ट्र का परियोजना सेवाएँ कार्यालय (UNOPS) की ज़िम्मेदारी है.
आपूर्ति मार्गों का निर्धारण
सिगरिड काग ने सुरक्षा परिषद में कहा कि “2720 की टीम” सहायता सामग्री की पहुँच के मुद्दों पर लगातार सक्रिय रही है, उसने बाधाओं को दूर किया है और समाधान सुझाए हैं, ताकि तमाम सहायता साझीदारों द्वारा सहायता की आपूर्ति हो सके.
इनमें फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA भी शामिल है, जिसे उन्होंने ग़ाज़ा में मानवीय सहायता अभियानों की “रीढ़ की हड्डी” क़रार दिया.
उन्होंने याद दिलाया कि 11 महीने पहले, ग़ाज़ा पट्टी के लगभग सभी आपूर्ति बिन्दुओं से अलग-थलग गो गया था, और केवल एक ही प्रवेश मार्ग खुला हुआ था.
उनके मिशन ने, जटिल स्थिति होने के बावजूद, मानवीय सहायता सामग्री की आपूर्ति को आसान बनाने, उसका स्तर व दायरा बढ़ाने और उसमें टिकाऊ तरीक़े से तेज़ी लेने के लिए, आपूर्ति मार्गों व प्रणालियों को मज़बूत करने के साथ-साथ अतिरिक्त मार्गों को खोलने के लिए वार्ताएँ की हैं.
सिगरिड काग ने बताया कि इन मार्गों के ज़रिए, मिस्र, जॉर्डन, साइप्रस, पश्चिमी तट और इसराइल से सामान की आपूर्ति आती है.
मानवीय सहायता के लक्ष्य अधूरे
सिगरिड काग ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए अलबत्ता साथ ही ये भी कहा कि वर्तमान में जो प्रणालियाँ इस्तेमाल की जा रही हैं, वो उस राजनैतिक इच्छाशक्ति की जगह नहीं ले सकती हैं, जिसकी ज़रूरत ग़ाज़ा में लोगोंम तक पहुँच बनाने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए है.
उन्होंने कहा, “असरदार मानवीय सहायता अभियानों के लिए, बहुत सारी चीज़ें अच्छी गुणवत्ता और मात्रा में चाहिए, ताकि ग़ाज़ा में आम लोगों की दैनिक ज़रूरतों को पूरा किया जा सके.”
इनके अतिरिक्त, पूरे ग़ाज़ा पट्टी में जारी युद्ध, क़ानून और व्यवस्था का बिखर जाना और सामान की छीना-झपटी, वहाँ मानवीय सहायता सामग्री के वितरण के लिए, यूएन स्टाफ़ के प्रयासों के रास्ते में बाधाएँ खड़ करते हैं.