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गहराती भूराजनैतिक दरारों के दौर में, ‘शान्ति की संस्कृति’ के प्रसार पर बल

गहराती भूराजनैतिक दरारों के दौर में, ‘शान्ति की संस्कृति’ के प्रसार पर बल

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, हर साल 21 सितम्बर को मनाए जाने वाले ‘अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस’ के उपलक्ष्य में, शुक्रवार, 13 सितम्बर को न्यूयॉर्क मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में यह अपील की.

समारोह के दौरान पारम्परिक रूप से शान्ति की घंटी बजाई गई, जिसे 1950 के दशक में शान्ति की आशा के प्रतीक के रूप में, पोप के साथ-साथ, दुनिया भर के लोगों द्वारा दान किए गए सिक्कों और पदकों से बनाया गया था.

यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में कहा कि हम यहाँ शान्ति की पुकार के लिए एकत्र हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र संगठन का अस्तित्व, शान्ति के लिए ही है, जोकि संगठन का मार्गदर्शक है और हमारी स्थापना के लिए विचारों व आस्था की बुनियाद भी.

मगर, उन्होंने सचेत किया कि यह “शान्ति ख़तरे में है. युद्ध फैलते जा रहे हैं.”

“मध्य पूर्व से लेकर सूडान, यूक्रेन तक और उससे परे भी, हम गोलियों और बमों को पंगु बनाते व जान लेते हुए देखते हैं; शवों के ऊँचे ढेर हैं; आबादियाँ सदमे में हैं; और इमारतें मलबे मे तब्दील हो चुकी हैं.”

दरकती बुनियाद

यूएन प्रमुख के अनुसार, एक शान्तिपूर्ण विश्व की बुनियाद दरक रही है. भूराजनैतिक दरारें गहरी हो रही हैं और विषमताएँ बढ़ती जा रही हैं.

“जानबूझकर फैलाई जाने वाली ग़लत जानकारी के कारण नफ़रत की ज्वाला धधक रही है. बिना ऐहतियाती उपायों के नई टैक्नॉलॉजी का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.”

महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि जलवायु संकट के कारण अस्थिरता को हवा मिल रही है, संसाधन ख़त्म होते जा रहे हैं और लोग बेघर होने के लिए मजबूर हैं.

इसके मद्देनज़र, अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं को मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार रहना होगा. “और हमारे पास बदलाव का एक अवसर है.”

न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में शान्ति की घंटी का एक दृश्य.

शान्ति का नया एजेंडा

यूएन प्रमुख ने कहा कि इसी महीने ‘भविष्य की शिखर बैठक’ (Summit of the Future) हो रही है, जिसमें सुधार व नई ऊर्जा भरने की प्रक्रिया में जान फूँकी जा सकती है.

उन्होंने बहुपक्षीय संस्थाओं को दूसरे विश्व युद्ध की वास्तविकताओं के बजाय, मौजूदा हालात के अनुरूप तैयार करने का आग्रह किया, जिसके लिए शान्ति के नए एजेंडा को आगे बढ़ाना होगा, टिकाऊ विकास लक्ष्यों को साकार किया जाना होगा, और मानवाधिकारों की रक्षा की जानी होगी.

इस क्रम में, उन्होंने जलवायु परिवर्तन से उपजने वाले ख़तरों के अनुरूप रक्षा उपाय अपनाने, हिंसक टकरावों में नई टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के प्रति चिन्ताओं को दूर करने के लिए समझौता करने, लैंगिक समानता की रक्षा करने और नस्लवाद व भेदभाव से निपटने को अहम माना है.

उन्होंने कहा कि नागरिक समाज में सभी वर्गों की हिस्सेदारी को सुनिश्चित करते हुए शान्ति की संस्कृति को फलने-फूलने देना होगा. यही इस वर्ष, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस की थीम है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि शान्ति की घंटी को हर वर्ष इसी उद्देश्य से बजाया जाता है और इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनी जानी चाहिए. 

शान्ति की घंटी

यह घंटी, साल में दो बार बजाई जाती है: वसन्त ऋुतु के पहले दिन और 21 सितम्बर को अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस के अवसर पर. 

इसके अलावा, यह कुछ अन्य विशेष अवसरों पर भी बजाई जाती है, जैसेकि 26 अप्रैल 2011 को विनाशकारी चेरनोबिल परमाणु रिएक्टर दुर्घटना के 25 साल पूरे होने पर.

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