यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने सचेत किया कि इन टैक्नॉलॉजी तक पहुँच में विषमताएँ व्याप्त होने से वैश्विक असमानताएँ और गहरी हो सकती हैं.
“एआई क्षमताएँ आज केवल चुनिन्दा शक्तिशाली कम्पनियों तक ही केन्द्रित हैं, और उससे भी कम देशों में. इस बीच, बहुत से ऐसे देश हैं, जिन्हें एआई औज़ारों को हासिल करने में बड़ी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है.”
इसके मद्देनज़र, उन्होंने मौजूदा खाई को पाटने पर बल देते हुए कहा कि 2030 एजेंडा के तहत स्थापित लक्ष्यों को हासिल करने में कृत्रिम बुद्धिमता दुनिया की मदद कर सकती है. मगर, इसके लिए अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व एकजुटता को प्रोत्साहन दिया जाना होगा.
महासचिव गुटेरेश के अनुसार, जिस तरह से एआई के लाभ असमानतापूर्ण ढंग से वितरित हैं, वैसे ही जोखिम भी हैं.
“पर्याप्त स्तर पर ऐहतियाती उपायों के अभाव में, एआई के कारण मौजूदा असमानताएँ और डिजिटल दरारें गहरी हो सकती हैं, जिनसे सर्वाधिक निर्बलों पर विषमतापूर्ण ढंग से असर होगा.”
अनूठे अवसर
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि इस महीने न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाली ‘भविष्य की शिखर बैठक’ के दौरान, देशों की सरकारें एक वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट को मूर्त रूप प्रदान कर सकती हैं.
उधर, संयुक्त राष्ट्र उच्चस्तरीय परामर्शदाता निकाय द्वारा इस महीने अपनी रिपोर्ट में एआई पर सिलसिलेवार सिफ़ारिशें प्रस्तुत किए जाने की सम्भावना है.
इनमें एआई क्षमता विकास नैटवर्क को तैयार करना, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए एक वैश्विक एआई कोष स्थापित करना और स्थानीय एआई पारिस्थितिकी तंत्रों के लिए एक वैश्विक डेटा फ़्रेमवर्क तैयार किए जाने समेत अन्य उपाय हैं.
चीन की आधिकारिक यात्रा
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश चीन के आधिकारिक दौरे पर हैं, जहाँ वह बीजिंग में स्थानीय समयानुसार गुरूवार को चीन-अफ़्रीका सहयोग फ़ोरम में शिरकत करेंगे.
साथ ही, उनका वरिष्ठ मंत्रियों व सरकारी अधिकारियों से मिलने और देश में यूएन कार्यालय व एजेंसियों का दौरा करने का कार्यक्रम है.
पिछले सप्ताहांत, यूएन प्रमुख सिंगापुर में थे जहाँ उन्होंने राष्ट्रपति थर्मन शनमुगारत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेन्स वॉन्ग और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात की.