उद्योग/व्यापार

एंप्लॉयर को नए वित्त वर्ष के प्रस्तावित इनवेस्टमेंट प्लान के बारे में बता दिया है? सोचसमझ कर करें नई और पुरानी टैक्स रीजीम में से एक का चुनाव

नौकरी करने वाले लोगों को जल्द प्रपोज्ड इनवेस्टमेंट डेक्लेरेशन (Proposed Investment Declaration) करना होगा। एंप्लॉयी हर साल अप्रैल में इसके जरिए अपनी कंपनी को बताता है कि वह नए वित्त वर्ष में कहां-कहां कितना-कितना निवेश करेगा। यह खासकर उन एंप्लॉयी के लिए है जो इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल करते हैं। नई रीजीम में पुरानी रीजीम की तरह कई तरह के डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस नहीं मिलते हैं। इसलिए एंप्लॉयी को सोचसमझकर नई और पुरानी रीजीम में से किसी एक का चुनाव करना चाहिए।

प्रपोज्ड इनवेस्टमेंट डेक्लेरेशन के आधार पर टैक्स का कैलकुलेशन

कंपनी आपके टैक्स रीजीम के सेलेक्शन और इनवेस्टमेंट डेक्लेरेशन के आधार वित्त वर्ष के दौरान आपके टैक्स का कैलकुलेशन करती है। डिडक्शन और एग्जेम्प्शंस को घटाने के बाद अगर आपका टैक्स बनता है तो वह TDS के जरिए आपकी सैलरी से हर महीने काटती है।

नई और पुरानी रीजीम के चुनाव में सावधानी बरतें

आपको प्रपोज्ड इनवेस्टमेंट डेक्लेरेशन कंपनी को देने में सावधानी बरतनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि अब इनकम टैक्स की नई रीजीम डिफॉल्ट टैक्स रीजीम है। अगर आप अपनी कंपनी को स्पष्ट रूप से यह नहीं बताते कि आप ओल्ड टैक्स रीजीम का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो कंपनी का फाइनेंस डिपार्टमेंट नई रीजीम के हिसाब से आपके टैक्स का कैलकुलेशन करेगा। यह ध्यान रखना जरूरी है कि सैलरीड टैक्सपेयर्स को हर साल टैक्स रीजीम में बदलाव करने का विकल्प उपलब्ध होता है। वे जुलाई में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के वक्त भी रीजीम में बदलाव कर सकते हैं।

दोनों के बीच के अंतर को समझें

इनकम टैक्स की नई और पुरानी रीजीम के बीच सबसे बड़ा अंतर टैक्स रेट के मामले में है। नई रीजीम में टैक्स के रेट्स कम हैं। लेकिन, इसमें डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस नहीं मिलते हैं। ओल्ड रीजीम में डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस मिलते हैं। लेकिन, टैक्स के रेट्स नई रीजीम के मुकाबले ज्यादा हैं। ओल्ड रीजीम में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत करीब एक दर्जन इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। साथ ही सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ पॉलिसी और सेक्शन 24बी के तहत होम लोन इंटरेस्ट पर डिडक्शन मिलता है।

ऐसे कर सकते हैं किसी एक चुनाव

अगर आप ओल्ड और न्यू रीजीम में किसी एक का चुनाव नहीं कर पा रहे हैं तो आपको फाइनेंशियल ईयर 2024-2025 में अपनी कुल इनकम का अनुमान लगाना होगा। इसके बाद उन्हें यह देखना होगा कि वे कौन-कौन से डिडक्शन और एग्जेम्प्शंस क्लेम कर सकते हैं। डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस को टोटल इनकम से घटाने के बाद आपको टैक्सेबल इनकम मिल जाएगा। आपको देखना होगा कि इस पर आपकी टैक्स लायबिलिटी कितनी आती है। उसके बाद आप नई रीजीम के हिसाब से अपनी इनकम और टैक्स लायबिलिटी का कैलकुलेशन कर सकते हैं।

नई रीजीम किसके लिए फायदेमंद?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि नई टैक्स रीजीम कुछ टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है। अगर किसी व्यक्ति की सैलरी या पेंशन से कुल इनकम 7.5 लाख रुपये तक है तो वह सेक्शन 16 (ia) के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकता है। 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन और सेक्श 87ए के तहत 25,000 रुपये का रिबेट क्लेम करने पर उसकी टैक्स लायबिलिटी घटकर जीरो हो जाती है।

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