फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी UNRWA ने बुधवार को आगाह करते हुए कहा है कि ग़ाज़ा सिटी से उत्तरी इलाक़ों की ओर जाने वाले सहायता मिशनों को इसराइल से अनुमति नहीं मिल रही है.
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी, WHO ने भी बेत लाहिया में संकटग्रस्त कमाल अदवान अस्पताल के बारे में भी गहरी चिन्ताजनक जानकारी दी है जिसके अनुसार, सोमवार तक, उसमें केवल तीन दिनों का ईंधन बचा था.
WHO की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने कहा, “अस्पताल में अब 13 बच्चों सहित 55 मरीज़ हैं” और कुल मिलाकर पाँच मरीज़ गहन देखभाल में हैं.
प्रवक्ता ने कहा, “अस्पताल को इस समय केवल 12 सामान्य चिकित्सक और 70 नर्स चला रहे हैं…[अस्पताल को] अत्यधिक काम के बोझ से दबे नर्सों और डॉक्टरों को राहत देने और अधिक विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए आपातकालीन चिकित्सा टीमों की सख़्त आवश्यकता है.”
“उन्हें रक्त इकाइयों, चिकित्सा आपूर्ति, भोजन और ईंधन की भी आवश्यकता है.”
डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने कहा कि यूनीसेफ़ ने अस्पताल तक पहुँच बनाकर अत्यधिक कुपोषित बच्चों के लिए तैयार भोजन वितरित किया है, लेकिन एजेंसी को उच्च ऊर्जा वाले बिस्कुट ले जाने की अनुमति नहीं दी गई, जो उनके राहत पैकेज का हिस्सा थे.
कुपोषण की बिगड़ती स्थिति
संयुक्त राष्ट्र सहायता समन्वय कार्यालय – OCHA की ग़ाज़ा से मुहैया कराई गई नवीनतम जानकारी में, “पोषण स्थिति के तेज़ी से बिगड़ने के स्पष्ट संकेत” नज़र आते हैं.
ग़ाज़ा से नवीनतम पोषण डेटा के अनुसार, एक से 23 नवम्बर के बीच, 3 हज़ार 410 बच्चों को तीव्र कुपोषण के उपचार के लिए भर्ती कराया गया. जुलाई और अक्टूबर के बीच, मासिक औसत के अनुसार, 4 हज़ार 700 बच्चों को उपचार के लिए भर्ती कराया गया.
यह वर्ष के शुरू से अस्पतालों में भर्ती किए गए 32 हज़ार 817 बच्चों की 67 प्रतिशत संख्या है.
इससे भी अधिक चिन्ताजनक बात यह है कि सहायता टीमों ने, गम्भीर तीव्र कुपोषण से पीड़ित बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराए गए बच्चों की संख्या में “काफ़ी वृद्धि” देखी है.
युवाओं में भी शरीर में, द्रव प्रतिधारण यानि द्रव की अधिक मात्रा बरक़रार रहने (Oedema) के स्पष्ट लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जो गम्भीर भूख के स्तर की स्थिति का एक स्पष्ट संकेत है.