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अफ़ग़ानिस्तान: ग़ैर-सरकारी संगठनों में अफ़ग़ान महिलाओं पर पाबन्दी, ‘पूरी तरह से ग़लत रास्ता’

अफ़ग़ानिस्तान: ग़ैर-सरकारी संगठनों में अफ़ग़ान महिलाओं पर पाबन्दी, ‘पूरी तरह से ग़लत रास्ता’

देश में तथ्यत: (de facto) तालेबान प्रशासन में अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने 26 दिसम्बर को इस विषय में दो वर्ष पुराने अपने एक आधिकारिक आदेश को अमल में लाने की घोषणा की, जिसमें अफ़ग़ान महिलाओं के राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठनों में काम करने पर पाबन्दी थोपी गई थी. 

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने मंगलवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि इस आदेश का, अफ़ग़ानिस्तान में ज़रूरतमन्द आबादी तक मानवीय सहायता प्रयासों पर गहरा असर होगा.

अफ़ग़ानिस्तान में आधी से अधिक आबादी निर्धनता में जीवन गुज़ार कर रही है और विशाल संख्या में लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.

OHCHR प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि अफ़ग़ानिस्तान में लाखों लोगों की गुज़र-बसर में ग़ैर-सरकारी संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो महिलाओं, पुरुषों व बच्चों तक जीवनरक्षक मदद पहुँचा रहे हैं. उन्होंने क्षोभ जताया कि “यह पूरी तरह से ग़लत रास्ता है,” और बेहद भेदभावपूर्ण आधिकारिक आदेश है.

महिला अधिकारों पर प्रहार

तालेबान ने अगस्त 2021 में, अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता को हथियाने के बाद से ही महिलाओं व लड़कियों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित किया है.

लड़कियों को माध्यमिक स्तर की शिक्षा से दूर कर दिया गया है और महिलाओं के युनिवर्सिटी में पढ़ाई-लिखाई पर पहले ही पाबन्दी लगा दी गई थी.

महिलाओं व लड़कियों के मनोरंजन पार्क, सार्वजनिक स्नानघर, जिम, स्पोर्ट्स क्लब में जाने पर पाबन्दी है, और देश में महिलाओं व लड़कियों के लिए पोशाक संहिता सख़्ती से लागू की गई है. उन्हें बिना किसी पुरुष संगी के लम्बी यात्रा करने की अनुमति नहीं है.

यूएन कार्यालय ने चिन्ता जताई है कि ग़ैर-सरकारी में अफ़ग़ान महिलाओं के कामकाज पर रोक लगाने वाले आदेश से महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से मिटा दिया जाएगा, जिससे देश की प्रगति प्रभावित होगी.

वोल्कर टर्क ने ज़ोर देकर कहा कि कोई भी देश राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से तब तक प्रगति नहीं कर सकता है, जब तक उसकी आधी आबादी को सार्वजनिक जीवन से बाहर रखा जाएगा.

पुनर्विचार की अपील

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अफ़ग़ान नेताओं से अपने निर्णय व रास्ते पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है, न केवल महिलाओं व लड़कियों के लिए, बल्कि देश के भविष्य के लिए भी.

उन्होंने सचेत किया कि इन नीतियों के वृहद वैश्विक समुदाय के साथ अफ़ग़ानिस्तान के रिश्तों पर भी नतीजे होंगे. 

“अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य के लिए, तथ्यत: प्रशासन को अपना रास्ता बदलना होगा.”

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागेदारी पर पाबन्दी लगाए जाने से निर्धनता बढ़ती है और एक स्थिर व सुदृढ़ समाज को आकार देने के प्रयासों में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं.

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