उद्योग/व्यापार

अधिग्रहण के बाद क्रेडिट सुइस के भारतीय कर्मचारियों को राहत

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क्रेडिट सुइस बैंक के सफल अधिग्रहण के बाद भारत में इस संकटग्रस्त बैंक कर्मचारियों को थोड़ी राहत महसूस हो रही है। यूबीएस ने एक समझौते के तहत इस बैंक का अधिग्रहण कर लिया है। स्विट्जरलैंड सरकार की मध्यस्थता के बाद यूबीएस ने 3.2 अरब डॉलर में इस बैंक का अधिग्रहण किया है। अब क्रेडिट सुइस के भारतीय कारोबार जैसे धन प्रबंधन और निवेश बैंकिंग कारोबार में तारतम्यता बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही छंटनी की आशंका भी थोड़ी कम हो गई है।

क्रेडिट सुइस के एक कर्मचारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि यूबीएस काफी मजबूत बैंक है। उन्होंने कहा, यूबीएस का हिस्सा होने के बाद क्रेडिट सुइस का धन प्रबंधन एवं निवेश बैंकिंग कारोबार मजबूत हो जाएगा। यूबीएस के साथ हुए समझौते के बाद अब और नौकरियां जाने की आशंका नहीं है।

भारत को लेकर योजनाओं के बारे में पूछे गए सवाल पर क्रेडिट सुइस ने कोई जवाब नहीं दिय़ा। क्रेडिट सुइस में भारतीय कारोबार प्रमुख मिकी दोषी ने कहा, फिलहाल इस समय कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।

क्रेडिट सुइस इंडिया मुख्य तौर पर धन प्रबंधन का काम करता है। इसके अलावा वह भारत में शेयर और निवेश बैंकिंग में भी कारोबार कर रहा है।

भारत में यूबीएस धन प्रबंधन कारोबार में अब नहीं रह गया है मगर इक्विटी कारोबार में उसकी मजबूत पकड़ है। विश्लेषकों से बातचीत में यूबीएस के प्रबंधन ने इस बात पर जोर देकर कहा कि क्रेडिट सुइस के अधिग्रहण के बाद एशिया में उनका कारोबार किस तरह और अधिक मजबूत हो जाएगा।

यूबीएस ग्रुप एजी के समूह मुख्य कार्याधिकारी राल्फ हैमर्स ने कहा, धन प्रबंधन कारोबार की बात करें तो हमारे पास लगभग 3.8 लाख करोड़ डॉलर की परिसंपत्ति हो जाएगी। इसी तरह परिसंपत्ति प्रबंधन मोर्चे पर भी यह आंकड़ा 1.6 लाख करोड़ डॉलर को छू लेगा। स्विट्जरलैंड, यूरोप, पश्चिम एशिया और अफ्रीका, एशिया-प्रशांत और लैटिन अमेरिका के देशों में हम एक मजबूत इकाई खड़ी करेंगे।

क्रेडिट सुइस भारत के उन 3 शीर्ष विदेशी बैंकों में शामिल है जिन्हें निजी धन प्रबंधकों का समर्थन हासिल है। 2020 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड और बार्कलेज बाद यह 5 अरब डॉलर से अधिक की परिसंपत्ति के साथ तीसरा सबसे बड़ा बैंक था। इस संबंध में ताजा आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

बैंकिंग जगत के जानकारों का कहना है कि सौदे के बाद स्विटजरलैंड के दोनों बैंकों के बीच सहयोग बढ़ जाएगा। निवेश बैंकिंग के मोर्चे पर दोनों ही बैंक 10 शीर्ष इकाइयों में शामिल नहीं हैं। कैलेंडर वर्ष 2022 में क्रेडिट सुइस ब्लूमबर्ग इक्विटी इक्विटी कैपिटल मार्केट तालिका में चौथे स्थान पर था जबकि यूबीएस तीसरे पर था। क्रेडिट सुइस ने जिन 4 आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) पर काम किए हैं उनमें अदानी विल्मर, ग्लोबल हेल्थ एंड कीस्टोन रियल्टर्स शामिल हैं।

हाल के महीनों में क्रेडिट सुइस छोड़ने वाले लोगों की कतार लग गई थी। जाने-माने इक्विटी रणनीतिकार नीलकंठ मिश्र और आशीष गुप्ता भी छोड़कर जा चुके हैं। बैंकिंग उद्योग के जानकारों का कहना है कि यूबीएस के रणनीतिकार क्रेडिट सुइस में इन लोगों के जाने से खाली हुई जगह भर सकते हैं। कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़ी संस्थाओं के सूत्रों ने कहा कि क्रेडिट सुइस इंडिया के कई कर्मचारी नौकरी बदलना चाहते हैं। खासकर स्विस बैंक ने जब बड़े स्तर पर पुनर्गठन की घोषणा की तो उसके बाद कई लोग वहां से निकलने के बारे में सोचने लगे। 27 अक्टूबर को क्रेडिट सुइस ने कई बड़े फैसले करने की घोषणा की। इनमें निवेश बैंकिंग इकाई में बड़ा बदलाव और दुनिया में 9000 नौकरियों में कटौती शामिल थी। बैंक ने भारत को लेकर कोई आंकड़े नहीं दिए थे। भारत इस बैंक के लिए एक छोटा बाजार समझा जाता है।

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